राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारत में आजकल भाजपा पर बिफरी नजर आती हैं। कभी सीएम शिवराज सिंह चौहान के दस्तावेज पर सवाल उठाते हैं तो कभी लोधी समुदाय के बीच नारे लगाते हैं कि मैं आपसे बीजेपी के लिए वोट देने को नहीं कहूंगी। यही नहीं इस पर सवाल उठे तो उमा भारती ने ट्वीट करके भी दोहराया कि मैंने ऐसा ही कहा था। ऐसे में सवाल यह है कि असली उमा भारती और बीजेपी के बीच तनाव क्यों है? कभी बीजेपी की फायरबर्ड नेता उमा भारत पार्टी पर ही क्यों अक्सर फायर हो रही हैं?
बहुत अच्छे लड़के, उमा ने की कन्हैया की उम्मीद; फिर करैत सांप से तुलना
बेधड़क और बेबाक बोल के लिए चर्चित उमा भारती 2003 में उभरती थीं। मध्य प्रदेश में उन्होंने मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ अभियान छेड़ा था और उसी के बाद वे सत्ता में आए थे। हालांकि उनके लिए राजयोग कम दिन ही रहा और उनके स्थान पर शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बन गए। सब्सक्राइबर से उमा भारती और बीजेपी के रिश्ते अतिक्रमण-अधिकार हो गए। शिवराज सिंह चौहान भी ओबीसी वर्ग से ही आते हैं, इसलिए उमा भारती के लिए भाजपा पर हमला करना कभी आसान नहीं रहा, लेकिन लोधी बिरादरी के वोटों पर निश्चित रूप से उनका अधिकार है।
जब शराब की दुकान पर उमा भारती ने पत्थर फेंके
उमा भारती को केंद्रीय नेतृत्व ने भी बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं दी है। ऐसे में उनके लिए खुद की जगह एक चुनौती बना रही है। इसी साल मार्च में उमा भारती ने मध्य प्रदेश में शराबबंदी की सलाह दी थी। यही नहीं शराब की एक दुकान पर पत्थर तक मारे गए थे। इसके बाद पार्टी और उमा भारती के बीच संबंध और बिगड़ गए। इस मसले पर शिवराज ने टिप्पणी की तो उमा भारती ने ट्विटर पर कहा कि कभी मेरे मुख्यमंत्री के साथ अच्छे रिश्ते थे। लेकिन बाद में शिवराज ने उनसे सीधे तौर पर बात करना बंद कर दिया।
प्रीतम लोधी को बाहर करने से उमा भारती का गुस्सा बढ़ गया
उमा भारती की यह बात तब और बढ़ गई, जब उनके रिश्ते प्रीतम सिंह लोधी को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। लोधी ने ब्राह्मण बिरादरी की टिप्पणी की थी। तब से ही उमा भारती लोधी समुदाय के बीच जा रही हैं। माना जा रहा है कि उमा की नाराजगी और प्रीतम को बाहर का रास्ता दिखाने से बिरादरी में भाजपा की नाराजगी हो सकती है। मध्य प्रदेश में 50 प्रतिशत आबादी ओबीसी वर्ग की है। इनमें लोधी समुदाय का बड़ा हिस्सा है। इस बिरादरी की बातें पर घाटबाला, सागर, होशंगाबाद, शिवपुरी और सिवनी जैसे क्षेत्र में अच्छी आबादी है।
इस रैली ने उमा और भाजपा की दूरियां बढ़ा दी हैं
अदावत को इससे भी समझ आ सकती है कि पार्टी से निकाले जाने के बाद प्रीतम लोधी ने शिवपुरी में एक रैली निकाली थी। इसमें हजारों लोग शामिल हुए थे। यहां तक कि गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के खिलाफ नारेबाजी भी की। दोनों ही ब्राह्मण नेता हैं। इस घटना ने उमा भारती और बीजेपी के बीच दूरियां भी बढ़ा दी हैं। ऐसे में अब लोधी बिरादरी की स्थिति में उमा के बयानों ने दोनों के बीच तनाव में और ऐसा ही किया है। अगले साल होने वाले चुनाव से पहले देखें दिलचस्प होगा कि बीजेपी और उमा भारती के बीच रिश्ते कैसे जीते।