माना जा रहा है कि फरवरी में राजस्थान विधानसभा के बजट के सत्र के बाद राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। फरवरी में ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का अधिवेशन बुलाया गया है। मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में यह पहला अधिवेशन होगा।
राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक सचिन पायलट ने एक बार फिर अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सचिन पायलट ने जिम्मेदार गहलोत पर परोक्ष रूप पर निशाना साधते हुए कहा कि दादाजी को युवा पीढ़ी के बारे में डाकिया होना चाहिए और युवाओं को न्याय व मौका देना चाहिए। न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न के चक्कर का जिक्र करते हुए सचिन पायलट ने कहा कि अर्डर्न को आठ साल पहले प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था, लेकिन उन्होंने अपनी घटती सार्वजनिक स्थिति के कारण पद छोड़ दिया और इसके बजाय अपनी पार्टी के लिए काम करने का फैसला किया ।
गहलोत पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए सचिन पायलट ने कहा कि लोगों की परवरिश ऐसी होनी चाहिए कि दूसरों का सम्मान करें। सचिन पायलट ने कहा, ‘इज्जत दोगे तो इतना हो जाएगा।’ अशोक गहलोत का नाम लिए ग्रेट सचिन पायलट ने उस भाषा को लेकर निशाना साधा जिसका इस्तेमाल गहलोत ने पूर्व पायलट के लिए किया है। सचिन पायलट ने कहा, ”आप सब जानते हैं.. मेरे बारे में क्या बोला..मैं आपके बीच में आया हूं.. आपकी उम्र में बड़ा हूं इसलिए मेरा दायित्व बनता है.. मैं आपको सही बात बोलूं.. आपके संस्कारों को दुनिया.. आपकी परवरिश ऐसी होनी चाहिए कि आपके लोगों का मान सम्मान करो.. लोगों को इज्जत बख्शो और इज्जत दोगे तो इज्जत हो जाएंगे।”
सचिन पायलट ने गहलोत पर सीधा फिल्टर साधते हुए यह भी कहा कि 32 दोष के पीछे बिना शरीर की जो जीभ है उसे संतुलित करना बहुत जरूरी है। मुंह से निकली हुई बात कभी वापस नहीं आती। उन्होंने कहा कि मैंने राजनीति में मेरे लफ्फाजी से बहुत खुश हैं और राजनीति के अखाड़े में बड़े-बड़ों को पटखनी देते हुए देखा है। सचिन पायलट ने कहा, ” मैंने कभी भी अपने जीव के सामने उन शब्दों का उपयोग नहीं किया जो शब्द मैं अपने लिए नहीं चाहता चाहता हूं। जो शब्द.. जो बातें आप अपने लिए नहीं सुन सकते वो औरों को नहीं बोलनी चाहिए। है कि ‘रगड़ाई’ यानी मेहनत कर निखरने, शब्द का प्रयोग अशोक गहलोत ने परोक्ष रूप से सचिन पायलट के लिए किया था।
हम आपको अभी यह भी बताते हैं कि हाल ही में सचिन पायलट ने शॉट पर निशाना साधते हुए यह भी कहा था कि उन्हें बता देना चाहिए कि वो कौन-सी चमत्कारिकता थी जिससे पेपर लीक हो गए थे। सब्सक्राइबर है कि निर्दिष्ट अशोक गहलोत खुद को राजनीति का जादूगर कहते हैं इसलिए जब पायलट ने जादूगिरी शब्द का इस्तेमाल किया तो इसे सीधा काम पर हमला माना गया।
उद्र, गहलोत भी पायलट का यह बयान सुनकर नाराज हो गए और उनका एक वीडियो वायरल हो गया, जिसमें शामिल होते हुए उन पायलटों में सियोल के रूप में देखे गए कह रहे हैं कि महामारी के बाद पार्टी में “बड़ा कोरोना” आ गया है । ऐसा माना जा रहा है कि गहलोत ने पायलट की तुलना कोरोना वायरस से की है। यह वीडियो गहलोत के बुधवार को कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व बैठक का है। गहलोत ने बैठक के दौरान एक झलक को जवाब देते हुए बिना किसी का नाम लिए कहा, ”मैंने धूम्रपान शुरू किया है…पहले कोरोना आया…हमारी पार्टी में भी एक बड़ा कोरोना घुस गया।”
दूसरी ओर, भाजपा ने राजस्थान में कांग्रेस के इस झंझट पर चुटकी लेते हुए कहा है कि पार्टी की आपसी लड़ाई में राजस्थान की जनता का नुकसान हो रहा है। बीजेपी के प्रवक्ता शाहजाद जयहिंद ने कहा है कि राजस्थान में पेज पोस्ट को लेकर चल रही टिप्पणी जिस तरह बढ़ती जा रही है उसे जनता देख रही है और आने वाले समय में इस स्वायत्त सरकार को सत्ता से सीवी फेंकेगी।
जिद्दी है कि इस साल के अंत में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसा पहले माना जा रहा है कि फरवरी में राजस्थान विधानसभा के बजट के सत्र के बाद राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। फरवरी में ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का अधिवेशन बुलाया गया है। मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में यह पहला अधिवेशन होगा। इस अधिवेशन के बाद कांग्रेस अध्यक्ष जो अपनी नई टीम का गठन करेंगे उसमें अशोक गहलोत की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी हो सकती है। लेकिन देखें कि राजस्थान के भोपाल पोस्ट के लिए कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने से मना कर चुके अशोक गहलोत क्या सत्ता का पद छोड़ कर संगठन में जिम्मेदारी निभाएंगे?
-गौतम मोरारका