
UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर । प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि भाजपा के शासन में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है, और आम नागरिक इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब मोदी सरकार के 11 वर्षों की उपलब्धियों का गुणगान भाजपा नेता करते नहीं थकते, तब जनता को मूलभूत स्वास्थ्य सेवाएं तक क्यों नहीं मिल पा रही हैं?
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की 3.21 करोड़ की आबादी के लिए मात्र एक एम्स—वह भी 2012 में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में स्थापित—अब तक है। मोदी सरकार के दो कार्यकाल में न तो एक भी नया एम्स बना, न ही किसी ठोस योजना का क्रियान्वयन हुआ।
“डबल इंजन सरकार में स्वास्थ्य व्यवस्था खुद ICU में है” – वंदना राजपूत
राजपूत ने कहा कि “भाजपा की यह कैसी सरकार है जहां हर जगह स्वास्थ्य सेवाएं लाचार हैं। इलाज के लिए लोगों को घंटों लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ता है। मामूली बुखार, खांसी तक की जांच रिपोर्ट के लिए लोगों को दिनो-दिन भटकना पड़ता है। गंभीर बीमारी के मरीजों को समय पर बेड, डॉक्टर, और इलाज नहीं मिलने से जान तक गंवानी पड़ रही है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि रायपुर एम्स में एक डिपार्टमेंट से दूसरे डिपार्टमेंट में ‘रिफर’ की लंबी प्रक्रिया और स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को अत्यधिक मानसिक और शारीरिक कष्ट झेलना पड़ता है।
कोरोना की आशंका, लेकिन तैयारी शून्य?
वंदना राजपूत ने राज्य सरकार को चेताते हुए कहा कि यदि आने वाले दिनों में कोरोना महामारी की पुनरावृत्ति होती है, तो क्या इस बदहाल स्वास्थ्य तंत्र के सहारे हम महामारी से लड़ पाएंगे? “डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की हालत ऐसी है, जैसे वह खुद आईसीयू में हो”, उन्होंने तंज कसा।
स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पद, केंद्र की बेरुखी पर सवाल
राजपूत ने आगे आरोप लगाया कि अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है और स्वास्थ्य विभाग के कई पद वर्षों से रिक्त हैं, लेकिन केंद्र सरकार इन नियुक्तियों को लेकर गंभीर नहीं है। “नतीजा यह है कि डॉक्टरों और संसाधनों की कमी का सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है,” उन्होंने कहा।
निष्कर्ष
कांग्रेस की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब भाजपा सरकार केंद्र में अपने 11 साल पूरे होने पर विभिन्न योजनाओं और उपलब्धियों का प्रचार कर रही है।
वंदना राजपूत का यह बयान राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर एक नई बहस को जन्म दे सकता है, विशेषकर तब जब सरकारी दावों और जमीनी सच्चाई में फर्क साफ़ नज़र आ रहा है।
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