
UNITED NEWS OF ASIA. महेंद्र शुक्ला, मनेन्द्रगढ़ । छत्तीसगढ़ – जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत गरीबों को मिलने वाला चावल माफियाओं के शिकंजे में है। जानकारी के अनुसार, मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र की करीब 22 उचित मूल्य की दुकानों पर चावल माफियाओं का कब्जा है। इन माफियाओं द्वारा सरकारी चावल को रईस मिल जैसे निजी प्रतिष्ठानों तक पहुंचाया जा रहा है, जहां उसका व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है।
स्थानीय नागरिकों और सूत्रों की मानें तो रईस मिल में जो चावल पहुंच रहा है, उसमें बड़ी मात्रा में सरकारी राशन का चावल होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर गरीबों के हक का अनाज खुलेआम कैसे बाजार में बिक रहा है? क्या प्रशासन इस पूरे खेल से अनजान है या फिर जानबूझकर आंखें मूंदे बैठा है?
सूत्रों के अनुसार, यह पूरा गोरखधंधा एक सुनियोजित साजिश के तहत चल रहा है, जिसमें स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से इन माफियाओं को संरक्षण मिला हुआ है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि कुछ अधिकारी अपने सगे-संबंधियों को लाभ पहुंचाने के लिए इस चुप्पी का सहारा ले रहे हैं। गुपचुप बैठकों और सौदों के जरिए पूरी व्यवस्था को खोखला किया जा रहा है।
इस पूरे प्रकरण में शासन और प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि जब तक उच्चस्तरीय जांच नहीं होती और दोषियों पर कठोर कार्रवाई नहीं होती, तब तक यह काला कारोबार चलता रहेगा और गरीबों को उनका हक नहीं मिलेगा।
क्या कहते हैं जानकार:
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “यह कोई नया मामला नहीं है, वर्षों से राशन चावल की कालाबाज़ारी होती आ रही है। लेकिन इस बार इसका पैमाना बहुत बड़ा है।”
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरकार इस मामले में संज्ञान लेती है या फिर माफियाओं का यह साम्राज्य यूं ही फलता-फूलता रहेगा।
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