उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार को राज्य सरकार से चमोली जिले की भूमि धनसाव प्रभावित जोशीमठ कस्बे के लिए एक मजबूत योजना बनाने का निर्देश दिया। मामले से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और जज आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सरकार को इस मामले पर गौर करने के लिए स्वतंत्र राज्य की एक समिति बनाने का निर्देश दिया। हाई कोर्ट ने कहा है कि कमेटी में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पीयूष रूनसतेला और स्पेस ऐप्लिकेशंस के कार्यकारी निदेशक एम.पी.एस.बिष्ट को शामिल किया जाना चाहिए।
‘निर्माण गतिविधियों पर रोक लगेगी’
चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जज आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि कमेटी दो महीने के अंदर सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपे। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जोशीमठ के आसपास के क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाने का आदेश तुरंत जारी किया जाए। बद्रीनाथ और हेमकुंड गुरु जैसे प्रसिद्ध तीर्थस्थल और अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव स्थल औली का प्रवेश द्वार जोशीमठ भूमि धंसने के कारण एक बड़े संकट का सामना कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार कस्बे में रहने वाले कुल 169 सभी को अब तक राहत में स्थानांतरित कर दिया गया है।
जमीन दरकने से मचा है हड़कंप
दरअसल, उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन दरकने से हड़कंप मच गया है। जोशीमठ नगर क्षेत्र में 723 संभावनाओं को भू-धंसाव प्रभावित के रूप में चिह्नित किया गया है। उत्तराखंड के श्री पुष्कर सिंह धामी बुधवार को भू-धंसाव से प्रभावित जोशीमठ नगर का जायजा निर्णय पहुंचे थे और प्रभावितों के लिए व्यवस्था सहायता की घोषणा की।
आस-पास की धरती भी फटी हुई दिख रही है
जोशीमठ में जिला प्रशासन द्वारा चिह्नित बांधों में घरों की दलाली और कटौती के अलावा आसपास की धरती भी फटी हुई दिखाई दे रही है और वहां गहरी दरारें हैं जो कई इंच चौड़ी हैं। सतर्कता का कहना है कि जोशीमठ में बारिश से इन दरारों के माध्यम से धरती के अंदर पानी जाने से समस्या और गूढ़।