
यूपी निकाय चुनाव: यूपी निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई होगी। राज्य सरकार के सर्वोच्च न्यायालय में ओबीसी विवरण को अपनी स्थिति स्पष्ट करेगा। इसमें बताया जाएगा कि निकाय चुनाव के लिए दयनीय और वार्डों के विवरण में सूचनाओं का पूरा पालन किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यूपी निकाय चुनाव की स्थिति साफ हो जाएगी।
यूपी में निकाय चुनाव नवंबर में प्रस्तावित था, लेकिन विस्तृत और वार्ड के तथ्य में देरी की वजह से इसे जनवरी में मांगे जाने की तैयारी थी। नगर विकास विभाग ने विवरण और वार्डों का विवरण करते हुए इसका अनंतिम प्रकाशन करते हुए आपत्तिजनक दृष्टिकोण रखा है। इसी बीच हाई कोर्ट में ओबीसी को लेकर चौंकाने वाली बात सामने आई। इसमें कहा गया है कि ओबीसी पैरामीटर सुप्रीम कोर्ट के पहले पहल के अनुसार ट्रिपल टेस्ट के आधार पर नहीं किया गया है।
नगर विकास विभाग ने स्थिति स्पष्ट करना चाही, लेकिन उच्च न्यायालय ने ओबीसी विवरण को रद्द करते हुए मामले को निरस्त करते हुए निकाय चुनाव का आदेश दिया। इसके एक दिन बाद ही नगर विकास विभाग ने ट्रिपल टेस्ट के आधार पर ओबीसी को विवरण देने के लिए आयोग का गठन कर दिया और उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) दायर की।
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इस पर सुनवाई होगी। नगर विकास विभाग सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी को दिए गए तथ्यों को लेकर अपना पक्ष दायर करें। यह विवरण के आधार पर ओबीसी को विवरण देता है। यूपी में इसके पहले भी तीसरे चुनाव हुए हैं, जिनमें आधार पर ही इसका विवरण दिया गया है। यह भी झलक कि नए दृश्यों से निष्कर्ष देने के लिए ओबीसी आयोग का गठन कर दिया गया है। नगर विकास विभाग ने इसके लिए अपने चुनिंदा अधिकारियों को लगाया है। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला तय करेगा कि यूपी निकायों में चुनाव कब होंगे।
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