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जोशीमठ में भूस्खलन से उत्तराखंड बद्रीनाथ के दर्शन खतरे में जोशीमठ संकट के कारण नहीं होंगे बद्रीनाथ के दर्शन? 3 महीने बाद शुरू होने वाली यात्रा पर उठ रहे सवाल

बद्रीनाथ धाम- इंडिया टीवी हिंदी

छवि स्रोत: फाइल फोटो
बद्रीनाथ धाम

उत्तराखंड के जोशीमठ शहर को बद्रीनाथ धाम का प्रवेश द्वार और एकमात्र मार्ग माना जाता है। हालांकि, जोशीमठ में संकट की स्थिति पैदा होने के बाद बद्रीनाथ धाम की यात्रा को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठने लगे। बता दें कि बद्रीनाथ धाम की यात्रा करने से पहले तीर्थयात्री जोशीमठ में रात विश्राम करने के विकल्प ग्रहण हैं। जोशीमठ में प्रवेश करने के बाद तीर्थयात्री बद्रीनाथ आने-जाने वाले महत्वपूर्ण से यहां वन-वे रास्ते का उपयोग करते हैं, लेकिन जोशीमठ में भू-धंसाव संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है। यहां के सैंकड़ों घरों और गंदगी में दरारें आ गई हैं। यहां तक ​​कि सड़क का पुलिया भी उखड़ रहा है। उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में कहा था कि यात्रा प्रभावित नहीं होगी और योजना के अनुसार ही होगी। हालांकि, अब जोशीमठ में कई जगहों को डेंजर जोन की श्रेणी में रखने के बाद लोकप्रिय धाम बद्रीनाथ तक जाने के रास्ते पर सवाल उठा रहे हैं।

प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट का काम कब पूरा होगा?

ऑल वेदर चार धाम सड़क परियोजना के तहत बद्रीनाथ के लिए नजरें तैयार की जा रही हैं, जो जोशीमठ से लगभग 9 किमी पहले हेलंग से शुरू होता है और मारवाड़ी रोड खत्म हो जाता है, लेकिन यह परियोजना अभी पूरी तरह से पूरी हुई है और स्थानीय लोग इसका कड़ा विरोध किया है। जोशीमठ विरोध और घबराहट के कारण परियोजना पर काम रुक गया है। अभी ऐसा लग रहा है कि ऑल वेदर चार धाम सड़क परियोजना के तहत जोशीमठ का काम मई के पहले सप्ताह तक तैयार नहीं हो सकता है। वहीं, आमतौर पर बद्रीनाथ धाम की यात्रा मई के पहले सप्ताह में शुरू होती है।

तीर्थयात्रियों की संख्या ने संकट को बढ़ा दिया है

हाल के वर्षों में तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी दुर्घटना ने स्थानीय अधिकारियों के संकट को बढ़ा दिया है। बड़े तादाद में यात्रियों के आने का मतलब है कि बड़ी संख्या में चौकियां हैं और इसलिए इलाके पर अधिक दबाव बनता है, जो अब जोशीमठ के कई स्थानों पर खतरनाक साबित हो सकता है। आंकड़े पर गौर करें तो 2016 में 6.5 लाख तीर्थयात्री बद्रीनाथ गए थे। 2017 में यह संख्या 9.2 लाख, 2018 में 10.4 लाख और 2019 में 12.4 लाख थी। इसके बाद 2020 और 2021 में पैसेंजर आए। इसके बाद कोरोना महामारी के बाद 2022 में यह संख्या बढ़कर 17.6 लाख हो गई। ऐसे में जोशीमठ को असुरक्षित घोषित किए जाने के बाद लगातार क्षेत्र में चौड़े हो रहे हैं। अधिकारियों के पास पहाड़ों में चीजों को सरल करने या सही विकल्प खोजने के लिए तीन महीने से थोड़ा अधिक समय है।

जोशीमठ में 850 घरों समेत अन्य जगहों पर दरारें हैं

जुराब है कि 2 जनवरी को जोशीमठ में भू-धसांव का मामला सामने आया था। इसके बाद से जोशीमठ में करीब 850 घर, शाम, चहलकदमी और झरोखे पाए गए। चार धाम यात्रा का आगाज बसंत पंचमी के दिन राजमहल से बद्रीनाथ धाम के कपाट शहर की तारीख से शुरू हो जाती है। ऐसे में व्यवस्थाओं के लिए सरकार के पास काफी कम समय लगा रहता है, जिस पर यात्री दावेदार टिकाए बैठे हैं।

https://www.youtube.com/watch?v=Yi8NqE1hpR8

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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