
सांकेतिक तस्वीर
नई दिल्ली। ब्रेन ट्रांसफर्ड और ब्रेन हैमरेज दोनों का एक ही नाम तो आपने सुना होगा, लेकिन ज्यादातर लोग इन दोनों के अंतर को नहीं समझ सकते। जबकि प्रत्येक व्यक्ति की अंतर को पहचानना जरूरी है, क्योंकि यह रोगी की जान बचाने में बहुत विफलता साबित हो सकती है। तो आइए हम बताते हैं कि मस्तिष्क विशिष्ट और मस्तिष्क संबंधी हैमरेज क्या है? अगर किसी मरीज पर हमला होता है तो फिर उसकी जान कैसे बचाई जा सकती है और उसका इलाज क्या है?
फोर्टिस अस्पताल, नोएडा में ब्रेन एंड स्पाइन सर्जरी के डायरेक्टर व चंडीगढ़ पीजीआइ के पूर्व कंसलटेंट डॉ राहुल गुप्ता कहते हैं कि ब्रेन और ब्रेन हैमरेज में एक अमृत अंतर है। विशेष रूप से मस्तिष्क दो प्रकार का होता है। पहला इस्किमिक ब्रेन का अनुमान और दूसरा मामूली ब्रेन का। मामूली मस्तिष्क संबंधी अनुमान को ही मस्तिष्क औसत भी कहा जाता है। इस्किमिक ब्रेन आघात या हमला तब होता है, जब दिमाग में रक्त पहुंचता है नसों में किसी तरह से रुकावट आ जाती है और रक्त का संचार हो जाता है। देश के 85 फीसदी लोगों में इस्किमिक ब्रेन लेवल होता है। इसे लाइफस्टाइल डिजीज भी कहते हैं। जबकि नामांकित मध्यम अनुमानित या मस्तिष्क अनुपात तब होता है, जब विभिन्न कारणों से मस्तिष्क में रक्त पहुंचाने वालों को फटकार नहीं लगती है। करीब 15 निवासियों में मिश्रित मध्यम या मध्यम आय है।
इस्किमिक ब्रेन आघात का कारण
इस्किमिक चोट का कारण, अत्यधिक तनाव, स्मोकिंग, खान-पान में गड़बड़ी, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना है। इससे रक्त वाहिकाएं पतली हो जाती हैं और चर्बी के भीतर जमने से वह जाम हो जाता है। ऐसे में खून आगे नहीं गया। कुछ लोगों में यदि हार्ट की समस्या है तो हार्ट के अंदर खास करके एट्रील फाइब्रिलेशन है तो हार्ट के ब्लड में छोटे-दाद गुत्थे या क्लॉट बन जाते हैं और जो गलती से ब्रेन की ओर चले जाते हैं तो उनके आकार के अनुसार ब्रेन की ब्लड वेसेल्स ब्लॉक हो जाती है हो रहा है। इससे आगे ब्लड की सप्लाई नहीं जाती। यह युवा लोगों में दिख रहा है। इस्किमिक मस्तिष्क संबंधी आघात होने पर व्यक्ति बेहोश हो सकता है, चक्कर आ सकता है। शरीर के एक तरफ अंग में शून्यता हो सकती है। चेहरा पतला हो सकता है या आवाज भी जा सकती है।
मामूली मस्तिष्क आघात का कारण
मध्यम आर्थिक लक्षित या मस्तिष्कीय हैमरेज 99 लोगों में ब्लड वेसल्स यानी रक्त की नसे फटने के कारण होते हैं। सिर दर्द या बेहोशी होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
पहले से यदि ब्लड वेसेल्स खराब हैं, इसमें कोई डैमेज या गुब्बारा बना हुआ है, जिसे एन्यूरिज्म कहते हैं या फिर नसों में कोई खराबी है, जिसे आर्टरीवेनस मालफॉर्मेशन (ए एक्सपोजर) कहते हैं या बहुत अधिक हाईपरटेंशन है, जिसके कारण मस्तिष्क के अंदर बहुत संकेत-संबंधी छोटे-दादा बैलून बन जाते हैं, जिसे वेरी एन्यूरिज्म कहते हैं तो उनकी फटने से भी मामूली मस्तिष्कीय स्थिति हो जाती है। कई बार ब्लड प्रेशर फ्लक्चुएट करने से भी ब्रेन की नर्व फट सकती है। पहली बार में ये ज्यादा दिखाई देता है।
उपचार
डॉ राहुल गुप्ता कहते हैं कि ब्लड वेसेल्स में काफी डैमेज हो गया है, न ही फट गया है, गुब्बारा बन गया है या नसों में बचपन से कोई समस्या नहीं है। उस मामले में शेयरिंग करके उसकी मरम्मत की जाती है। ताकि फिर से ब्लीडिंग न हो। जबकि हल्का रक्तस्राव ठीक हो जाता है। यदि ब्रेन साइनस यानी रक्त वाहिकाएं बंद हो गई हैं और रक्त की आपूर्ति नहीं हो रही है, तो इसमें तत्काल उन हिस्सों का जो डैमेज है वो सीटी स्कैन में नजर आएगा। उस ब्लॉकेज को अनधिकृत या विशेष तकनीक से दूर कर दिया जाता है। उनका कहना है कि मिलने से 4 से 6 घंटे के अंदर ऐसे अस्पताल पहुंचते हैं जहां बेहतरीन न्यूरोसर्जन, न्यूरो वर्क, सीटी स्कैन, सीटी एंजियोग्राफी, रोडाई, हार्ट का इकोकार्डियोग्राफी करने की सुविधा मौजूद होती है। तब रोगी की जान बचाई जा सकती है। अटल उद्र जाने में इससे अधिक समय खराब हो जाता है तो यह उसकी जान के लिए घातक हो सकता है।



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