
मैक्सिकन शमीम अहमद की एकल पीठ ने कहा, ”हम एक निराश देश में रह रहे हैं और सभी धर्मों के लिए सम्मान होना चाहिए। हिंदू धर्म में यह विश्वास है कि गाय दैवीय है और प्राकृतिक रूप से समृद्ध है। इसलिए इसकी रक्षा और पूजा की जानी चाहिए।”
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने अंदेशायुक्त है कि केंद्र सरकार गोवध को प्रतिबंधित करने और गायों को ‘संरक्षित राष्ट्रीय पशु’ घोषित करने के लिए उचित निर्णय लेगी। मैक्सिकन शमीम अहमद की एकल पीठ ने कहा, ”हम एक निराश देश में रह रहे हैं और सभी धर्मों के लिए सम्मान होना चाहिए। हिंदू धर्म में यह विश्वास है कि गाय दैवीय है और प्राकृतिक रूप से समृद्ध है। इसलिए इसकी रक्षा और पूजा की जानी चाहिए।”
पीठ ने यह फैसला बाराबंकी निवासी मोहम्मद अब्दुल खालिक की एक याचिका को 14 फरवरी 2023 को खारिज करते हुए पारित किया, जिसमें याचिकाकर्ता के खिलाफ उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम, 1955 के संबंध में दर्ज आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। याचिकाकर्ता अब्दुल खालिक ने याचिका दी थी कि पुलिस ने बिना किसी सबूत के उन पर मुकदमा दर्ज किया है और इसलिए उनके खिलाफ मुख्य मुकदमा दायर अदालत संख्या -16, बाराबंकी की अदालत में मुकदमे की कार्यवाही को रद्द किया जाना चाहिए।
पास करते हुए समन्वित अहमद ने कहा, ”गाय विभिन्न देवी-देवताओं से भी जुड़ी हुई है… खास तौर से भगवान शिव (जिनकी सवारी है, नंदी), भगवान इंद्र (कामधेनु गाय से जुड़े हैं) भगवान कृष्ण (जो) बाल काल में गाय चराते थे) और सामान्य देवी-देवता।” उन्होंने कहा, ”किंवदंतियों के अनुसार, वह (गाय) समुद्रमंथन के दौरान दूध के सागर से प्रकट हुई थी। उन्हें सप्त ऋषियों को दिया गया और बाद में वह महर्षि वशिष्ठ के चरणों में पहुंचे।”
झांसे ने आगे कहा, ”उसके (गाय) पैर चार वेदों का प्रतीक हैं, उसका दूध का स्रोत चार पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) है, उसके सींग का प्रतीक हैं, उसका चेहरा सूर्य और चंद्रमा और उसके कंधे हैं। अग्नि या अग्नि के देवता हैं। गाय को अन्य रूपों में भी वर्णित किया गया है, जैसे नंदा, सुनंदा, सुरभि, सुशीला और सुमना। गाय की पूजा की उत्पत्ति वैदिक कालदूसरी सहस्राब्दी 7वीं शताब्दी पूर्व में भी हो सकती है।”
पीठ ने कहा, ”हिंद-यूरोपीय लोग जो ईसा पूर्व दूसरे सहस्राब्दी में भारत आए वे सभी चरवाहे थे। लोकतांत्रिक का बहुत अधिक आर्थिक महत्व था जो उनके धर्म में भी परिलक्षित होता है। दूधारू गायों का वध पूरी तरह प्रतिबंधित था। यह महाभारत और मनुस्मृति में भी प्रतिबंधित है।’ अदालत ने कहा कि दुधारू गायों को ऋग्वेद में ‘सर्वोत्तम’ बताया गया है। उसने कहा कि किसी लड़के से मिलने वाले पदार्थों से पंचगव्य तक बनाएं इसलिए पुराणों में गोदान को सबसे अच्छा कहा गया है।
पीठासीन ने कहा कि भगवान राम के विवाह में भी गायों को उपहार में देने का वर्णन है। अपने आदेश में अदालत ने कहा, ”जो लोग गाय का वध करते हैं वे नर्क में चले जाते हैं और नर्क में उन्हें एक साल तक लगे रहने देते हैं उनके शरीर में बाल होते हैं।” याचिका खारिज करने से पहले याचिकाकर्ताओं ने कहा कि कि 19वीं और 20वीं शताब्दी के अंत में भारत में गायों की रक्षा के लिए एक आंदोलन शुरू हुआ, जो भारत सरकार से देश में प्रभाव से गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए नागरिकों को एकजुट करने का प्रयास किया।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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