
UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। छत्तीसगढ़ी भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और आत्मा से जुड़ी हुई भाषा है। इसे समृद्ध और लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के 8वें प्रांतीय सम्मेलन में मुख्यमंत्री साय ने ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी साहित्यकारों की पुस्तकों को स्कूलों की लाइब्रेरी में भेजा जाएगा, ताकि स्कूली छात्र इनका अध्ययन कर सकें और अपनी मातृभाषा से गहराई से जुड़ें।
मुख्यमंत्री ने कहा, “छत्तीसगढ़ी भाषा का गौरवशाली इतिहास है। यह भाषा शिलालेखों में दर्ज है, हमारी आत्मा से जुड़ी हुई है। हमें अपनी भाषा को बचाने और आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास करना होगा।”
सम्मेलन में हुआ 11 पुस्तकों का विमोचन
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ी भाषा की 11 नई पुस्तकों का विमोचन किया गया, जिनमें शामिल हैं
- भागमानी – डॉ. दीनदयाल साहू
- छत्तीसगढ़ के छत्तीस भाजी – कन्हैया साहू ‘अमित’
- छतनार (काव्य संग्रह) – राजकुमार चौधरी
- चल उड़ रे पुचुक चिरई – टीकेश्वर सिन्हा
- एक कहानी हाना के – हरिशंकर प्रसाद देवांगन
- गंगा बारू – मिनेश कुमार साहू
- माटी के दिया – डॉ. लूनेश कुमार वर्मा
- गीतांजली (छत्तीसगढ़ी अनुवाद) – रामनाथ साहू
- प्रतिज्ञा (मुंशी प्रेमचंद कृत उपन्यास का छत्तीसगढ़ी अनुवाद) – दुर्गा प्रसाद पारकर
वरिष्ठ साहित्यकारों का हुआ सम्मान
इस दौरान मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य में अमूल्य योगदान देने वाले वरिष्ठ साहित्यकारों को सम्मानित किया, जिनमें शामिल हैं:
- डॉ. देवधर दास महंत (जांजगीर)
- काशीपुरी कुंदन (गरियाबंद)
- सीताराम साहू “श्याम” (बालोद)
- राघवेन्द्र दुबे (बिलासपुर)
- कुबेर सिंह साहू (राजनांदगांव)
- डॉ. दादूलाल जोशी (राजनांदगांव)
राजभाषा आयोग का अब तक 1500 से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग ने अब तक 1,500 से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन किया है। सरकार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बच्चों को मातृभाषा में पढ़ाने पर जोर दे रही है, ताकि वे कठिन से कठिन विषयों को आसानी से समझ सकें।
सम्मेलन के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर वैष्णव ने छत्तीसगढ़ी भाषा के मानकीकरण पर जोर दिया, जबकि संस्कृति एवं राजभाषा संचालक विवेक आचार्य ने आयोग के कार्यों की विस्तार से जानकारी दी।
छत्तीसगढ़ी भाषा को मिलेगा नया विस्तार
इस सम्मेलन ने छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त किया है। मुख्यमंत्री की घोषणा से छत्तीसगढ़ी साहित्य को नया पाठक वर्ग मिलेगा और यह भाषा और अधिक सशक्त होगी।
यह सम्मेलन प्रदेशभर के साहित्यकारों और भाषा प्रेमियों के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हुआ।



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