
UNITED NEWS OF ASIA. मुंगेली | छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के पथरिया विकासखंड के ग्राम किरना की स्व-सहायता समूह की महिलाएँ अब रेशम कीट पालन से आत्मनिर्भर बन रही हैं। अर्जुन पौधों पर कोसा पालन कर ये महिलाएँ हर साल लाखों रुपये की आमदनी अर्जित कर रही हैं।
ग्राम किरना में 10 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित अर्जुन पौधरोपण प्रक्षेत्र में कार्यरत महिला स्व-सहायता समूह ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 2500 स्वस्थ डिम्ब समूह (कोसा बीज) से 60,000 नग उच्च गुणवत्ता के कोसा फल का उत्पादन किया। इससे 14 महिला हितग्राहियों ने कुल 2.50 लाख रुपये की आय अर्जित की।
छोटे प्रयास से बड़ी सफलता
रेशम विभाग के सहायक संचालक श्री घनश्याम धुर्वे ने बताया कि यह समूह 2004-05 में रेशम परियोजना के अंतर्गत गठित हुआ था। प्रारंभ में महिलाओं ने छोटे स्तर पर कोसा पालन का कार्य शुरू किया था, लेकिन समय के साथ उनके प्रयासों और प्रशिक्षण के चलते यह अब बड़े स्तर पर फैल चुका है।
समूह की अध्यक्ष प्रेमबाई और उपाध्यक्ष नीराबाई ने बताया कि रेशम विभाग द्वारा उन्हें प्रशिक्षण एवं तकनीकी मार्गदर्शन मिला, जिससे वे आधुनिक तरीकों से कोसा पालन कर रही हैं। इससे उनकी आमदनी में भारी वृद्धि हुई है।
आर्थिक सशक्तिकरण की मिसाल
समूह की महिलाएँ अब इस आमदनी से अपनी आर्थिक स्थिति सुधार रही हैं। प्रेमबाई बताती हैं, “कोसा पालन से हुई कमाई से हमने अपने कच्चे मकान को पक्का बनाया और बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी उठा रहे हैं।”
इस सफलता ने अन्य ग्रामीण महिलाओं को भी प्रेरित किया है, जिससे वे भी कोसा पालन एवं स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं। यह पहल महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि साबित हो रही है।
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