यूपीसीएल में घोटाला: उत्तराखंड पावर कारपोरेशन (यूपीसीएल) के अधिकारियों ने दोषी से विभाग को करोड़ों रुपये का चूना लगा दिया। दरअसल, राज्य में बाल-बाल बची बिजली को बाजार में बेचने का एग्रीमेंट जिस कंपनी से किया गया, उसने बाजार में बिजली बेचकर करोड़ों तो कमा लिए, लेकिन निगम को रुपये नहीं लौटाए।
नाम फिर से दर्ज करें कृषि
दरअसल, यूपीसीएल को रोज मिलने वाली बिजली कई बार बच जाती है। बची बिजली को बाजार में बेचा जाता है। इसी के चलते साल 2017 में मैसर्स मित्तल प्रोसेसर कंपनी ने यूपीसीएल के साथ करार किया था। बिजली बेचने के बाद राशि में से हर महीने अपना कमीशन काटकर बाकी पैसा यूपीसीएल के फायदों में जाम होने का अंदेशा था। लेकिन, दिसंबर 2020 तक कंपनी ने 71 करोड़ 52 लाख रुपए सागर नहीं खींचा। अब अधिकारियों की नजर में इसी कंपनी ने अपना नाम श्रेणीबद्ध किया और नए नाम से एग्रीमेंट कर लिया। इसलिए ही नहीं लौटा भी यूपीसीएल की बिजली के बाजार में तो बेच दिया, लेकिन पैसा जमा नहीं किया।
दर्ज कराएं
ऐसे में यूपीसीएल को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। हालांकि, यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार यादव का कहना है कि 25 करोड़ रुपए का हड़पना अब बाकी है। उन्होंने बताया कि एक्सपेंडिचर से काफी पैसा लिया गया है। एमडी ने बताया कि कंपनी के खिलाफ स्थिति दर्ज कर दी गई है। कंपनी को ब्लैकलिस्ट भी कर दिया गया है।
12 कर्मचरित्रों की संख्या बहुत अधिक है
एमडी यूसीएल ने कहा कि इस मामले में पांच स्थितियां दर्ज की गई हैं। अदालत में भी मुकदमा दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि विभाग के भी 10 से 12 कर्मचारियों का चार्ज साइज के आधार पर रखा गया है। खिलाफ आगे की कार्रवाई भी चल रही है।
जनता की जेब पर पड़ा असर
कुल मिलाकर तो यूपीसीएल के संबंधित अधिकारियों का यही नतीजा रहा है। एक ओर जनता दीप्तिमान बिजली की मार रही है, उसी विभाग ने अपने ही करोड़ों रुपए के लिए नहीं। ऐसे में भले ही अब कार्रवाई और जांच की बात चल रही हो, लेकिन इस स्थिर प्रभाव से बिजली की जेब पर ही पड़ा है।
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