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छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा नीति पर सियासी घमासान, क्या निजी विश्वविद्यालयों से सुधरेगी शिक्षा व्यवस्था?

UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक 2025 को चर्चा के बाद पारित कर दिया गया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा सरकार राज्य को विकासशील से विकसित राज्य बनाने के लिए शिक्षा की गुणवत्ता को सर्वोपरि रख रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीते पांच साल में पिछली सरकार ने युवाओं के सपनों को धूमिल किया और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कोई सार्थक पहल नहीं की।

प्रदेश में खुलेगा 18वां निजी विश्वविद्यालय

सीएम साय ने कहा कि वर्तमान में राज्य में 17 निजी विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं और अब दुर्ग जिले के कोहका में रूंगटा स्किल निजी विश्वविद्यालय खोलने की योजना है। यह विश्वविद्यालय युवाओं को कौशल-युक्त शिक्षा प्रदान करेगा, जिससे उन्हें बेहतर करियर विकल्प मिलेंगे और राज्य के सकल प्रवेश अनुपात (GER) को बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना की निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग ने भी अनुशंसा की है।

भाजपा विधायक अजय चंद्राकर का हमला

भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि पिछली सरकार के दौरान लाया गया निजी विश्वविद्यालय कानून सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अमान्य कर दिया गया था। उन्होंने कहा, “उस समय ऐसे-ऐसे कुलपति थे जो लूना पर चलते थे, पंचर की दुकान में खड़े रहते थे और उनकी गाड़ी में ‘कुलपति’ लिखा होता था।”

उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के शासनकाल में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव हुए और कई नए विश्वविद्यालय खोले गए। लेकिन निजी विश्वविद्यालयों में फैकल्टी और प्लेसमेंट जैसी व्यवस्थाओं को और मजबूत करने की जरूरत है।

कांग्रेस विधायक व्यास कश्यप ने दी यह सलाह

विपक्ष की ओर से कांग्रेस विधायक व्यास कश्यप ने कहा कि निजी विश्वविद्यालय खोलने के बजाय सरकारी कॉलेजों की संख्या और गुणवत्ता में सुधार किया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि निजी विश्वविद्यालय केवल डिग्री बेचने का काम कर रहे हैं और उनमें अधिकांश छात्र सिर्फ औपचारिक डिग्री लेने आते हैं, शिक्षा का असली उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है।

उच्च शिक्षा पर गंभीर मंथन की जरूरत

विधानसभा में बहस के दौरान यह भी सामने आया कि राज्य में 8-9 हजार शिक्षकों के पद रिक्त हैं, जिन्हें जल्द से जल्द भरा जाना चाहिए। विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि “बाबा साहब अंबेडकर कहते थे कि शिक्षा शेरनी का दूध है, जो इसे पिएगा, वह दहाड़ेगा।” उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षा प्रणाली को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जाना चाहिए।

क्या कहते हैं आंकड़े?

  • वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 17 निजी विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं।
  • जल्द ही 18वां निजी विश्वविद्यालय – रूंगटा स्किल निजी विश्वविद्यालय (कोहका, दुर्ग) स्थापित होने जा रहा है।
  • राज्य में उच्च शिक्षा संस्थानों की संख्या बढ़ी है, लेकिन शिक्षकों की भारी कमी और प्लेसमेंट को लेकर अब भी सवाल उठ रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा को लेकर सरकार और विपक्ष दोनों की अलग-अलग राय है। भाजपा सरकार जहां निजी विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ाकर शिक्षा के विस्तार पर जोर दे रही है, वहीं कांग्रेस का मानना है कि सरकारी कॉलेजों और संस्थानों में सुधार करने की जरूरत है। अब देखना यह होगा कि यह नया संशोधन विधेयक छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था को कितनी मजबूती देता है।

 


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