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World Ovarian Cancer Day : समय पर निदान होने पर 80% महिलाएं ओवेरियन कैंसर को हरा सकती हैं।

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दिन प्रतिदिन ओवेरियन कैंसर (डिम्बग्रंथि कैंसर) की संख्या बढ़ती जा रही है। भारत में हर साल लगभग 50,000 ओवेरियन कैंसर (डिम्बग्रंथि का कैंसर) के मामले सामने आते हैं। यह महिला जन्म प्रणाली के किसी भी अन्य कैंसर की तुलना में मृत्यु का कारण बनती है। बढ़ती उम्र के साथ खतरा अधिक हो जाता है, साथ ही धूम्रपान (धूम्रपान) और अन्य नशीले पदार्थों का उपयोग करने वाली महिलाओं में भी खतरा अधिक होता है। यदि शुरुआती चरण में इसका निदान किया जाता है, तो लगभग 80 से 90% महिलाएं रिकवर हो जाती हैं।


आज वर्ल्ड ओवेरियन कैंसर डे के मौके पर हम आपके लिए लेकर आए हैं, ओवेरियन कैंसर (डिम्बग्रंथि का कैंसर) से जुड़ी कुछ मत्पूर्ण जानकारियां। तो जानिए इसके लक्षण, आडें के साथ ही जाने किनको होता है इसका सबसे बड़ा खतरा।

हेल्दी शॉट्स ने डिम्बग्रंथि के कैंसर के लक्षण (डिम्बग्रंथि के कैंसर के लक्षण) और बचाव के उपायों (डिम्बग्रंथि के कैंसर से कैसे बचें) के बारे में जानने के लिए पीड़ितों के लिए सिटीज हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, डॉ नितिन सिंघल से बात की।
ओवेरियन कैंसर क्या है (डिम्बग्रंथि का कैंसर)

डिम्बग्रंथि के कैंसर के बारे में सचेत होना बहुत जरूरी है। चित्र : उजागर करें

ओवेरियन कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो ओवरी की कोशिकाओं में बनता है। यह कैंसर सबसे आम प्रकार का ओवरी की सतह पर “उपकला” संश्लेषण का रूप है। इसके अलावा कैंसर अंडे बनाने वाले “रोगाणु” तत्व या बाह्य ऊतक (स्ट्रोमा) से विकसित होते हैं।

वर्ल्ड ओवेरियन कैंसर डे (वर्ल्ड ओवेरियन कैंसर डे)

हर साल 8 मई को वर्ल्ड ओवरियन कैंसर डे के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का मकसद लोगों को प्रवासी कैंसर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करना और उन्हें इसकी प्रति सचेत करना है। इस दिन बड़े-बड़े वीडियो फुटेज में कई अभियान चलाए गए। यह अभियान केवल महिलाओं के लिए ही नहीं होता, बल्कि पुरुषों को भी इसकी उचित जानकारी होना अनिवार्य है।

इसका प्रति सचेत रहना इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि डिम्बग्रंथि के कैंसर के शुरुआती लक्षणों को पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है। इसके लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि आमतौर पर लोग इसे पाचन संबंधी समस्या समझ लेते हैं।

इस वर्ष विश्व ओवेरियन कैंसर दिवस की थीम “कोई वीमेन नहीं छोड़ा बिहाइंड” रखा गया है। इसका मतलब यह है कि कोई भी महिला इसके बारे में जागरुक होने के पीछे नहीं रहती।

समय पर पहचान हो जाए, तो बचाया जा सकता है

डॉ नितिन के अनुसार इस कैंसर से पीड़ित 80% महिलाएं तब इलाज के लिए आती हैं, जब उनका कैंसर तीसरी स्टेज या उससे भी आगे पहुंच जाता है। क्योंकि इस समस्या में नजर आने वाले लक्षण बिल्कुल आम दिनों के जैसे हैं। इसलिए इसके लक्षणों को पहचानना थोड़ा मुश्किल है।

ग्लोबोकैन 2018 की फैक्ट शीट के अनुसार ओवेरियन कैंसर भारतीय महिलाओं में तीसरा और विश्व में आठवां सबसे आम कैंसर है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार समग्र कैंसर में से 3.44% डिम्बग्रंथि के कैंसर के मामले मिलते हैं। पहली स्टेज में ओवेरियन कैंसर का डायग्नोसिस होने पर लगभग 94% महिलाएं 5 साल तक नजर रखती हैं। केवल 15% मामले में ही इस स्तर पर डायग्नोसिस हो सकता है।


लगभग 62% मामलों का पता III और IV चरण में लगता है। इस चरण पर मामलों का पता चलने पर केवल 28% महिलाएं ही 5-वर्ष की अवधि को पूरा कर पाती हैं।

अंडाशयी कैंसर
ज्यादातर महिलाओं में एथिलियल कैंसर होता है। चित्र : उजागर करें

डिम्बग्रंथि के कैंसर के इन लक्षणों को न करें इग्नोर (डिम्बग्रंथि के कैंसर के शुरुआती लक्षण)

पेट में सूजन आना या हर समय ब्लोटिंग महसूस होना।
पेट और कूल्हे के बीच के क्षेत्र में दर्द या लेने का एहसास।
भूख न लगना या खाने के बाद पेट का अधिक भरा हुआ महसूस होना।
बार-बार बयान देना।
खट्टी डकार आना।
कब्ज या दस्त होना।
पढ़ाई में अधिक दर्द महसूस होना।
हर समय थकान महसूस होना।
अचानक बेवजह वजन का गिरना।
सेक्स के दौरान अधिक दर्द का अनुभव होना।
सांस लेने में तकलीफ होना।
फ्लो में बदलाव होना।
बुखार आना।

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इन महिलाओं को ज्यादा सावधान रहना चाहिए

1. बढ़ती उम्र

उम्र बढ़ने के साथ डिम्बग्रंथि के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। आम तौर पर 50 से अधिक उम्र की महिलाओं में डिम्बग्रंथि के कैंसर के मामले मिलते हैं।

2. जीन परिवर्तन

डिम्बग्रंथि के कैंसर का एक कारण जीन परिवर्तन भी होता है। माता-पिता से मिले जीन भी कहीं न कहीं इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। BRCA1 और BRCA2 जीन डिम्बग्रंथि के कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं। ये जीन स्तन कैंसर के खतरे को भी हैं।

3. पारिवारिक इतिहास

यदि आपके परिवार में कोई भी महिला कभी डिम्बग्रंथि के कैंसर से पीड़ित है, तो आम महिलाओं की तुलना में आपको अधिक खतरा होता है।

4. बढ़ता वजन भी इसका कारण हो सकता है

अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होने से डिम्बग्रंथि के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए हेल्दी वेट में टेन करना बहुत जरूरी है।

5. पोस्टमेनोपॉज़ल हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी

रजोनिवृत्ति के लक्षण और लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेने से डिम्बग्रंथि के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

क्या है ओवेरियन कैंसर
यदि यह कैंसर शरीर के अन्य अंगों तक पहुंचता है, तो इसके लक्षण भी बदल सकते हैं। चित्र : उजागर करें

6. कभी गर्भवती नहीं होने पर

यदि आप कभी प्रेग्नेंट नहीं हुई हैं, तो आपको डिम्बग्रंथि के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

7. कम उम्र में मासिक धर्म आना और उचित उम्र में मेनोपॉज न होना

कम उम्र में मासिक धर्म का शुरू होना और अधिक उम्र में मेनोपॉज होना दोनों ही डिम्बग्रंथि के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

इससे बचाव के लिए इन बातों का रखें खास ध्यान

डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के लिए सेंटर डिम्बग्रंथि के कैंसर से बचाव के लिए मुश्किल है, आप इसे होने से रोक नहीं सकते हैं, लेकिन इसके कारणों पर काम करते हुए इसे रोका जा सकता है। अपने शुद्ध जीवन काल में एक बच्चा अवश्य जन्म देता है, इसके अलावा बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग करवाना बहुत जरूरी है, क्यूकी कई शोध का मानना ​​है की ब्रेस्टफीड न करवाना भी डिम्बग्रंथि के कैंसर का कारण बनता है।

यदि पेट में अधिक ब्लोटिंग और गैस का एहसास होता है तो एक नियमित चेकअप ट्रिगर में कोई हार नहीं है।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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