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शहरी महिलाएं मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से अधिक ग्रस्त हैं। जानिए अपना ख्याल कैसे रखें।- शहरी महिलाओं को ज्यादा होते हैं मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बीमारियाँ, जानिए कैसे रखें अपना ख्याल।

हमारे जुड़ाव (भावनात्मक), मनोवैज्ञानिक (मनोवैज्ञानिक) और सामाजिक कल्याण (सामाजिक कल्याण) के लिए हमारे मानसिक स्वास्थ्य का दुरूस्त होना बहुत जरूरी है। इसके बावजूद लंबे समय तक भारत में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समान जादू-टोन, झाड़-फूंक और उलजुलूल शब्दों के साथ टैग किया जा रहा है। जबकि ये मन की बातें हैं, सच बताना बहुत जरूरी है। अगर आप मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं, तो इससे न सिर्फ आपकी सेहत, बल्कि आपके रिश्ते और आपका करियर भी प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को सुलझाना जरूरी है। अच्छी बात है कि लोग अब इसके प्रति जागरुक हो रहे हैं। यही कारण है कि भारत सरकार द्वारा शुरू की गई 24 घंटे फ्री मेंटल हेल्थ हेल्पलाइन टेली मानस (टेली मानस) पर सात महीने में ही एक लाख से ज्यादा लोग मदद लेते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य के बारे में क्या है भारत की स्थिति

विश्व स्वास्थ्य तर्क के अनुसार, भारत में प्रति 100 00 जनसंख्या में 2443 लोग किसी न किसी मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं। अक्टूबर 2021 में लैंसेट में प्रकाशित एक शोध के अनुसार भारत में मानसिक स्वास्थ्य में 35% की वृद्धि पाई गई। ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज ने 1990-2017 में पढ़ाई की, 19.73 करोड़ भारतीय या हर सात में से एक न किसी मानसिक समस्या से पीड़ित है।

मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए टेली मानस (tele manas)

बचपन और चेतना से लेकर वयस्क होने तक, जीवन के हर चरण में मानसिक स्वास्थ्य को कई चीजें प्रभावित करती हैं। इसलिए भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय) ने राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (नेशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम) की शुरुआत की। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि शुरू करने के बाद पिछले सात महीनों में 1 लाख से अधिक लोग इस हेल्पलाइन पर संपर्क कर चुके हैं।

टेली मेंटल हेल्थ असिस्टेंस एंड नेटवर्किंग एक्रॉस स्टेट्स यानी टेली मानस (टेली मेंटल हेल्थ असिस्टेंस एंड नेटवर्किंग एक्रॉस स्टेट्स-टेली मानस) नाम से है। टेली मानस की विशिष्ट योजनाओं और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह) और तीन तकनीकी सलाहकार उप-समिति काम करती है।

ऑडियो समग्र परामर्श के लिए ई-संजीवनी

टेली मानस दो स्तरों पर काम करता है। टीयर 1 में स्टेट (स्टेट) टेली मानस सेल शामिल होंगे, जिसमें प्रशिक्षित सलाहकार (प्रशिक्षित परामर्शदाता) और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ (मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ) शामिल होंगे। टीयर 2 में भौतिक परामर्श के लिए जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम या मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ और श्रवण परामर्श के लिए ई-संजीवनी भी काम कर रहे हैं। कोई भी व्यक्ति अपनी समस्या के निदान के लिए टेली मानस पर टोल फ्री नंबर या शॉर्ट कोड डायल करके टेली मानस हेल्पलाइन तक पहुंच सकता है।

कौन होते हैं प्रभावित (मानसिक स्वास्थ्य प्रभाव)

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिप्रेशन और अंगजायटी डुअल है। यह पचीस प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित करता है। भारत में दो-तिहाई विवाहित महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार बनती हैं। महिलाओं में मानसिक समस्या के लिए सबसे अधिक घरेलू हिंसा जिम्मेदार है।

15 -24 साल की उम्र के लड़के-लड़कियों का अवसाद ग्रस्त

यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 15 -24 साल की उम्र के लड़के-लड़कियां मानसिक अवसाद का सामना अधिक करते हैं। इस उम्र के सात में से एक बार-बार उदासी महसूस करते हैं और कोई भी काम करने में बहुत कम रुचि रखते हैं। भारत में COVID महामारी ने भी मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम को कम किया है।

शहरी क्षेत्रों की महिलाएं मानसिक समस्या से अधिक जूझती हैं (Urban Woman Problem)

भारतीय सायकिएटरी जर्नल के अध्ययन के अनुसार, ग्रामीण आबादी के प्रवास 2-3 मामले अधिक शहरी क्षेत्र की महिलाएं मानसिक समस्याओं से जूझती हैं। घरेलू हिंसा के अलावा, परिवार की देखभाल का बोझ, परिवार को महत्व नहीं दिया जाना और वित्तीय संकट का योगदान अधिक होता है।

शहरी क्षेत्र की महिलाएं मानसिक समस्याओं से अधिक जूझती हैं। चित्र : आदी स्टॉक

जानिए क्यों जरूरी है मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना

मानसिक रूप से स्वस्थ होने पर ही हम जीवन के तनावों का सामना करते हैं, अपनी क्षमता से मिलते-जुलते हैं, किसी भी चीज को अच्छी तरह से सीखते हैं, सही तरीके से काम करते हैं और समाज को अपनी भूमिका देने में सक्षम होते हैं। भारतीय आयुर्वेद के अनुसार मन से ही टैन हुआ है, इसलिए मन का स्वस्थ होना जरूरी है। मन स्वस्थ रहने पर घबराहट नहीं होती और उसका मिजाज अच्छा होता है। सोच हमारी स्पष्ट हो जाती है।आंतरिक रूप से शांत होने पर आत्मबल बढ़ रहा है। अवसाद और एंग्जाइटी का खतरा कम रहता है। हम घर-ऑफिस-समाज में बेहतर चश्मों का आनंद लेते हैं।

इस तरह कर सकते हैं आप मेंटल हेल्थ में सुधार (How to be मानसिक रूप से फिट)

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार मेंटल हेल्थ को स्ट्रॉन्ग करने के लिए सिर्फ 5 बातों पर ध्यान देना होगा।

1 स्वस्थ भाव बनाएं (Healthy Relation)

अपने आस-पास के लोग, सागे-संबंधियों से जुड़ाव की कोशिश करें। मेंटल हेल्थ के लिए अच्छे संबंध महत्वपूर्ण हैं।

मेंटल हेल्थ के लिए अच्छे संबंध महत्वपूर्ण हैं। चित्र :शटरकॉक

2. शारीरिक रूप से सक्रिय रहना (शारीरिक गतिविधि)

एक्टिव होने पर फिजिकल हेल्थ और फिटनेस के साथ-साथ मेंटल हेल्थ के लिए भी जरूरी है।

3. नया जाल सीखें (नया कौशल सीखें)

हमेशा कुछ न कुछ नई सीखने की कोशिश करें। नया जमावट में तौर पर हमें मजबूत बनाता है। यह मनोरोगों से बचा सकता है

कार्यालय का काम करेन
नई कसरत सीखना दिमाग के लिए जरूरी है। चित्र : उजागर करें

4. दूसरों को देना

भारत की संस्कृति परोपकारी, दान देना है। आप मानसिक तौर पर लक्षणों की मदद करने के लिए मजबूत होते हैं

5. वर्तमान क्षणों पर ध्यान दें (माइंडफुलनेस)

भविष्य के बारे में सोचने के बजाय वर्तमान में जीयें। दूसरों के बारे में सोचने की बजाय स्वयं पर ध्यान केंद्रित करें। खुश रहने की कोशिश करें। योग-ध्यान से जुड़कर मन की स्थिति को मजबूत करें।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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