
UNITED NEWS OF ASIA. हेमंत पाल, गरियाबंद | रियाबंद जिले के अंतिम छोर पर बसे आदिवासी बहुल राजापड़ाव क्षेत्र में स्थित ग्राम भूतबेड़ा सहित आसपास के गाँवों में अधूरे स्कूल भवन को लेकर ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा है। रविवार को ग्राम भूतबेड़ा में क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीणों की उपस्थिति में एक विशाल बैठक आयोजित की गई, जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अगस्त के पहले सप्ताह में आंदोलन किया जाएगा।
ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल जतन योजना के तहत निर्माणाधीन नवीन भवनों का कार्य ठेकेदार द्वारा अधूरा छोड़ दिया गया है, जिससे स्कूली बच्चे आज भी खंडहरनुमा झोपड़ियों, पेड़ों के नीचे और सार्वजनिक मकानों में पढ़ाई करने को विवश हैं।
आक्रोश का कारण: अधूरा निर्माण और मजदूरी का बकाया
निर्माण कार्य बंद होने से भवन अधूरा पड़ा है और मिस्त्रियों-मजदूरों को महीनों से भुगतान नहीं किया गया। प्राथमिक शाला गरीबा सहित भूतबेड़ा, गाजीमुड़ा, मोतीपानी, भद्रीपारा, कोदोमाली जैसे गांवों में स्थिति भयावह बनी हुई है। कहीं भवन का पिछला हिस्सा ईंटों से खुला है तो कहीं छत ढलान रहित है। ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि यदि शासन ने राशि स्वीकृत की थी तो निर्माण अधूरा क्यों है और ठेकेदार को भुगतान न मिलने का कारण क्या है?
बच्चों की जान खतरे में
जर्जर हालात वाले स्कूल भवनों में पढ़ाई कर रहे बच्चों को साँप-बिच्छू जैसे विषैले जीवों के बीच बैठना पड़ता है। भारी बारिश में टपकती छत और कीचड़ में किताब-कॉपी भीगती है। ग्रामीणों का आरोप है कि वनांचल क्षेत्र में विकास की बातें केवल कागजों तक सीमित हैं।
प्रशासन को चेतावनी: अब आंदोलन होगा
ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि अगर अगस्त के पहले सप्ताह तक ठोस कार्यवाही नहीं हुई, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे, जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
बैठक में मौजूद प्रमुख लोग:
जनपद सदस्य फूलचंद मरकाम, सरपंच प्रतिनिधि टीकम मरकाम, उप सरपंच प्रतिनिधि भीखऊ राम नेताम, रविंद्र मरकाम, शंकर लाल मरकाम, सुखमन मरकाम, राम सिंह नेताम, प्रेम सिंह नेताम, जयहिंद नेताम, सदाराम कुंजाम, लोकनाथ मरकाम सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे।
प्रमुख माँगें:
अधूरे स्कूल भवनों का शीघ्र निर्माण पूर्ण किया जाए
मजदूरों को बकाया मजदूरी तत्काल दी जाए
दोषी ठेकेदार पर कार्रवाई हो
वनांचल क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षा के लिए न्यूनतम बुनियादी ढाँचा सुनिश्चित किया जाए
राजापड़ाव जैसे सुदूर वनांचल क्षेत्र में शिक्षा के बुनियादी ढाँचे की उपेक्षा शासन की प्राथमिकताओं पर प्रश्नचिह्न लगाती है। देखना होगा कि प्रशासन इस चेतावनी को कितनी गंभीरता से लेता है, या फिर आंदोलन की आंच तेज होकर पूरे जिले को प्रभावित करेगी।
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