UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बड़ा बदलाव हुआ था. तब मोहन मरकाम को अध्यक्ष पद से हटाकर, मंत्री बनाया गया था और दीपक बैज को अध्यक्ष. दीपक बैज के अध्यक्ष बनने के साथ ही प्रभारी संगठन महामंत्री से लेकर प्रदेश पदाधिकारी बदल दिए गए थे.
जिला और ब्लॉक स्तर पर भी व्यापक बदलाव हुआ था. हालांकि विधानसभा चुनाव में इस बदलाव का फायदा से कहीं ज्यादा नुकसान हुआ. कांग्रेस दूसरी बार सरकार बनाने से वंचित रह गई और भाजपा ‘अउ नइ सहिबो बदल के रहिबो’ नारे के साथ सत्ता में आ गई थी.
भाजपा में सत्ता में वापसी के बाद से कांग्रेस में गदर मचना शुरू हो गया, जिसका असर लोकसभा चुनाव के आते-आते वृहद रूप में दिखा. छोटे से लेकर बड़े पदाधिकारी, नेता-कार्यकर्ता नाराजगी जताते हुए पार्टी छोड़ने, तोड़ने और दूसरे दलों से नाता जोड़ने में लग गए. हालांकि ऐसा सिर्फ प्रदेश स्तर पर ही हुआ ऐसा नहीं है. राष्ट्रीय स्तर भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वाले नेताओं में कई बड़े नाम शामिल हैं.
पार्टी छोड़ और जोड़-तोड़ से कांग्रेस को आंतरिक रूप से क्या नुकसान हुआ यह पार्टी के बड़े नेता बखूबी जानते हैं. लेकिन बाह्य रूप से नुकसान का आंकलन लोकसभा चुनाव परिणाम के साथ पता चलेगा. लेकिन परिणाम से पहले पार्टी में यह चर्चा है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बड़ा बदलाव होने वाला है.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस संगठन में बदलाव किस स्तर का होगा यह लोकसभा परिणाम पर टिका है. लेकिन यह तय है कि संगठन में सर्जरी जबरदस्त तरीके से होगी. क्योंकि संगठन में युवा जोश और अनुभवी वरिष्ठों के बीच समन्वय की भारी कमी दिख रही है. यह भी चर्चा है कि पार्टी छोड़कर जाने वाले कुछ विशेष लोगों को पार्टी में सुलह कराकर वापस लाया जा सकता और उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है.
चर्चा यह भी कि कुछ विधायकों को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी देकर उन्हें आगामी निकाय और पंचायत चुनाव के लिए सक्रिय कर दिया जाएगा. कांग्रेस निकाय और पंचायत स्तर अपनी जमीन मजबूत करने कुछ नए फार्मूले के साथ संगठन में बदलाव करेगी. इसके लिए कुछ ऐसे नेताओं को भी प्रदेश स्तर पर प्रमुख पद दिया जाएगा जो कि लंबे समय से निकाय और पंचायत की राजनीति में रहे हैं. साथ ही कुछ नए मोर्चा और ईकाइयों का गठन भी किया जा सकता है.
वहीं मीडिया विभाग को नए सिरे गठित किए जाने की चर्चा भी है. चर्चा है कि मीडिया विभाग में संतुलन बनाए रखने के लिए संभाग मुख्यालयों से नेताओं को जोड़कर एक प्रदेशस्तरीय टीम का गठन किया जाएगा. साथ ही कई तेज-तर्रार वरिष्ठ नेताओं को मीडिया डिबेट के लिए विशेष जिम्मेदारी दी जा सकती है.
कांग्रेस में बदलाव 2028 के चुनाव के लिहाज से भी होगा. कांग्रेस एक विजन रोडमैप तैयार कर रही है. इसकी रूपरेखा पर दिल्ली स्तर पर चर्चा होने की ख़बर है. लेकिन सबकुछ लोकसभा परिणाम पर टिका है. परिणाम के अनुसार पार्टी की रणनीति को गति और दिशा दी जाएगी. खैर छत्तीसगढ़ कांग्रेस में होने वाले बदलाव से कौन-कौन प्रभावित हो रहा इसके लिए थोड़ा इतजार करना होगा. लेकिन चर्चा है कि बदलाव की जद में छोटे से छोटे और बड़े-बड़े से कार्यकर्ता-नेता आएंगे इसकी आहट अभी से सुनाई पड़ने लगी है.