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World Environment Day : जानिए कैसे प्रदूषण मुक्त पानी के लिए काम कर रही हैं जेबा जोरिया एहसान।- विश्व पर्यावरण दिवस पर पढ़ें जेबा जोरिया एहसान का स्वच्छ और स्वच्छ पानी के लिए संघर्ष।

जेबा जोरिया एहसान वर्षों से जल संरक्षण और जलवायु परिवर्तन पर काम करती हैं। इस सामाजिक काम को वे भारत के अलग-अलग राज्यों में प्रदर्शन करते हैं। भारत के पड़ोसी देश नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश के पड़ोसी देशों के साथ मिलकर भी वे इस दिशा में काम करते हैं। क्लाइमेट चेंज वॉटर के संरक्षण पर बनाई गई फिल्में भी अटकी हुई हैं। आइए हेल्थशॉट्स से उनसे हुई बातचीत में उनके जीवन की प्रेरणादाई कहानी (Zeba Zoriah Ahsan Inspirational Story) जानते हैं।

विश्व पर्यावरण दिवस या विश्व पर्यावरण दिवस (विश्व पर्यावरण दिवस- 5 जून)

पर्यावरण की रक्षा के लिए दुनिया भर में लोगों को सचेत करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व पर्यावरण दिवस मनाता है। विश्व पर्यावरण दिवस 2023 की थीम प्लास्टिक खत्म करें और इकोसिस्टम रिस्टोर करें (#BeatPlasticPollution, Ecosystem Restoreation)।

जेबा को बचपन से पानी की समस्या ने खींचा (Water Problem)

जेबा जोरिया एहसान का जन्म असम के दुलियाजान शहर में हुआ। इसी शहर में उनकी स्कूलिंग भी हुई। बाद में हायर स्टडी के लिए वे सिक्किम और फिर बाद में दिल्ली गए। उन्होंने करियर बनाने के लिए इंजीनियरिंग की डिग्री ली। लेकिन विषम परिस्थितियों ने उन्हें पानी की तरफ मोड़ दिया। दरअसल असम में हमेशा पानी और बाढ़ की समस्या हो रही है। हर साल हजारों लाखों बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं। पानी से हुए कटान के कारण इंसान, जानवरों के साथ-साथ पर्यावरण की भी चपेट में आ जाता है। वहीं देश के दूसरे कोने राजस्थान, महाराष्ट्र और बुंदेलखंड जैसे इलाकों में पानी की कमी के कारण जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो जाता है। यह सब देखकर बचपन से ही ज़ेबा पानी की समस्या के बारे में सोचती रहती है। वे कहते हैं, ‘जलवायु परिवर्तन और पानी की समस्या को गहराई से जानने की इच्छा बचपन से थी। मेरे शिक्षकों और पिता से बातचीत करने के बाद मैंने इस क्षेत्र के लिए काम करने का मन बना लिया।’

जीवाणु परिवर्तन और जल संरक्षण सबसे बड़ी समस्या (जलवायु परिवर्तन और जल संरक्षण)

पुख्ता के रूप में काम करने के लिए उन्होंने जल संरक्षण और जलवायु परिवर्तन में मास्टर कोर्स किया। यह कोर्स उन्होंने दिल्ली से वाटर साइंस एंड गवर्नेंस (वाटर साइंस एंड गवर्नेंस) टेरी से किया। जेबा कह रहे हैं,वृष्टि परिवर्तन और जल संरक्षण आज दुनिया की सबसे बड़ी समस्या बन गई है। इसलिए इसके बारे में सभी को गम्भीरता से और गहराई से जानना चाहिए। किसी न किसी रूप में जलवायु परिवर्तन हर व्यक्ति को प्रभावित कर रहा है। अब मैं खुद को पूरी तरह से जल संरक्षण के प्रति समर्पित कर चुका हूं।’

स्वच्छ जल पर लगातार खोज (शुद्ध जल पर शोध)

आज भी वे जल संरक्षण पर लगातार शोध (जल संरक्षण पर शोध) करती रहती हैं। वे इस बात पर जोर देते हैं, ‘हिंदुस्तान जैसे बड़े देश में पानी पर कोई एक समाधान नहीं हो सकता है।’ हर राज्य की अलग समस्या है। कहीं पानी की अधिकता है, तो कहीं पानी की कमी है। पानी की समस्या दोनों जगह है। जल संरक्षण से अधिक जल जीव (जल प्रबंधन) की आवश्यकता अधिक है।’

महिलाओं के चंगेज पुरुषों से अलग

ज़ेबा लगातार इस पर काम कर रहा है। गाँव-गाँव में लोगों को समझना पड़ता है। अगर फील्ड वर्क के दौरान वे किसी गांव में जाते हैं तो उनका अनुभव बिल्कुल अलग होता है। ज़ेबा कहते हैं, ‘हमारा देश पितृसत्तात्मक है।

जेबा गांव जाने वाले लोगों को पानी के बारे में समझाते हैं

इसलिए किसी भी लड़की या महिला के सामने समस्या भी अलग तरह की दिखाई देती है। पुरुषों से भी उनकी चुनौतियाँ अलग होती हैं। कई जगह कांच की सीलिंग होती है, जिसे तोड़कर महिलाएं आगे बढ़ती हैं।’

कार्य जीवन संतुलन

ज़ेबा कहते हैं, किसी दिन काम थोड़ा ज़्यादा रहता है, तो कुछ दिन कम। मेरा मानना ​​है कि कोई भी काम अगर आपको बोझ लगता है, तो उस काम को करने में काफ़ी मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। क्योंकि मुझे पानी के संरक्षण पर काम करना पसंद है, तो यह मुझे आसान लगता है। वर्क लाइफ बैलेंस (Work Life Balance) होना सबसे जरूरी है।’

जेबा मानते हैं कि कार्य जीवन संतुलन होना बहुत जरूरी है।

ज़ेबा को लोगों से बातचीत करने, उन्हें इस विषय के बारे में समझाने के अलावा लगातार लेखन भी करना पड़ता है। कई बार लोगों को समझाना इतना आसान नहीं होता, लेकिन कोशिश करने पर परेशानियां हल हो जाती हैं।

सिल्वर बॉयोस्कोप अवार्ड

अर्थ पत्रकारिता नेटवर्क और टेरी के तहत ज़ेबा ने कई स्टोरीज और विडियो बनाये। वाटर इन अर्बन इंडिया विषय पर उन्होंने और उनकी टीम ने एक शॉर्ट फिल्म भी बनाई है। इसमें असम के गुआहाटी शहर के वेटलैंड की समस्या के बारे में हाईलाइट किया गया था। इस फिल्म को बहुत अधिक सत्यापन किया गया है। ज़ेबा फिल्म के छात्र नहीं हैं, इसके बावजूद उनके लिए यह अच्छा अनुभव रहा है। उन्हें बहुत कुछ सीखने को भी मिला। पानी की समस्या पर उन्होंने असमिया भाषा में भी एक फिल्म बनाई है। इस फिल्म को सिल्वर बॉयोस्कोप अवार्ड (सिल्वर बायोस्कोप अवार्ड) भी मिला

जल पेशेवर बनने में कर्मचारियों का योगदान

जल व्यवसायी में सबसे बड़ा योगदान उनके माता पिता पिता का रहा है। उनके माता-पिता उन्हें बहुत आगे बढ़ाते हैं। खासकर उनके पिता। ज़ेबा कहता है, ‘जब भी उन्हें किसी देश में पानी से संबंधित समस्या का पता चलता है, तो वे मुझे तुरंत सूचित कर देते हैं। वे मेरे साथ पानी की समस्या पर लंबी चर्चा भी करते हैं।” स्वच्छ भारत सर्वेक्षण जैसी सरकारी योजनाओं के साथ ज़ेबा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ जुड़कर भी काम कर रहे हैं। इससे क्रॉस कंट्री लेनिंग हो गई है

जल व्यवसायी में सबसे बड़ा योगदान जेबा के माता पिता का रहा है। चित्र : इंस्टा ग्राम

समाज की समस्या के प्रति लोग जागरूक हैं

ज़ेबा जोरिया एहसान बचपन से ही अपने आस-पास की रोशनी और सामाजिक कार्यों के प्रति सावधानी बरतती थीं। वे लोगों से अपील करते हैं कि सभी लोगों को व्यक्तिगत स्तर पर समाज की स्थिति के प्रति जागरूक होना चाहिए। भारत सरकार की योजनाओं की जानकारी रखनी चाहिए, ताकि वे राज्य और देश में लागू होने वाली योजनाओं को जान और समझ सकें। ऐसा तभी होगा जब देश और समाज का भला होगा।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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