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वरुण गांधी समाचार: यूपी की पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी को लेकर कई तरह की चोटें लग रही हैं। पिछले कुछ सालों में पार्टी से साइडलाइन होने के बाद वह बीजेपी सरकार की योजनाओं के खिलाफ जोर-शोर से हल्ला कर रहे हैं। सियासी गलियारों में वरुण को लेकर हैं कि वे अपनी राह भाजपा से अलग कर सकते हैं। उनके कांग्रेस में जाने की भी झलक पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। चाहे राहुल गांधी ने अलग-अलग विचारधारा होने का जमाराश देकर अपनी एंट्री पर लगभग रोक लगा दी थी, लेकिन चचेरी बहन प्राथमिक गांधी से अच्छे रिश्ते और कांग्रेस की मौजूदा स्थिति की वजह से वरुण के कांग्रेस में आने की स्थिति अब भी बनी हुई है हैं।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यदि वरुण कांग्रेस में स्थान बनाने में सफल हो जाते हैं, तो वे उन नेताओं के विकल्प व उनकी काट बन सकते हैं, जिन्होंने विगत वर्षों में कांग्रेस छोड़ दी। यूपी में कांग्रेस से जाने वाले नेताओं में जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह भी शामिल हैं। दोनों ही नेताओं को कांग्रेस का भविष्य माना जाता था और उनके राहुल गांधी से काफी अच्छे संबंध थे। हालांकि, अब जब कांग्रेस के पास बड़े चेहरे की कमी है, तो पार्टी वरुण गांधी के माध्यम से इसे दूर कर सकती है।
कांग्रेस के लिए लाभ हो सकते हैं वरुण?
बीजेपी वरुण और उनकी मां मेनका गांधी ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, ऐसा माना जाता है कि वे कांग्रेस में जा सकते हैं। लेकिन वरुण के भाषणों को सुनकर लगता है कि कांग्रेस के लिए उनके दिमाग में अब भी सॉफ्ट जगह है। दरअसल, वरुण और मेनका भी देश का सबसे बड़ा सियासी परिवार गांधी परिवार का हिस्सा हैं, जिसने दशकों तक सत्ता पर राज किया। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर वरुण फिर से घर वापसी करते हुए कांग्रेस का रुख करते हैं तो यह दोनों के लिए विन-विन जैसा सिचुएशन होगा।
दरअसल, दशकों पहले यूपी से दूर हो चुकी कांग्रेस की विशिष्ट स्थिति खराब है। ऐसे में उन्हें बड़े नेताओं को अपने दल में शामिल करने की जरूरत है। इन क्लबों में वरुण गांधी का भी नाम हो सकता है। यदि वरुण कांग्रेस में शामिल होते हैं, तो इस पार्टी को यूपी में फिर से पैठ बनाने में सफलता हासिल हो सकती है, जबकि अगले साल होने वाली लोकसभा चुनाव के लिए भी वरुण की लोकप्रियता कांग्रेस को देश के हिंदी बेल्ट में फायदा पहुंचा सकती है।
युपी में वरुण गांधी के इन क्षेत्रों में अच्छा प्रभाव
वर्ष 2009 में वरुण गांधी ने मुस्लिमों के खिलाफ बयान दिया था, जिसके बाद उन्हें जेल की हवा तक खानी पड़ी थी। इसके बाद उनकी इमेज फायरबर्ड लीडर की बन गई। वहीं, साल 2014 के बाद उनके सितारे दिशा में चले गए, लेकिन उनका प्रभाव राज्य में बना रहा। पीलीभीत के अलावा, वरुण सुल्तानपुर से भी सांसद बने रहेंगे। तराई बेल्ट के जालीमपुर खीरी, पीलीभीत, सुल्तानपुर आदि में वरुण की काफी पकड़ हो रही है। बड़ी संख्या में किसान, युवा उनके भाषण सुनते हैं और चुनाव के दौरान वोट देते हैं। यही कारण है कि लखीमपुर खीरी में हुए थार कांड में वरुण ने फ्रैंक गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा तनी के खिलाफ विरोध जताते हुए पीएम मोदी को पत्र लिखा। ऐसे में यदि वरुण कांग्रेस में जाते हैं, तो पूरे क्षेत्र में पार्टी को खुशी मिल सकती है। हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि वरुण भविष्य में किस ओर रुख करते हैं, लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि वे सातवीं चुनाव से पहले कोई अहम कदम उठा सकते हैं।