
UNITED NEWS OF ASIA. गौरेला-पेंड्रा-मरवाही/प्रयास कैवर्त । गौरेला-पेंड्रा-मरवाही का आदिवासी अंचल आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। यहां की महिलाएं मासिक धर्म जैसी प्राकृतिक प्रक्रिया के दौरान गंभीर परेशानियों से जूझ रही हैं। सैनेटरी पैड जैसी मूलभूत सुविधा की अनुपलब्धता के कारण ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों की महिलाएं अस्वच्छ व असुरक्षित विकल्प अपनाने को मजबूर हैं। इससे संक्रमण और गंभीर बीमारियों का खतरा लगातार बढ़ रहा है।
गांवों में महिलाओं के लिए बाजार तक पहुँचना कठिन है, वहीं कई स्थानों पर सैनेटरी पैड उपलब्ध ही नहीं होते। मजबूरी में महिलाएं फटे कपड़ों या अन्य अस्वच्छ सामग्री का उपयोग करती हैं, जो उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक साबित हो रहा है।
इसी गंभीर समस्या को लेकर एनएसयूआई पदाधिकारी शुक्रवार को एसडीएम कार्यालय पहुँचे और ज्ञापन सौंपा। इस दौरान प्रदेश उपाध्यक्ष शुभम पेद्रो, जिला महामंत्री अरुण चौधरी, नवीन पुरी, प्रीति उईके, सत्यम, सूरज, आरती, प्रीति सहित अनेक कार्यकर्ता मौजूद रहे।
एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष शुभम पेद्रो ने कहा—
“हमने कई गांवों में देखा कि बहनों को सैनेटरी पैड नहीं मिलते। वे मजबूरी में असुरक्षित तरीके अपनाती हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। हमारी मांग है कि आदिवासी अंचल में तुरंत मुफ्त या सस्ती दर पर पैड उपलब्ध कराए जाएं।”
ज्ञापन में यह भी मांग की गई है कि स्वास्थ्य विभाग गांव-गांव जाकर महिलाओं को स्वच्छता के महत्व के प्रति जागरूक करे और स्कूल-कॉलेज स्तर पर सैनेटरी पैड की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
एनएसयूआई ने प्रशासन को चेताया है कि यह केवल स्वास्थ्य का नहीं, बल्कि महिलाओं की गरिमा और उनके बुनियादी अधिकारों का सवाल है। अब देखना यह होगा कि सरकार और प्रशासन इस गंभीर समस्या का समाधान कितनी जल्दी कर पाते हैं।
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