छत्तीसगढ़

मशरूम उत्पादन से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ती कबीरधाम जिले की महिलाएं

कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा में प्रशिक्षण एवं प्रमाण पत्र वितरण, फल-सब्जी आचार निर्माण पाम्पलेट का विमोचन

 UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा | कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा में मशरूम उत्पादन विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व जिला पंचायत सदस्य श्रीमती रश्मि विजय शर्मा उपस्थित रहीं। कार्यक्रम में कौशल भारत और ग्रामीण युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण के अंतर्गत जिले की 106 महिला प्रतिभागियों को मशरूम एवं माली प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

कार्यक्रम के दौरान सफल प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए और फल एवं सब्जियों के आचार बनाने की विधि पर प्रकाशित पाम्पलेट का विमोचन किया गया।


कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.पी. त्रिपाठी ने केन्द्र की गतिविधियों की जानकारी दी।

रश्मि विजय शर्मा ने कहा,

“महिलाएं अब कृषि में पुरुषों के बराबर भागीदार बन रही हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ लेकर महिलाएं आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त हो सकती हैं। मशरूम प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है, जिसमें 20-35% प्रोटीन के साथ विटामिन सी, डी, पोटैशियम, फॉस्फोरस, सोडियम और सूक्ष्म मात्रा में लोहा पाया जाता है। यह मानसिक तनाव के मरीजों के लिए भी लाभकारी है।”

प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को मशरूम उत्पादन की सैद्धांतिक और प्रायोगिक जानकारी दी गई। बताया गया कि मशरूम उत्पादन के लिए पैराकुट्टी, गेहूं भूसा, धान भूसा, पॉलीथीन बैग, नायलॉन रस्सी, मशरूम बीज, प्लास्टिक ड्रम, बांस की टोकरी, बावस्टिन एवं फार्मोलिन जैसी सामग्री आवश्यक होती है।

प्रशिक्षकों ने बताया कि बीजाई के 15-20 दिन बाद पहली फसल प्राप्त होती है और एक बैग से 2-3 बार फसल ली जा सकती है। उत्पादन लागत लगभग ₹15-20 प्रति किलोग्राम होती है, जबकि बाजार मूल्य ₹100-150 प्रति किलोग्राम तक मिलता है। इससे किसान फसल अवशेषों का सदुपयोग कर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं।

मशरूम उत्पादन में आने वाली समस्याओं जैसे फफूंद संक्रमण और चूहों से बचाव के उपाय भी सिखाए गए। माली प्रशिक्षण में बगीचों की स्थापना, पौध तैयार करने की विधियां (बीज, कलम, लेयरिंग, बडिंग, कटिंग) और पौधों की सधाई-कटाई का प्रायोगिक अभ्यास कराया गया। साथ ही उपयोगी कृषि यंत्रों के संचालन एवं रख-रखाव की जानकारी भी दी गई।

इस अवसर पर सविता ठाकुर, निशा साहू, वैज्ञानिक इंजीनियर टी.एस. सोनवानी, डॉ. बी.एस. परिहार, डॉ. एन.सी. बंजारा सहित अधिकारी, कर्मचारी, जनप्रतिनिधि एवं ग्रामीण उपस्थित थे।

 


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