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चीन में कोरोना: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच चीन में खून की भारी कमी, रक्तदान की चपेट में आ रहा है

COVID-19 रोगी

एएनआई

चीन में कोरोना वायरस को लेकर क्या है, इसका कोई खुलासा नहीं हो रहा है। लेकिन इतना जरूर है कि चीन कोरोना वायरस का चक्का में जबरदस्त तरीके से चुकाया गया है। चीन में खतरनाक बीएफ.7 छुपाकर अपनी तबाही मचा रहा है। लेकिन ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ चीन में ही है।

चीन में कोरोना वायरस का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। कोरोना वायरस की वजह से चीन में परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। खबर तो यह भी आई थी कि चीन में ग्राहकों का कटोरा इतना बढ़ गया है कि उसमें जगह नहीं है। इसके अलावा अलार्म को लेकर भी किल्लत है। इन सबके बीच चीन में अब खून की भी भारी कमी हो गई है। यही कारण है कि चीन में अब रेड अलर्ट घोषित किया गया है। दावा किया जा रहा है कि चीन के ब्लड बैंक्स में 3 दिन का खून ही बचा है। लोगों ने कोरोना के डर से रक्तदान भी बंद कर दिया है। यही कारण है कि चीन में आम लोगों का ब्लड डोनेट करने की भी बात कही जा रही है।

अभी, चीन में कोरोना वायरस का कटोरा क्या है, इसे लेकर कोई जानकारी नहीं हो रही है। लेकिन इतना जरूर है कि चीन कोरोना वायरस का चक्का में जबरदस्त तरीके से चुकाया गया है। चीन में खतरनाक बीएफ.7 छुपाकर अपनी तबाही मचा रहा है। लेकिन ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ चीन में ही है। चीन के अलावा जापान, कोरिया में भी पहुंच गया है। इसके अलावा भारत समेत दुनिया के 90 देशों में भी यह धारणा फैल चुकी है। दावा किया जा रहा है कि चीन में एक दिन में लाखों लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ रहे हैं। खून की मार ने कुछ हिस्सों में प्रेग्नेंसी महिलाओं और गंभीर रूप से बीमारों के जीवन को डैमेज में डाल दिया है। यही कारण है कि किशोरों का अब सामना करना पड़ता है।

साथ ही साथ उनके परिजन परेशान हो रहे हैं। हालांकि चीन की ओर से COVID-19 के दैनिक आंकड़ों की जानकारी नहीं दी जा रही है। यही कारण है कि यह दुनिया के विभिन्न अकोला के बारे में धारणाओं को समझने में परेशानी आ रही है। वहीं, जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय के संक्रामक रोग मामलों के विशेषज्ञ डॉ. स्टुअर्ट कैंपबेल रे ने कहा कि चीन में एक बड़ी आबादी रहती है और वहां प्रतिरक्षा क्षमता सीमित है। यह कुछ इस तरह की स्थिति है जिसमें हम COVID-19 वायरस के नए प्रकार का विस्फोट देख सकते हैं। 140 करोड़ की आबादी वाले इस देश ने ‘जीरो कोविड’ की नीति को काफी हद तक त्याग दिया है। हालांकि, दर्ज टीकाकरण दर समग्र रूप से काफी अधिक है, लेकिन शाकाहारी खुराक लगाने की दर कम है, खासकर पौधों में।

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