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वेब सीरीज रिव्‍यू: फर्जी वेब सीरीज रिव्यू हिंदी में शाहिद कपूर विजय सेतुपति केके मेनन अमोल पालेकर अमेजन प्राइम

‘फर्जी’ वेब सीरीज की कहानी

कलाकारों के कलाकारों पर पूरी दुनिया फिदा है। लेकिन क्या हो, अगर कोई कलाकार अपनी कलाकार से जघन्य अपराध की दुनिया में कदम रख दे। ‘द फैमिली मैन’ से ओटीटी की दुनिया में धमाल मचाने वाले राज और डीके की नई वेब सीरीज ‘फर्जी’ ऐसी ही कलाकारों की कहानी है। एक कलाकार सनी है। उसका नाना जी का दलाली प्रेस अब बंद होने की कगार पर है। वह इस बिजनस को बचाने के लिए फर्जी नोटों को छापने की तैयारी करता है। कलाकार है, पकना नोट की उसकी कलाकार वास्तविक के बेहद करीब है। लेकिन इससे पहले कि वह संभल पाता है, वह अब खाता नोट कारोबार के बड़े सिंडिकेट का हिस्सा बन जाता है।

शाहिद कपूर (शाहिद कपूर) वेब सीरीज की ‘फर्जी’ दुनिया में डेब्यू कर रहे हैं। सनी के लीड रोल में हैं। सनी के पिता ने छोड़ दिया है। नाना ने ही उसे अपनाया है। सनी के दिल और दुनिया में इस दुनिया का खलीफा दुखी है, वह उसी के साथ बड़ा हुआ है। उसके सबसे अच्छे दोस्त फिरोज (भुवन अरोड़ा) और उसके नाना (अमोल पालेकर) के अलावा कोई भी नहीं है, जिसे वह अपना स्थान बनाता है। सनी अपने नानू की सदियों पुरानी दौड़ ‘क्रांति’ के ठप हो रहे हैं बिजनस में मदद करना चाहती है। हताशा के साथ शुरू किए गए प्रयास में जल्द ही उसे एक कलाकार के रूप में अपनी क्षमता का एहसास होता है। सनी अब ‘फर्जी’ नोट्स डिजाइन कर सकती हैं।

‘फर्जी’ वेब सीरीज रिवे

पकना नोट का गोरखधंधा, एक ऐसा अपराध है जिसे शायद ही कभी इस तरह के पर्दे पर दिखाया गया है। शो के क्रिएटर और डायरेक्‍टर राज और डीके एक ऐसी कहानी लेकर आए हैं, जिसमें रोमांच है, क्राइम है और एक्‍शन भी है। पकना नोट बनाने के क्‍या लक्षण हैं, तकनीकी तौर पर यह कितना मुश्‍किसिल है, छपाई के बाद इसे साझा करने और देश की उद्योग में टाइपिंग करने तक, श्रृंखला में बड़े ही रोमांचक तरीके से इस खतरनाक खेल की पहचान बन गई है। अच्छी बात यह है कि मेकर्स ने इस अपराध को ग्लोरिफाई यानी महिमामंडन नहीं किया है। अपराध को अपराध की तरह दिखाया गया है। इस कारण हम यह देखकर दंग रह जाते हैं कि अपराधी इसका सेवन कैसे करते हैं।

वेब सीरीज में सहयोगी कपूर और विजय सेतुपति जैसे स्टार्स के साथ केके मेन जैसे दिग्‍गज एक्‍टीटर भी हैं। मेकर्स शो को वास्‍त‍विक दुनिया के करीब रखते हैं, लेकिन जब बड़े स्‍टार्स के पर्दे पर होन होते हैं तो इसे कहीं भी ना खींच लिया जाता है। ऐसे में कई मौकों पर यह श्रृंखला थोड़ी अद्भुत लगती है। खासकर तब, जब देश में इतने बड़े आर्थिक अपराध को अंजाम दिया जा रहा हो और उसे रोकने के लिए सिर्फ कुछ अच्छे लोग और एक महिला ही सब जुगत करती दिख रही हो।

‘फर्जी’ वेब सीरीज टेलीकॉम


‘फर्जी’ सीरीज में दिखाए गए किरदार बड़े ही जरूरी और गंभीर हैं। पूरी बात यह है कि हर एक पर्दे को पूरा किया गया है। ये रचनाएं अपनी कहानियां हैं, जो मूल कहानी के साथ चलती रहती हैं। हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि आप हर किसी की व्यक्‍तिगत कहानी से कनेक्‍ट करें। अब जैसे, टास्क फोर्स के अधिकारी माइकल वेदनायगम (विजय सेतुपति) की भूमिका है। यह पूरा ट्रैक ही बहुत मजबूरी महसूस करता है। उनकी कहानी इस तेज-तर्रार रोमांच की गति को धीमा कर देती है। कई बार ऐसा लगता है कि जब मेकर्स बड़े पर्दे से छोटे पर स्विच करते हैं, तो वे स्वेच्छा से बह जाते हैं। ऐसे में टेबल पर स्क्रीन को थोड़ा और चुस्त करके एडिट किया जा सकता है। हालांकि, शो में लगातार कुछ न कुछ घटित होता रहता है, जो दर्शकों के तौर पर आपका रोमांच बनाए रखता है। शो के सिनेमैटोग्राफर पंकज कुमार ने वेब सीरीज होने के बावजूद इसे किसी फिल्म की तरह ट्रीट किया है। फिर भी चौतरफा लोगों की बात ही क्यों ना हो, प्रचार पर खर्च दिखता है।

शाहिद कपूर बेहतरीन एक्‍टर हैं और उन्‍होंने यह बात एक बार फिर साबित कर दी है। ‘कमीने’ फिल्म में उनका जो ‘अच्छे दिल वाला बुरा आदमी’ अवतार था, सनी का किरदार भी कुछ वैसा ही है। हम यह कह सकते हैं कि मैं अपनी पहली ओटीटी सीरीज में टॉप फॉर्म में हूं। उन्नीस बड़ी सहजता से सनी के पर्दे पर उठा है। ठीक यही बात विजय सेतुपति के लिए भी है। साउथ फिल्मों के इस दमदार एक्टटर ने माइकल के चरित्र में अपने ट्रेडमार्क अंदाज में जान डाल दी है। सीरीज में दोनों के लीड एक्टर्स के बीच टकराव होता है। ऐसे में दोनों की दमदार एक्टिंग जीत जाती है।

सीरीज में केके मेन पकना नोट के गोरखधंधे के किंगपिन मंसूर की भूमिका निभा रहे हैं। केके मेनन का रूप धारण कर वह अपनी आंखों पर बहुत ध्यान देते हैं। यहां भी ऐसा ही है। मंसूर तेजतरर है, उसका ग्लैमर और मेट्रोसेक्सुअल ड्रेसिंग हो या बड़ी अंग्रेजी गैलियों का उपयोग, केके मेनन ने हर तरह से रंग जमाया है। भुवन अरोड़ा ने सनी के सबसे अच्छे दोस्त फिरोज के रूप में शानदार हैं। वह इस सीरीज में सरप्राइज पैकेज की तरह हैं। दिग्‍गज एक्‍टर अमोल पालेकर को पर्दे के पीछे का दृश्‍य सूझता है। एक ईमानदार पूर्व स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उनका चरित्र अभी भी देश के युवाओं में अपने अखबार ‘क्रांति’ से दुनिया भर में आशान्वित है। श्रृंखला की कहानी में अधिकाँश चरित्र पुरुषों के हैं। इसमें पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या बहुत कम है। लेकिन बावजूद इसके राशी डेट ने मेघा के रूप में प्रभाव छोड़ दिया है। वह युवा और स्मार्ट और पेशेवर हैं।

ओटीटी और वेब सीरीज की तासीर के समान सीरीज में ढेर सारी गैलियां हैं। डायलॉग्स आज के जमाने के होश से हैं। इसलिए यंग ऑडियंस को कनेक्ट करने में मुश्किल नहीं होगी।

क्यों देखें- कुल मिलाकर कहानी से लेकर एक्टिंग और डायलॉगवॉर्ज तक ‘फर्जी’ एक फ्रेश और बेहद दिलचस्प क्राइम-थ्रिलर है। सीरीज में खासी ज्‍यादा है और खामियां कम, इसलिए देखना तो बनता है।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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