
सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक इस हफ्ते यानी 09 जनवरी से 13 जनवरी 2023 तक क्या कुछ हुआ। कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और सिक्योरी राउंड अप आपके सामने लेकर आए।
सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड ऐप में इस हफ्ते कानूनी खबरें लाए जाने से काफी अहम रहा। जहां एक तरफ दिल्ली में अधिकारों को लेकर फोकस और चार्जर सरकार के बीच चल रहे विवाद के सुप्रीम की मांग जारी है। वहीं जोशीमठ मामले में जल्द सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को सही बताया। तो वहीं यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए दो राज्यों की ओर से बनाई गई कमिटियों को चुनौती देने वालों की याचिका खारिज कर दी गई। ऐसे में आज आपको सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक इस हफ्ते यानी 09 जनवरी से 13 जनवरी 2023 तक क्या कुछ हुआ। कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और सिक्योरी राउंड अप आपके सामने लेकर आए। कुल मिलाकर तो आपको इस हफ्ते होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में मतदाता।
दिल्ली में हुई तारीख सरकार की जरूरत क्या है
दिल्ली में जंपिंग सेवाओं का अधिकार पास होना चाहिए। इसे लेकर कबीर सरकार और सेंटर के बीच तनातनी जारी है। अब यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। राष्ट्रीय राजधानी को संघ का बढ़ा हुआ क्षेत्र करार देने से संबंधित केंद्र की दलीलों पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में निर्वाचित सरकार की आवश्यकताओं को लेकर सवाल उठाया। राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण को लेकर केंद्र एवं दिल्ली सरकार के बीच विवाद पर तीसरे दिन सुनवाई कर रही संविधान पीठ की विशेष केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी होने के संबंध में दिल्ली का एक ”अद्वितीय स्तर सभी राज्यों के नागरिकों में ”है और वहां रहने वाले हैं ”अपनेपन की भावना” को जारी किया जाएगा। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले न्यायाधीश पांचों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। एक फैसले का हवाला देते हुए, विधि अधिकारियों ने कहा, ”दिल्ली एक महानगरीय शहर है और यह लघु भारत की तरह है।
लकीमपुर कांड में पांच साल
लखीमपुर खीरी मामले का ट्रायल पूरा होने में पांच साल तक का वक्त लग सकता है। सुप्रीम कोर्ट के पूछे जाने पर मामले का मुकदमा करने वाले अडिशनल सेशन जज ने कोर्ट को यह जानकारी दी है। लखीमपुर मामले में केंद्रीय मंत्री के वेटे आशीष मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल कर रखी है। उन पर आरोप है कि उन्होंने प्रदर्शन करते हुए किसानों को गाड़ी दी थी। इस घटना में चार किसानों की मौत हो गई थी।
जोशीमठ पर सुप्रीम कोर्ट में तुरंत सुनवाई नहीं
उत्तराखंड के जोशीमठ में जहां पल-पल के साथ जमीन धंसने का संकट वढ़ता जा रहा है, वहीं जोशीमठ संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्दी सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि देश में इस तरह के मामले को देखने के लिए डेमोक्रेटिक पर आधारित संस्थाएं हैं। चीफ जस्टिस डी. वाई। चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि हर महत्वपूर्ण मुद्दे के लिए सीधे कोर्ट की जरूरत नहीं है। मामले की सुनवाई 16 जनवरी को होगी। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से याचिका दी गई है।
समय-समय पर मिले अवकाश
सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि महिलाओं को पीरियड्स के समय की छुट्टी दी जाए। उच्चतम न्यायालय में एडवोकेट शैलेंद्र मणि त्रिपाठी की ओर से याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लंदन में याचिकाकर्ता का एक अध्ययन का हवाला दिया है। स्टडी में कहा गया है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं को काफी दर्द रहता है। ऐसे समय में किसी भी महिला की दर्द की स्थिति किसी भी आदमी के हार्ट अटैक में होने वाले दर्द जैसी होती है। ये दर्द काम काजी महिलाओं के काम की क्षमता को प्रभावित करता है।
तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को विस्मयकारी बताया
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि दहेज मामले में आपराधिक कार्यवाही सिर्फ इसलिए खारिज नहीं हो सकती है कि तलाक की अर्जी लंबित है। इस आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि दहेज की मांग का जो आरोप है, वह संभव नहीं हो सकता है और कार्यवाही बोगस है। हाई कोर्ट ने तलाक के मामले लंबित रहने के दौरान आपराधिक मामलों को वोगस का दावा देते हुए खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने महिला की अपील पर हाई कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने जब आदेश पारित किया, उस समय के मामले में चार्ज को पैर से चिपका कर चिपका दिया गया था। पहली नजर में घिनौना मामला बनाया गया था। सिर्फ इसलिए कि महिला एड्स से पीड़ित है और उसके पति ने तलाक की अर्जी पैर लगा दी है, मामला लंबित है, इस आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि महिला की ओर से की गई दहेज प्रताड़ना की शिकायत पर विचार से परे है। इस आधार पर आपराधिक कार्रवाई को खारिज करना सही नहीं है।
महाराष्ट्र एशियासी संकट पर 14 फरवरी को सुनवाई
महाराष्ट्र एशियासी संकट से शनिवार शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में 14 फरवरी को सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस डी. वाई। चंद्रचूड़ की पहचान पांच जजों की बेंच ने मामले में सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तारीख तय की है। सुप्रीम कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट में ठाकरे ग्रुप की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा था कि वह नवाम रेविया जजमेंट के केस में याचिका दायर करेंगे और कहा कि केस को सात जजों को रेफर किया जाना चाहिए। पिछली सुनवाई के दौरान भी सिंबल ने कहा था कि मामले को सात जजों को रेफर किया जाना चाहिए रेविया जजमेंट में पांच जजों ने कहा था कि स्पीकर तब अपरिचित की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकती है, जब स्पीकर को हटाने के लिए कोई प्रस्ताव लंबित हो।
यूसीसी कमेटी गेटा को चुनौती देने वालों ने याचिका खारिज की
यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए दो राज्यों की ओर से बनाई गई कमिटियों को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से इनकार कर दिया है। 9 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान राज्यों को ऐसी समितियां बनाने का अधिकार देता है। गुजरात और उत्तराखंड के राज्यों ने अपने-अपने राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए पिछले दिनों कमेटियों का गठन किया था। राज्यों के इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी।













