
इस मिशन के जरिए संदेश की होने वाली मौत की डिटेल्स कम हो गईं। साल 2020 में हर हजार बंधन में से सिर्फ 32 जोड़ों की जान जा सकती है, जो पहले 45 से अधिक थी।
कोरोना वायरस काल में टीकाकरण की अहमियत हर व्यक्ति पर देखी जाती है। इसके माध्यम से ये तथ्य फिर से साबित हुए कि वैक्सीनेशन की ट्रेन काफी अहम है। कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए विष में टीकाकरण कार्यक्रम आज भी जारी है। वैसे भारत में ये पहला मौका नहीं है जब इतने बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चला हो। इससे पहले भारत में पोलियो, चेचक जैसी बीमारियां महामारी का रूप ले चुकी हैं इसलिए बचने के लिए टीकाकरण अभियान चलाया गया है। वैक्सीनेशन होने से वायरस और बैक्टीरिया से व्यक्ति के शरीर का बचाव होता है, जिससे गंभीर बीमारियों के चपेट में आने से बचा जा सकता है। मगर पहले साल 1978 में देश में टीकाकरण की शुरुआत हुई।
देश भर में लोगों को टीकाकरण की प्रमुखता के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 16 मार्च को राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस मनाया जाता है। वैक्सीनेशन के जरिए ही दुनिया भर में कई खतरनाक और घातक बीमारियों का इलाज संभव हो पाया है। वैज्ञानिक तरीकों से यह भी साबित हुआ है कि वैक्सीन किसी भी बीमारी से बचाव का उपचार तरीका है। COVID महामारी के दौरान भी ये तथ्य साबित हो चुके हैं। वैक्सीन लगवाने से किसी व्यक्ति के जीवन का द्वार टूटने से बच सकता है। भारत सरकार ने न सिर्फ देश बल्कि मानव जाति की चिंता की। यही कारण है कि वैक्सीन की हर खुराक के लिए जब विश्व समुदाय भारत की ओर देख रहा था तब अपनी ट्रेनों को पूरा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में करीब 100 देशों को कोविड की ग्रेब्रिटी से बचाने के लिए वैक्सीन दी गई।
भारत दुनिया में इस तरह की 60 फीसदी वैक्सीन की मांग को पूरा कर रहा है, यह आप सभी में मानवता की सबसे बड़ी सेवा है। 16 मार्च को जब देश में राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस मनाया गया तब स्वस्थ मानव समाज की सेवा पर पूरा देश और देश निवासी भी गर्व करें।
बात है कि भारत में आज के खास समय में सिर्फ कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए ही टीकाकरण अभियान नहीं चलाया जा रहा है। बल्कि देश में 12 प्रकार की बीमारियों से बचने के लिए सार्वभौमिक टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। इसमें देश की जनता को 11 तरह की वैक्सीन दी जाती है। सिर्फ बीमा के लिए ही नहीं बल्कि मामले के तौर पर शिशु और प्रेग्नेंट महिलाओं को भी कई गंभीर बीमारियों के चंगुल में आने से बचाने के लिए टीका लगाया जाता है। इसमें डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनस, पोलियो, खसरा, रूबेला, बचपन में होने वाले कैंसर, हेपेटाइटिस-बी, मेनिन्जाइटिस, रोटावायरस डायरिया, न्यूमोकोकल निमोनिया और देश में ऐसे जिले जहां जापानी बुखार से बचाने के लिए केंद्र सरकार की शुरुआत में मुफ़्त टीकाकरण किया जाता है।
सेंटर सरकार ने मिशन रेनबो की बात की
साल 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद दिसंबर 2014 में प्रेग्नेंसी और नौनिहालों की बेहतर सेहत के लिए मिशन रेनबो की शुरुआत हुई। इस मिशन के जरिए संदेश की होने वाली मौत की डिटेल्स कम हो गईं। साल 2020 में हर हजार बंधन में से सिर्फ 32 जोड़ों की जान जा सकती है, जो पहले 45 से अधिक थी। मिशन रेनबो के जरिए 4.45 करोड़ बच्चों और 1.12 करोड़ प्रेग्नेंट महिलाओं का टीकाकरण किया गया। इस मिशन से 11 फेजों में देश के 701 टीकाकरण किया जा चुका है।
सेंटर सरकार ने मिशन रेनबो की बात की
साल 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद दिसंबर 2014 में प्रेग्नेंसी और नौनिहालों की बेहतर सेहत के लिए मिशन रेनबो की शुरुआत हुई। इस मिशन के जरिए संदेश की होने वाली मौत की डिटेल्स कम हो गईं। साल 2020 में हर हजार बंधन में से सिर्फ 32 जोड़ों की जान जा सकती है, जो पहले 45 से अधिक थी। मिशन रेनबो के जरिए 4.45 करोड़ बच्चों और 1.12 करोड़ प्रेग्नेंट महिलाओं का टीकाकरण किया गया। इस मिशन से 11 फेजों में देश के 701 टीकाकरण किया जा चुका है।
सरकार के इस अभियान के बाद वर्ष 2017 में मीजल्स और रूबेला जैसी बीमारी से बचाव के लिए टीकाकरण कार्यक्रम जारी किया गया। इसके साथ ही न्यूमोकोकल निमोनिया के लिए न्यूमोकोकल वैक्सीन को भी शामिल किया गया। सेंटर सरकार के पिछले नौ सालों से लगातार प्रयास के कारण ही राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 4 में जहां देश में टीकाकरण 62 प्रतिशत था वो सर्वे 5 में बढ़कर 76.6 प्रतिशत पहुंच गया। हालांकि ये सफलता ऐसे ही नहीं मिली, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कोल्ड चेन पॉइंट की संख्या बढ़ती गई। वैक्सीन की बर्बादी को रोकने के लिए प्रयाप्त उपाय किए गए साथ ही जिन केंद्रों पर वैक्सीन की योजना नहीं बनाई गई थी, वहां तक उनकी पहुंच बढ़ाई गई जिसके लिए इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन ग्लोबली नेटवर्क बनाया गया। देश भर में वैक्सीन की बर्बादी ना हो इसके लिए देश में 29,000 कोल्ड चेनपॉइंट, 52,000 आइस लांइडिंग ठप और 46,000 डीप शुद्धता का उपयोग वैक्सीन स्टोर और वितरण के लिए किया जा रहा है।
टीकाकरण के लिए नदी पार करना हो, पहाड़ चढ़ना हो, बाढ़ प्रभावित मार्ग में जाना हो, राजस्थान के मरुस्थल तक चौकियां हों या कठिन से कठिन क्षेत्र में हों या हेलीकॉप्टर से वैक्सीन या वैक्सीनेटर को पहुंचें या डोर-टू-डोर अभियान के माध्यम से पिछले आठ वर्षों में चौकियों तक इसका अभ्यास भारत में विफल हो गया था। इसी का नतीजा था कि भारत दुनिया में सबसे जल्दी सबसे ज्यादा टीका लगाने वाला देश बना। स्वास्थ्य और विशेष कर मिशन रेनबो अभियान के दौरान टीकाकरण के लिए तैयार किए गए इंफ्रास्ट्रक्चर की रणनीति के दौरान बहुत लाभ मिला।



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