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यूएन बना तो 5 देश बने थे ‘स्वयंभू’, ये नहीं चाहते कोई भी सुधार, जयशंकर ने ध्याना फोकस

छवि स्रोत: फ़ाइल
यूएन बना तो 5 देश बने थे ‘स्वयंभू’, ये नहीं चाहते कोई भी सुधार, जयशंकर ने ध्याना फोकस

संयुक्त राष्ट्र पर एस जयशंकर: यूएन की महत्ता वैसे ही अब कुंद हो गई है। भारत ने कई बार यूएन के वजूद पर ही सवाल उठाए हैं। पीएम मोदी हो या विदेश मंत्री एस जयशंकर, हर बड़े मौकों पर यूएन के वर्तमान समय में प्रासंगिकता को लेकर भारत ने सवाल उठाया है। हालांकि विकसित देश में पांच देशों को वीटो पावर हासिल है, वे नहीं चाहते कि दूसरे देशों को ऐसा लाभ मिले। भारत दशकों से वीटो ताकतवर देश बनने की कोशिश में जुटा है, लेकिन राह मुश्किल ही नजर आती है। इसी बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वीटो पावरफुल कंट्री, यूएन की पुरानी व्यवस्था से लाभ मिल रहा है, वे नए सुधारों का विरोध करते हैं।

जयशंकर ने निशाना साधते हुए कहा कि पुरानी व्यवस्था के लाभार्थी देश यूएन में होने वाले विवाद का विरोध कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि विशेषाधिकार की स्थिति ‘कमजोर’ हो जाएगी। जयशंकर स्वीडन के तीन दिन के दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने स्वीडन में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत की।

साथ ही यूरोपीय संघ (ईयू) एवं हिंद-प्रशांतिमणि मंच (ईआईपी मंत्र) के लिए स्टॉकहोम की अपनी यात्रा के दौरान भारत में जारी किया गया रेखांकन। जयशंकर ने कहा, ‘अब हर संस्थान की तरह इसकी (सुरक्षा परिषद की) भी आज यह समस्या है कि पहले से लाभ ले रहे देश बदलाव नहीं चाहते, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे विशेषाधिकार की उनकी स्थिति कुछ हद तक कमजोर हो जाएगी।’

पांच देश बन गए थे यूएन के ‘स्वयंभू’, बोले जयशंकर

जयशंकर से जब यह पूछा गया कि क्या उन्हें भारत की सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य बनने की कोई संभावना नजर आती है, जयशंकर ने कहा कि हर वर्ष के साथ संयुक्त राष्ट्र की जुड़ाव पर प्रश्न खड़े हो रहे हैं और इसकी बेहतरी के लिए इसमें सुधार होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र को 1940 के दशक में बनाया गया था। उस समय भारत चार्टर का मूल हस्ताक्षरकर्ता था, लेकिन तब वह एक स्वतंत्र देश नहीं था और उस समय पांच देशों ने एक तरह से स्वयं ही स्वयं को चुना था। ये पांच देश आज भी सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं।’

भारत का अस्थाई सदस्य का कार्यकाल पिछले ही साल पूरा हुआ

रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं और उनके पास वीटो का अधिकार है। इसके अलावा दो साल की अवधि के लिए 10 अस्थायी सदस्यों का चयन किया जाता है। भारत के अस्थाई सदस्य के रूप में कार्यकाल पिछले साल दिसंबर में पूरा हुआ था।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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