
UNITED NEWS OF ASIA. लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लोकनिर्माण विभाग द्वारा 2024-25 के बजट में कुल 6500 करोड़ रुपये का सरेंडर किया गया है, जो नए निर्माण के लिए तय किए गए बजट का 3 प्रतिशत कम है। योजना बनाने में देरी और नाबार्ड से क्लेरेंस नहीं मिलने को इसके पीछे का मुख्य कारण बताया जा रहा है। यह स्थिति और भी स्पष्ट हुई जब मार्च महीने में ₹3950 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति जारी की गई, जो अत्यधिक देरी को दर्शाता है।
लोकनिर्माण विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में कुल ₹30500 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया था, जिसमें से ₹28200 करोड़ की स्वीकृतियां जारी की गईं। हालांकि, केवल ₹24 करोड़ का व्यय हुआ है और फाइनल आंकड़े अभी भी तैयार हो रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान लागू आचार संहिता के कारण बजट खर्च में देरी हुई, जिससे विकास कार्यों में भी बाधाएं आईं।
मार्च में मिली ₹1770 करोड़ की स्वीकृति, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में ₹31800 करोड़ के बजट में ₹28800 करोड़ की स्वीकृतियां जारी की गईं थीं, लेकिन इसमें भी ₹25800 करोड़ का ही व्यय हो पाया।
गंभीर सवाल उठते हैं कि क्या सरकार और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही ने प्रदेश के विकास कार्यों को धीमा कर दिया है?
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