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अध्यात्म: आखिर कहां है भगवान श्रीकृष्ण का पाञ्चजन्य शंख ? क्या है अभी भी धरती मे मौजूद जानिए पाञ्चजन्य का रहस्य

पाञ्चजन्य शंख का रहस्य जानकर चौंक जाएंगे!!

महाभारत में कृष्ण के पास पाञ्चजन्य,
अर्जुन के पास देवदत्त,
युधिष्ठिर के पास अनंतविजय,
भीष्म के पास पोंड्रिक,
नकुल के पास सुघोष,
सहदेव के पास मणिपुष्पक था।

सभी के शंखों का महत्व और शक्ति अलग-अलग थी।

शंखों की शक्ति और चमत्कारों का वर्णन महाभारत और पुराणों में मिलता है। शंख को विजय, समृद्धि, सुख, शांति, यश, कीर्ति और लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शंख नाद का प्रतीक है। शंख ध्वनि शुभ मानी गई है।
शंख 3 प्रमुख प्रकार हैं- दक्षिणावृत्ति शंख, मध्यावृत्ति शंख तथा वामावृत्ति शंख। इन शंखों के कई उप प्रकार होते हैं।

पाञ्चजन्य का रहस्य:
पाञ्चजन्य बहुत ही दुर्लभ शंख है। समुद्र मंथन के दौरान इस पाञ्चजन्य शंख की उत्पत्ति हुई थी। समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में से 6वां रत्न शंख था।

भगवान कृष्ण के पास पाञ्चजन्य शंख था जिसकी ध्वनि कई किलोमीटर तक पहुंच जाती थी। कहते हैं कि महाभारत युद्ध में अपनी ध्वनि से पांडव सेना में उत्साह का संचार करने वाले इस शंख की ध्वनि से संपूर्ण युद्ध भूमि में शत्रु सेना में भय व्याप्त हो जाता था।

महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण अपने पाञ्चजन्य शंख से पांडव सेना में उत्साह का संचार ही नहीं करते थे बल्कि इससे कौरवों की सेना में भय व्याप्त हो जाता था। इसकी ध्वनि सिंह गर्जना से भी कहीं ज्यादा भयानक थी। इस शंख को विजय व यश का प्रतीक माना जाता है। इसमें 5 अंगुलियों की आकृति होती है।

वर्तमान में कहां है पाञ्चजन्य शंख?
मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के बाद अपना पाञ्चजन्य शंख पराशर ऋषि के तीर्थ में रखा था। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि श्रीकृष्ण का यह शंख आदि बद्री में सुरक्षित रखा है।

घर में शंख हो तो ध्यान रखें इन 8 बातों का

हिंदू धर्म में शंख को घर में रखना बहुत शुभ माना गया है। इससे सुख-समृद्धि बढ़ती है। घर में रखे शंख के विषय में ये 8 बातें ध्यान रखने पर उससे प्राप्त होने वाली शुभता में वृद्धि होती है। जानते हैं शंख के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें…

1. शंख को पानी में नहीं रखना चाहिए।

2. शंख को धरती पर भी नहीं रखना चाहिए। शंख हमेशा एक साफ कपड़ा बिछाकर रखना चाहिए।

3. शंख के अंदर जल भरकर नहीं रखना चाहिए। पूजन के समय शंख में जल भरकर रखा जा सकता है। आरती के बाद इस जल का छिड़काव करने से शारीरिक व मानसिक विकारों से मुक्ति मिलता है।

4. शंख को पूजा के स्थान पर रखते समय खुला हुआ भाग ऊपर की ओर होना चाहिए।

5. शंख को भगवान विष्णु, लक्ष्मी या बालगोपाल की मूर्ति के दाहिनी ओर रखा जाना चाहिए।

पंडित सुधांशु तिवारी
एस्ट्रोलॉजर टैरो कार्ड विशेषज्ञ
राम कथा प्रवक्ता टीवी पैनलिस्ट

 


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