डिजिटल मीडिया के यूज और ओटीटी सिरीज के भरमार के साथ ही हेडफोन और ईयरफोन का यूज बढ़ा है। स्कूल की क्लासेस, कोचिंग की ऑनलाइन पढ़ाई का दौर शुरू हो गया है। जिसकी वजह से अधिकतर लोग ईयरफोन या ईयरफोन को कान से सेंड करते हैं। फिर भी पढ़ाई या पढ़ना बंद हो जाएगा, हेडफोन या ईयरफोन चालू ही रहेगा। इसका प्रयोग कुछ देर के लिए तो सही है, लेकिन लगातार प्रयोग करने से रहने पर बुरा असर पड़ता है। ईयरड्रम को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। आज हेल्थ चश्मे पर विशेषज्ञ डॉक्टर अरोड़ा बता रहे हैं ज्यादा समय तक हेडफोन और ईयरफोन के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान।
पहले जानते हैं इसके बारे में क्या-क्या स्टेट्स खोजते हैं
2002 में प्रकाशित सेंट्रल में प्रकाशित एक खोज में आरमजलान, एलसैम, ए थॉमस, आर सैयद और बी लियाब के शोध में मलेशिया की सेल शेयरएसएन के 136 ग्राहकों की जांच की गई। इसमें पुराने कान के संक्रमण के 4 मामले और वैक्स से प्रभावित 4 मामले थे। 25 प्रतिशत से अधिक लोगों में सुनने की क्षमता में कमी आ गई। यह लोग लगातार सात घंटे कॉल रिसीव करते थे।
ईयरड्राम को नुकसान पहुंचाते हैं ईयरफोन और हेडफन
डॉक्टर बताते हैं कि कान के अंदर एक पर्दा होता है। जिसे ईयरड्रम के नाम से भी जानते हैं। इसमें कई नसें और हिस्से होते हैं जिससे दिमाग लाल होता है। आवाज सुनने पर कान के परदे में कंपनियां होती हैं और इट्राड्रम पर दबाव बढ़ता जा रहा है। यह सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
यहां हैं लगातार वर्षफोन के प्रयोग से होने वाले स्वास्थ्य जोखिम
पासपोर्ट में जामने लगता है मैल
आप ऑफिस करते समय काम करते हैं, पढ़ाई करते समय या बात करने के लिए ईयरफोन का इस्तेमाल करते हैं, तो सावधान हो जाइए! देर तक ईयरफोन का प्रयोग करने पर कानों में मैल जमा होता है। इससे कान में संक्रमण, सुनने की समस्या, या टिटनेस की समस्या हो सकती है।
बहरेपन की समस्या हो सकती है
डॉ अरोड़ा कहते हैं देर तक हेडफोन या ईयरफोन का प्रयोग करने से आप अपने अटैचमेंट को बहरा बनाने की ओर बढ़ रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगा कि ईयरफोन के माध्यम से गाना या अकाउंट बनाने की आदत आपको बहरा बना सकती है। इंडेक्स ने चेतावनी दी है कि इस वजह से 2050 तक 70 करोड़ से अधिक लोगों के कान खराब हो जाएंगे। कंपन अधिक होने के कारण सुनने वाले सेल्स अपनी रिकॉर्डिंग खो देते हैं। जिससे बहरापन हो जाता है।
ईयरफोन से कम खतरनाक हैं
इयरफ़ोन या हेडफ़ोन का प्रयोग करते हैं, तो आज जान लें कि कौन से कान अधिक सही हैं। ईयरफोन को कान के अंदर लगाया जाता है, कभी-कभी इसे ऊपर से पुश भी अंदर के लिए चलाया जाता है। ईयर फोन लगाने से कानों के पर्दे के बीच की दूरी कम हो जाती है। जबकि हेडफोन कान के ऊपर लगाया जाता है। ऐसे में हेडफोन से थोड़ा कम नुकसान होता है। ध्यान देना जरूरी है कि दोनों में किसी को भी अधिक प्रयोग करना कान के लिए सही नहीं है।
याद रखना
डॉ कूट के अनुसार बहरेपन और कान में किसी प्रकार की समस्या से बचाव करना चाहते हैं, तो सबसे पहले तेज आवाज में संगीत सुनने को मिल जाता है। सुना है तो आवाज कम कर लें। आप जो भी ईयरफोन खरीद रहे हैं उसकी क्वॉलिटी अच्छी होनी चाहिए। इसके साथ यदि आपको लगता है कि आपको कम सुनाई दे रहा है तो ऐसे में किसी अच्छे कान के डॉक्टर को तुरंत दिखाएं।
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