
भारतीय सेना
2022 में भारतीय सेना की ताकत: भारतीय सेना के लिए वर्ष 2022 में किले को और अधिक धोखा देने वाला साबित हुआ। इस एक साल के दौरान भारतीय सेना के बेड़े में कई ऐसे युद्धपोत से लेकर लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और मिसाइलें और लेजर गाइडेड रॉकेट शामिल हुए, जिन्होंने सेना की ताकतों को कई गुना बढ़ा दिया है। आपको बता दें कि साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही सेना की ताकतों में लगातार सभी को मिल रही है। इस दौरान भारत का रक्षा बजट भी डबल हो गया है।
साल 2022 के दौरान भारत के पास राफेल लड़ाकू लड़ाकू का पूरा खेप आ गया। यह देश के लिए बड़ी उपलब्धि थी। इसके अलावा अपाचे व प्रचंड स्वदेशी लाइट कम्बैट हेलीकॉप्टर भी मैटर में शामिल हैं। इससे सुरक्षा की जोखिम क्षमता कई गुना बढ़ गई है। इसी तरह भारतीय नेवी को आइएनएस विक्रांत, आइएनएस विक्रमादित्य, आइएनएस राइजगिरी और मोरमुगा जैसे युद्ध पोत मिले, जिनमें परमाणु किरणों को भी संचालित करने की क्षमता है। इससे भारतीय नेवी चीन को टक्कर दी हो गई। भारत ने इन खतरनाक जहाजों के दम पर अपनी समुद्री सीमा को काफी हद तक सुरक्षित कर लिया है। इसी तरह सेना को भी कई नए लड़ाकू वाहन मिले हैं। इसमें ही संदेश में संदेश दिया गया। इन्फैंट्री प्रोटेक्टेड मोबिलिटी व्हीकल का नाम प्रमुख है। इसके अलावा सीमा पर निगरानी और हमलों से मुंह तोड़ जवाब देने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित स्वार्म ड्रोन प्रमुख हैं। सेना के लिए आसान जोरावर टैंक की सौगात भी मिलती है, जो बीहड़ और पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी से ले जा सकते हैं। इसके अलावा कई मिसाइलें, लेजर गाइडेड रॉकेट, 65 हजार बुलेट प्रमाण पत्र का ऑर्डर और 4.2 लाख बिजनेसाइन का ऑर्डर शामिल है।
आत्म जुड़ाव की ओर कदम
पीएम मोदी का मंत्र मेक इन इंडिया को साकार करते हुए देश ने रक्षा के क्षेत्र में बड़ी आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है। अब भारत न सिर्फ अपने लिए रक्षा के उपकरण और प्राधिकरण के हथियार बना रहा है, बल्कि दूसरे देश भी ऐसा करने में सक्षम हो गए हैं। इससे देश को विदेशी मुद्रा की आय हो रही है। कुल रक्षा बजट का 60 प्रतिशत धन केवल भारत में बनाने के लिए ही रखा गया है। ताकि स्वदेशीकरण को मिल सके।
मिसाइलों, निर्देशित रॉकेट लॉन्चर और आधुनिक पनडुब्बियों से लैस सेना
देश की सेना इस दौरान नई खतरनाक गाइडेड मिसाइलों, एंटी टैंक मिसाइलों, टैंकों, गाइडेड रॉकेट लॉन्चर, हैंड ग्रेनेड और आधुनिक पनडुब्बियों से लैस हो गई है। खास बात यह है कि इसे भारत ने स्वयं बनाया है। अब दूसरे देश में भी इन प्रविष्टियों को भारत से खरीदने की इच्छा रखते हैं। इन रक्षा उपकरणों से भागीदार सेना अब किसी भी देश से प्रतिस्पर्धा करने का माद्दा दुश्मन है।
सीमाओं पर पहुंचने के लिए रास्ता बनाया
भारतीय सेना को दुर्गम से दुर्गम क्षेत्रों में पहुंचने के लिए सैर, रेल यातायात और वायु सेवा पर भी ध्यान दिया जाता है। मोदी सरकार ने चीन से 4000 हजार किलोमीटर दूर भारत की सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर का जाल बिछाया है। ताकि दुर्गम स्थिति में सैनिक कहीं भी पहुंचकर दुश्मनों का खात्मा करने में सक्षम हों। इसके मोदी सरकार में देश का रक्षा बजट 2014 में 2.53 लाख करोड़ था, जो अब बढ़कर 5.25 लाख करोड़ हो गया है। भारत के रक्षा राज्य मंत्री के पूरक के उत्तर में दिए गए संदर्भ के अनुसार भारत रक्षा के क्षेत्र में खर्च करने के मामले में अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा देश बन चुका है। इससे भारत की बढ़ती सामरिक क्षमताओं का अंदाजा लगाया जा सकता है।
चीन को तवांग में दिया मुंहतोड़ जवाब
भारतीय सेना ने 9 और 11 दिसंबर को तवांग में चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया है। भारतीय सीमा में घुसने पर आमादा चीनी सैनिकों को भारत के सील ने डंडे मार-मार कर दिया। इससे पहले जून 2020 में गलवान घाटी में भी चीन की सेना ने सीलिंग को घुसपैठ करने से रोका था। हालांकि इस दौरान 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। जबकि चीन में 40 से ज्यादा सैनिकों की मौत हुई थी। इसके अलावा इंडिया गेट पर बना नेशनल वॉर मेमोरियल शहीद चक्रों की प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। यह सील्स का हौसला भी बढ़ रहा है। अब भारत में पीएम मोदी ने आर्मी स्टाफ (सीडीएस) का पद धारण कर सेना की ताकतों की रक्षा की और मजबूत भी किया। सीडीएस तिकड़ी के प्रमुख हैं। यानी किसी दुश्मन देश की हरकतों का जवाब देने के लिए अब सेना खुद सक्षम हो गई है। इसके लिए उसे सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। सीडीएस ही किसी देश पर जवाबी कार्रवाई का आदेश दे सकता है। इसके अलावा सेना में नारियों के लिए भी सरकार ने पूरी तरह से रास्ते खोल दिए हैं।



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