लेटेस्ट न्यूज़

महिलाओं को सम्मानपूर्ण जीवन जीने के 5 संवैधानिक अधिकार – एक गरिमापूर्ण जीवन के लिए महिलाओं को अपने ये 5 संवैधानिक अधिकार चाहिए।

इस खबर को सुनिए

हम सभी 26 जनवरी 2023 को अपना 74वां गणतंत्र दिवस (74वां गणतंत्र दिवस) मना रहे हैं। यानी हमारे संविधान और लोकतंत्र को 74वां साल शुरू हो गया है। ब्रिटिश शासन से आज़ाद होने के बाद 26 जनवरी 1950 को हमने राजशाही और रियासतों को गणतंत्र के रूप में छोड़ कर अपने देश को चलाने का फैसला किया। एक ऐसा समाज जहां हर व्यक्ति बिना किसी जाति, वर्ग या लिंग भेद के समान अधिकार प्राप्त कर सके। इसके बावजूद कुछ टैबू (वर्जित) हैं जो अब भी महिलाओं की यात्रा को चुनौतिपूर्ण बनाते हैं। जबकि संविधान महिलाओं और पुरुषों दोनों को बिना किसी पूर्वाग्रह के अधिकार देता है। आइए जानते हैं उन अधिकारों के बारे में जिनमें संविधान में महिलाओं का संरक्षण, सुरक्षा और आवंटन (महिलाओं के लिए 5 संवैधानिक अधिकार) प्रदान किए गए हैं।

हम उस समाज से ताल्लुक रखते हैं, जहां महिलाओं के उत्थान की बात की जाती है। एक आम परिवार से लेकर संपूर्ण राष्ट्र तक महिलाओं का योगदान हमेशा अतुल्य रहा है। कभी समाज सुधार के रूप में, तो कभी तेज-तरार राजनेता के रूप में महिलाओं ने खुद को गणतंत्र के विकास में पूरी तरह से समर्पित किया है।

यूं तो समाज में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली महिलाओं के अधिकारों की सूची बहुत बड़ी है। मगर आज हम बात करेंगे उन 5 अधिकारों की जो एक महिला के चुनंखी विकास में सहायक हैं। जो महिलाओं के उत्थान के साथ उनका मार्गदर्शन करते हैं। इतना ही नहीं इन अधिकारों की महिलाएं खुद को एम्पाव कर सकती हैं और समाज में आगे बढ़ सकती हैं। चार दीवारी में बंद और अब खुद का मुख़्तार है, आपके अधिकारों के प्रति प्रतिकार शामिल है और वो हर मौत पर कदम रखने की हकदार है।

जानिए उन 5 संवैधानिक अधिकारों के बारे में जो एक महिला को गरिमापूर्ण जीवन जीने में मदद करते हैं

इसके बारे में एडवोकेट फिरदौस कुत वानी, शेयरिंग पार्टनरिंग एलसी जेडएफ, लॉ फर्मस बता रही हैं कि किन महिलाओं के अधिकारों को संरक्षित किया गया है और किन कानूनों के तहत वो अपना नियुक्ति अधिकार पा सकती हैं।

चुप रहने की बजाये आवाज उठायें
चुप रहने की आवाज़ कहो। चित्र-शटरस्टॉक

1 यौन हरासमेंट

फिरदौस ने कहा है कि आजकल सभी महिलाएं काम कर रही हैं और लड़कियां भी स्कूल जा रही हैं। ऐसे में उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी बहुत जरूरी है। ऐसे में उन्हें पता चल जाता है कि अगर वे कोई गलत काम करते हैं, तो वे अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं। ग्रीनसमेंट से बचने के लिए महिलाएं आईपीसी की धारा 354 और यौन उत्पीड़न निवारण अधिनियम के तहत शिकायत कर सकता है। आज की प्रगतिशील वीमेन डर से बाहर आकर कुछ वयस्कों के पास आया है।

2 मेरिटल स्टेटस बनाम गर्भपात का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, तो सभी महिलाओं को सेफ एबॉर्शन का अधिकार दिया गया है। कोर्ट के मुताबिक मैरिड और अनमैरिड के बीच जाने वाले अंतर को असंवैधानिक बताया गया है। न्याय दीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के अनुसार किसी महिला का केवल विवाह न होने के कारण 20 सप्ताह तक के गर्भ को गिराने की अनुमति न देना संविधान के अनुच्‍छेद 14 का उल्‍लंघन करने जैसा होगा।

संविधान आपको बिना किसी के गर्भपात का अधिकार देता है
संविधान आपको बिना किसी दबाव के गर्भपात का अधिकार देता है। चित्र ; एक्सपोजर

हांलाकि चिकित्सीय समापन अधिनियिम 1971 में 20 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति थी। मगर किसी विशेष मामले में इसकी दायरा बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दिया गया है।

3 मुफ्त कानूनी सहायता : लीगल सर्विसिज अथाॅरिटी एक्ट 1987

इस अधिनियम के अधीन यदि आप किसी कानूनी मसले का शिकार हैं और कानूनी मदद के लिए पैसे नहीं हैं, तो आपको लीगल एड की सहायता दी जाती है। लीगल सर्विसिज अथारिटी एक्ट 1986 उन पर भी लागू होता है, जो कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। एडवोकेट फिरदौस बताते हैं कि ये अधिनियम कहता है कि किसी भी आय के मामले में आप मुफ्त लीगल एड की सहायता ले सकते हैं। सभी डिसऑर्डर कोर्ट में ये सुविधा उपलब्ध है।

टॉक्सिक रिलेशनशिप में रहने से बाहर उसी से बहार ही निकल जाना
टेक्सिक संबंध खराब नहीं हो रहा है तो उससे बाहर निकलना ही बेहतर है। चित्र : उजागर करें


4 प्रताड़ना के विरुद्ध अधिकार : डोमेस्टिक वायलेंस अधिनियम 2005 (घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005)

घरेलू हिंसा को अकसर सुसुराल या दहेज से जोड़कर देखा जाता है। जबकि ऐसे मामले भी कम नहीं हैं जब छोटे और किशोर बच्चियों को उनके पिता या भाई द्वारा प्रताड़ना का सामना करना पड़ा है। ऐसे में सहम कर या डर कर बैठने के बजाय ऐसे मामलों के खिलाफ अपनी आवाज़ को रोशन करें।

एडवोकेट फ़िरदौस बताता है कि अगर कोई बदलाव कर रहा है, तो ब्लड रिलेशन के खिलाफ भी डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट 2005 के तहत शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इससे पहले 1983 में इसे बरकरार रखा गया था। अगर कोई मेंटली या फिजिकल टॉर्चर करता है, तो उसके लिए हेल्पलाइन नंबर 1091 का इस्तेमाल करें। आपके इलाके की वुमेन सेल न केवल कप्लेंट लिखती हैं, बल्कि आपकी हर तरह से मदद भी करती हैं। इस अधिनियम के तहत घरेलू महिलाओं के संबंध में रहने के अलावा रहने वाली महिलाओं को भी शिकायत दर्ज करने का अधिकार है।

5 महिला धन और डायवर्स के बाद पत्नी गुज़ारा बोका नियम

फिरदौस के अनुसार 125 सीआरपीसी में रख-रखाव में अगर कोई महिला तलाकशुदा है, तो वो अपने पति से इस अधिनियम के तहत पैसा ले सकती है। जब तक उनकी दूसरी शादी नहीं होती। वहीं हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 25 के तहत केवल गुज़ारा बोका देने का ही नियम था, जिसमें अब कई बदलाव किए गए हैं।

तलाक के बुरा भी आप गिज़ारा भट्टा माँग सकती हैं
तलाक के बाद आपको अपने और अपने बच्चों के लिए रहने का जोखिम उठाने का अधिकार है। चित्र : उजागर करें

हिंदू सक्सेशन एक्ट 1956 के सेक्शन 14 और एचएमए सेक्शन 27 के बारे में यह बात प्रकाशित होती है कि वीमेन के पास महिला धन का पूरा अधिकार है। इसका खंडन होने पर वे सेक्शन 19 का सहयोग ले सकते हैं। जो भी बच्चे 2010 में रिश्ते में रहते हुए पैदा हुए थे, उन्हें अवैध घोषित कर दिया गया था। हालांकि, 2010 के कानून में संशोधन के बाद अब उनके भी प्राधिकृत अधिकारों पर उतना ही अधिकार होता है, जितना वेडलॉक से होने वाले बच्चों का होता है।

ये भी पढ़ें- गणतंत्र दिवस 2022: इस गणतंत्र दिवस पर स्वस्थ रहने का संकल्प लें, घर पर बनाएं स्वाद और हेल्दी तिरंगा का आभास

Show More
Back to top button

You cannot copy content of this page