चीन में वर्तमान में ही नहीं बल्कि सैकड़ों साल से ये परंपरा चली आ रही है कि अगर शादी होती है तो लड़के वालों को वुधू वैल्यू यानी ब्राइड प्राइस गर्ल के पेरेंट्स को देना होता है।
चीन अब घटती आबादी को लेकर परेशान हो गया है। चीन की विशाल जनसंख्या बूढ़ी हो रही है और जन्म दर बहुत कम है। चीन ने परिवार की जानकारी में गड़बड़ी देने की घोषणा की है। अब चीन में दंपती तीन बच्चे पैदा कर सकते हैं। दुर्घटना दल के पोलित ब्यूरो की बैठक में तय किया गया है कि ”चीनी बुजुर्ग आबादी से सक्रिय रूप से निबटने के लिए प्रमुख हाइलाइटर और उपाय। चीन में यह परंपरा है कि लड़का लड़के लड़कियों को दहेज देते हैं। इसे कैली या प्राइड प्राइस कहा जाता है। ग्रामीण चीन में एक व्यापक लिंग प्रविष्टि पुरुषों को रिकॉर्ड देने के लिए प्रेरित करती है जिसे “ब्राइड प्राइस” कहा जाता है। यह परिपाटी इतनी व्यापक हो गई है कि चीनी सरकार ने पिछले सप्ताह हस्तक्षेप करने का वचन दिया। इस घटना ने इतना ध्यान खींचा है कि अब यह 13 फरवरी को जारी कम्युनिस्ट पार्टी के 2023 के पहले नीति दस्तावेज में शामिल हो गया है।
चीन में वर्तमान में ही नहीं बल्कि सैकड़ों साल से ये परंपरा चली आ रही है कि अगर शादी होती है तो लड़के वालों को वुधू वैल्यू यानी ब्राइड प्राइस गर्ल के पेरेंट्स को देना होता है। लेकिन अब ये परंपरा भारत की दहेज प्रथा की तरह विकृत हो चुकी है। लड़की वाले वर पक्ष से शादी के लिए शेयर पैसे की डिमांड करते हैं। अब ये कीमत लाखों-करोड़ों में चुकाई जा चुकी है। इसने चीन को परेशानी में डाल दिया है।
चीन में 1978 में राष्ट्रपति डेंग शाओपिंग ने वन चादर (माता-पिता को एक बच्चे को जन्म देने की छूट की नीति) लाकर जनसंख्या अनुपात पर नियंत्रण लगाने की कोशिश की। इस कानून के लागू होने के तीन से ज्यादा दशकों में चीन में लिंगानुपात बिगड़ गया है। इस देश में करीब 3-4 करोड़ और लड़के पैदा हुए जिससे उनकी शादी मुश्किल होने लगी। नतीजा ये कि लड़कों को शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल रही हैं। शादी की उम्र की लड़कियों के मां-बाप चीन की वधू कीमत की परंपरा के तहत औसतन 16-17 लाख का दहेज मांगते हैं। कई बार तो ये दहेज 40 लाख से भी ज्यादा का हो जाता है।