
UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर । छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार के सुशासन का असर अब नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। वर्षों तक नक्सली हिंसा और भय के साए में जीने वाली बस्तर की महिलाएँ अब आत्मनिर्भर बनने की राह पर हैं। प्रदेश सरकार के सहयोग से ये महिलाएँ अब प्राकृतिक फूलों और सब्जियों से हर्बल गुलाल तैयार कर न केवल अपनी आजीविका चला रही हैं बल्कि दूसरों के जीवन में भी रंग भर रही हैं।
बदलता बस्तर: नक्सलवाद से आत्मनिर्भरता तक का सफर
बस्तर क्षेत्र लंबे समय से नक्सल गतिविधियों से प्रभावित रहा है, जिसके चलते यहाँ रोजगार के अवसर सीमित रहे हैं। इस कारण खासकर महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के अवसर नहीं मिल पाए। लेकिन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सरकार ने इस स्थिति को बदलने के लिए कई सकारात्मक पहल की हैं। इन्हीं में से एक पहल स्व-सहायता समूहों के माध्यम से हर्बल गुलाल निर्माण की है, जिसने महिलाओं के जीवन को एक नई दिशा दी है।
नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के भैरमगढ़ पंचायत के शिविर में रहने वाली महिलाएँ ‘माँ दुर्गा महिला स्व-सहायता समूह’ के माध्यम से हर्बल गुलाल बना रही हैं। ये महिलाएँ पहले नक्सली हिंसा के कारण अपने घर-गाँव छोड़ने को मजबूर थीं, लेकिन अब वे आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं।
फूलों से गुलाल: बस्तर की महिलाओं की नई पहचान
महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे हर्बल गुलाल पूरी तरह से प्राकृतिक हैं। ये हल्दी, चुकंदर, पलाश, टेसू के फूल, गेंदा फूल, पालक भाजी, लाल भाजी और बेसन जैसे जैविक तत्वों से बनाए जाते हैं। इन सामग्रियों को पहले धूप में सुखाया जाता है, फिर पीसकर इन्हें गुलाल के रूप में तैयार किया जाता है।
महिला सशक्तिकरण को नई उड़ान
जनपद पंचायत सीईओ पुनीत राम साहू ने बताया कि यह समूह हर साल 50 किलो से अधिक हर्बल गुलाल तैयार करता है और इसे बेचकर अच्छी आमदनी प्राप्त करता है। इस वर्ष भी हर्बल गुलाल की मांग तेजी से बढ़ी है और स्थानीय बाज़ार से लेकर सरकारी एवं निजी संस्थानों तक से इसके ऑर्डर आ रहे हैं।
स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष फगनी कवासी और सचिव अनीता कर्मा का कहना है कि सरकार की मदद से उन्हें हर्बल गुलाल बनाने की ट्रेनिंग मिली, जिससे वे आज आत्मनिर्भर बन सकी हैं। जिला पंचायत और प्रशासन भी इनके उत्पादों को बाज़ार तक पहुँचाने में मदद कर रहा है।
बस्तर की महिलाओं का भविष्य अब ‘रंगीन’
राज्य सरकार इस अनोखी पहल को बड़े स्तर पर विस्तारित करने की योजना बना रही है, ताकि अन्य क्षेत्रों की महिलाएँ भी इस उद्योग से जुड़कर आत्मनिर्भर बन सकें। जल्द ही बस्तर के हर्बल गुलाल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी पहचान दिलाने की योजना बनाई जा रही है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दी शुभकामनाएँ
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा, “हमारी सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की यह पहल न केवल उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी बल्कि उनके आत्मसम्मान को भी बढ़ाएगी। यह देखकर खुशी होती है कि जिन महिलाओं का जीवन कभी भय के साए में था, वे आज अपने हुनर से प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं।”
बस्तर में बदलाव की बयार
आज जब बस्तर की महिलाएँ हर्बल गुलाल बनाकर अपने जीवन को नए रंग दे रही हैं, यह एक सकारात्मक संकेत है कि सरकार के सही दिशा में किए गए प्रयास समाज को बदल सकते हैं। यह पहल केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि एक क्रांति है जो महिलाओं को सशक्त बनाने के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल होली खेलने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
अब यह कहना गलत नहीं होगा कि “जहाँ कभी बंदूकों की गूँज थी, वहाँ अब खुशियों के रंग बिखर रहे हैं।
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