
जिस वक्त मुझे मरदानी की भूमिका मिली, उस वक्त मैं इस स्थिति में नहीं था कि किसी रोल को चुनूं या मना कर दूं। सच कहूं, तो मुझे यशराज में छोटा-सा रोल भी मिलता है, तो मैं हर हाल में करता हूं। मुझे तो रानी मैम (रानी मुखर्जी) के साथ एक लाइन भी मिलती है या एक फ्रेम में साथ रहने का मौका भी मिलता है, तो भी मैं खुशी-खुशी अपना लेता हूं। अगर छवि की बात लेकर मैं इस चीज को ज्यादा चिंता नहीं करता, क्योंकि आखिरकार आपका गोल ही आपको अपनी जगह पर लेकर जाता है और आपकी किस्मत में जो लिखा जाता है, वो तो हो ही जाता है। मैं बस अच्छे रोल की तलाश में रहता हूं। मेरे लिए माध्यम का भी बंधन नहीं है। मुझे छोटे परदे पर जाने में भी कोई ईगो नहीं। मेरे लिए रोल का दमदार होना अहम है।
आपके करियर में लेडी लक काफी काम आया है। ‘मर्दानी’ में क्वीन मुखर्जी, ‘ह्यूमन’ जैसी सीरीज में शेफाली शाह-कीर्ति कुल्हारी और वेंकी का काजोल में सैल्यूट मिला। असल जिंदगी में किन महिलाओं से प्रभावित होते हैं?
दिलचस्प बात यह है कि पहले मैंने प्रड्यूसर (निर्माता आदित्य चोपड़ा) की पत्नी क्वीन मैम और ह्यूमन में भी एक प्रड्यूसर (विपुल अमृतलाल शाह) की पत्नी शेफाली मैम के साथ काम किया तो वो भी एक कॉमन फैक्टर है। इस बार सिर्फ काजोल जी ही नहीं महिला निर्देशक के रूप में रेवती मैम भी मिलीं। जहां तक असल जिंदगी की बात है, तो मेरी अपनी जिंदगी में भी बदकिस्मती से मेरे परिवार में मर्द ज्यादा जी नहीं पाए जाते। जैसे कि मेरे पापा, मेरे बड़े पापा या फिर मेरे दादाजी ने उन्हें भी नहीं देखा था, ये सभी मेरे बचपन में ही गुजर गए थे। अपने नाना को भी मैंने बहुत कम समय के लिए देखा, तो मेरे परिवार की बागडोर महिलाओं ने संभाली। सभी ने बहादुरी से सभी के लिए किए। मैं 13 साल का था, जब मेरे पिता चल बसे। पिता के मिलने के बाद मेरी मां ने घर-घर जाकर धोए, झाड़ू-पोछे का काम किया। एक वक्त ऐसा भी था, जब मेरी मां सुपर मार्केट में सैनिटरी पंचायत करती थी।
बचपन में आपका क्या संघर्ष था और सपने क्या थे?
मुझे सपना देखना क्या होता है इसके बारे में भी नहीं पता था। जिस माहौल में हम रहते थे, वहां पर रोजी-रोटी ही सपना था। हमारे लिए तब मॉल में जाना बहुत बड़ी बात हुई थी। होटल में खाना खाना किसी विदेश यात्रा की तरह था। मैं चुना डांसर के रूप में सारेगामापा में गया और वहीँ मैंने एक्टिंग की क्लास जॉइन कर ली। संघर्ष के उन दिनों में मुझे समझ में आया कि अपनी कमाई से एक साइकिल खरीदना भी कितनी बड़ी बात है। मेरे गुरु शोएब खान ने अभिनय की तालीम ही नहीं बल्कि मां की इतना करना भी सिखाया। मुझे याद है कि मेरी मां केटरिंग का काम करती थी। आम तौर पर वे अच्छी लड़कियों में साडी पहनकर सबसे करती थी। तब कई बार ऐसा होता है कि मां हम लोगों को होती किसी शादी या फंतासी में अच्छा खाना बनाने के लिए बुलातीं वो हमारा दिन दावत था। हम लोग वहां पहुंचकर स्वादिष्ठ भोजन के बारे में जानते थे और किसी को पता नहीं चलता था।
रोटी और खाने की इसी जद्दोजहद के साथ जिंदगी आगे बढ़ रही थी। मैंने रेलवे के बच्चों पर नुक्कड़ नाटक भी खूब किए। मीरा रोड स्टेशन पर हुआ नुक्कड़ ड्रामा काफी वायरल हुआ था। पहले छोटे-मोठे काम मिले फिर टीवी पर महाराणा प्रताप के रूप में एक बड़ा ब्रेक मिला। मगर एक बार ऐसा भी आया, जब मैं खुद को डाउट करने लगा। मैं उस दौर में काफी रोया था। फिर जब मरदानी मिली तो वो मेरे करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।
अब आप एक मशहूर अभिनेता हैं, तो अपनी मां के लिए क्या करना चाहेंगे?
मेरा अभी का सिर्फ इतना मकसद है कि मैं मेरी माँ को किसी भी चीज के लिए ना कहूं . सब चीजों के लिए हां कहूं बस। मैं अपनी मां की हर ख्वाहिश पूरी करना चाहता हूं। चाहे वो घूमने-फिरने की बात हो या क्षोपांग की। मेरी मां ने हमारे लिए बहुत मार्ग प्रशस्त किए हैं। मैंने देखा है कि जब बच्चा बड़ा हो जाता है और कमाने लगता है, तो माता-पिता को उपेक्षित करना शुरू कर देते हैं। मैं चाहता हूं मेरी मां हमेशा मेरे परिवार की रानी और डिसिजन मेकर भी। एक सीक्रेट है, जो बहुत जल्द मैं अपनी मां के लिए पूरा करना चाहूंगा।
सलाम वेंकी में आपको मौका कैसे मिला और आपने इतने संवेदनशील किरदार को कैसे अंजाम दिया?
मुझे लगता है, वह मेरी प्रेमिका थी। रेव मैतीम और फिल्म के लेखक के दिमाग में तो वेंकी के रोल के लिए मैं ही था। जब मुझे कॉल किया गया तो यही कहा गया कि फिल्म में मेरे साथ काजोल मैम हैं और रेवती मैम इसका डायरेक्शन पैनल है। मुझे तकीद की गई कि मैं इस प्रोजेक्ट की बात को गुप्त रखूं, तब तक मुझे अपने रोल के बारे में जानकारी नहीं थी। जब मैंने अपने रोल के बारे में सुना तो इंटरवल पॉइंट तक आते-आते मैं बहुत जज्बाती हो गया था। मैं इस रोल और कहानी से खुद को इसलिए भी जिम्मेदार पाया, क्योंकि असल जिंदगी में भी मैं अपनी मां के बहुत करीब हूं। फिल्म करने से पहले मुझे मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी बीमारी के बारे में पता नहीं चला था। मेरा वेंकी में इसी बीमारी के पीड़ितों को दिखाया गया है। ये एक ऐसी रेयर बीमारी है, जिसके पीड़ित के शरीर की मांसपेशियां धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती हैं। इस तरह के मरीज अमूमन 13 -14 साल से ज्यादा जी नहीं भर सकते। मुझे रेवती मैम ने एक वीडियो भेजा, जिसमें मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित पेशेंट की पूरी जर्नी थी। मैं तो उस वेंकटेश से कभी मिल नहीं पाया, जिसकी जिंदगी पर ही यह फिल्म बनी है। मैंने रेवती मैम की दृष्टि, स्क्रिप्ट और अपनी कल्पना शक्ति के आधार पर इसकी पहचान की पहचान की है।
काजोल जैसी अभिनेत्री के साथ कैसा रहा?
काजोल मैम के साथ तो सभी हंसी-मजाक में काम हो जाता है। वे सेट पर बात करते रहेंगे और फिर अचानक सीरियस सीन को चुटकियों में इतनी खूबसूरती से नाटक ले जाते हैं कि आपको पता ही नहीं चलता। क्वीन मैम का भी यही अंदाज है। काजोल मैम बहुत मस्ती करती हैं और क्वीन मैम सबकी क्लास लेती हैं। हमें पता नहीं चलता कि एक मिनट के बाद ये इमोशनल सीन करके हमें रुलागी, तो ये गिव एंड टेक हमेशा रहता है। काजोल मैम बहुत कूल हैं, लेकिन उनके सामने मैं कूल नहीं रह पाता, क्योंकि मेरे दिमाग में तो वो द काजोल ही हैं ना। अभी मैं उनके बारे में इतनी बात कर रहा हूं, लेकिन अगर मैं मंगूंगी तो बोलती बंद हो जाती है।
काजोल को लेकर आपकी याददाश्त क्या हो रही है?
मैं हाल ही में ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाउंगी’ को फिर से देखा, तो वापस से सब कुछ ताजा हो गया। हां ये भी है कि कुछ तो होता है में क्वीन मैम और काजोल मैम भी दोनों हैं। अभी हम लोग एक रियलिटी शो में गए थे तो वहां पर मैं मैम के साथ था। वो बहुत संस्कार था। वैसे मैं उनका बहुत इज्जत करता हूं। मुझे अंदाजा है कि मेरी हद क्या है? अजीबोगरीब बातें ये हैं कि वे बातचीत और बर्ताव में काफी सहज हैं, मगर मैं डर और सम्मान के कारण थोड़ा सा ही सहमा रहता हूं।
अगर आप फिल्म के हीरो के रूप में अलग-अलग नजर आते हैं, तो कौन सी हीरोइन का हीरो बनना चाहिए?
कटरीना कैफ मेरी हमेशा से ही पसंदीदा रही हैं। उस पर बहुत क्रश था। हर एक फोटो लाइक करता था। जब शादी हुई तो टूटा, बहुत बुरा लगा खुद के लिए। पता था, आउट ऑफ रीच हैं लेकिन बहुत टूटा हुआ। मगर मैं जानता हूं कि मैं उन्हें एक पंखे के तौर पर पसंद करता हूं। मुझे उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में ज्यादा पता नहीं है। कैटरीना के अलावा मुझे अनन्या पसंद हैं, क्योंकि वे बहुत ही बंगाली हैं।
आपके आने वाले घोषणा?
इसके बाद मैं तीन फिल्मों की शूटिंग कर चुका हूं। लेकिन उसके बारे में ज्यादा नहीं बताएं। वो सब 2023 में आएंगे, जो कि यशराज के साथ हैं।
- लेटेस्ट न्यूज़ पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- विडियो ख़बरें देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
- डार्क सीक्रेट्स की ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- UNA विश्लेषण की ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
ख़बरों को लेकर शिकायत, सुझाव एवं विज्ञापन के लिए यहाँ क्लिक करें




