जयशंकर ने देश के नए भारत में निश्चित होने का उल्लेख किया है। सीमाओं पर भारत द्वारा सामना की जा रही कड़वा के बारे में जयशंकर ने कहा, ”आज, लोग एक नया भारत देख रहे हैं जो चेहरे करने को जमा है और परवाह यह उरी हो या बालकोट, भारत राष्ट्रीय सुरक्षा की हिस्सेदारी से दर्शकेगा।
मोदी सरकार के चीन से जुड़े मुद्दों पर संदिग्ध आरोप हैं, लेकिन अब जिस तरह की सरकार के वरिष्ठ मंत्री चीन को चेतावनी दे रहे हैं, वह सोच रहा है कि सरकार के हर आरोप का तगड़ा जवाब देने को तैयार है। हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर के एक साक्षात्कार को लेकर सवाल उठाए गए थे कि वह चीन से डर रहे हैं लेकिन अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जो कुछ कहा है, वह उनके आलोचकों को अधिग्रहित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दशकों से भारत के खिलाफ सीमा के पार आतंकवाद को अंजाम दे रही ताकतें अब जान गई हैं कि यह एक ‘नया भारत’ है जो उन्हें जवाब देगा। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि देश पाकिस्तान और चीन द्वारा इसकी (भारत की) राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बनाई गई हिस्सेदारी की कहानियां हो सकती हैं।
युगांडा में बुधवार को भारतीय समुदाय को संदेश देते हुए जयशंकर ने देश के एक नए भारत में निगरानी होने का उल्लेख किया। अपनी सीमाओं पर भारत द्वारा सामना की जा रही कड़वा के बारे में जयशंकर ने कहा, ”आज, लोग एक नया भारत देख रहे हैं जो सामना करने को जमा करते हैं और परवाह यह उरी हो या बालाकोट, भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की तय से शर्तेगा ।
उन्होंने 2016 में पाकिस्तान स्थित संगठन जैश ए मोहम्मद के निशान द्वारा जम्मू-कश्मीर के उरी में थलसेना के ब्रिगेड मुख्यालय पर हमले किए, और पाकिस्तान के बालकोट में भारतीय पहचान के चलते हवाई हमले किए, यह दावा किया। विदेश मंत्री ने कहा, ”भारत के खिलाफ दशकों से सीमा पार आतंकवाद में संलिप्त शक्तियां, जिन्हें भारत ने सहन किया है, अब जान चुकी हैं कि यह एक नया भारत है और भारत उन्हें जवाब देगा।” उन्होंने चीन से शुरुआत की सीमा पर मौजूद खतों के बारे में भी बात की। जयशंकर ने कहा, ”पिछले तीन वर्षों से, चौकसी का उल्लंघन करते हुए, चीनियों की बड़ी संख्या में सैनिक जमा हुए हैं।” उन्होंने कहा कि आज भारतीय सैनिक बहुत ही विषम स्थानों पर अत्यधिक स्थिति पर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि स्थिति पूर्व से बिल्कुल अलग है क्योंकि भारतीय सैनिकों को अब ‘पूरा समर्थन’ प्राप्त हो गया है और उनके पास सही उपकरण और रूपरेखाएं हैं। जयशंकर ने कहा कि भारत पर अन्य देशों द्वारा यह दबाव नहीं बनाया जा सकता कि ”हम जहां से अपना तेल खरीदते हैं और जहां से तेल नहीं खरीदते हैं।” उन्होंने कहा, ”यह एक ऐसा भारत है जो अपने नागरिकों और उपभोक्ताओं से संबंध रखता है। के हित में कार्य करेगा।”
वहीं गृह मंत्री अमित शाह की बात: तो इस हफ्ते उन्हें अरुणाचल प्रदेश का दौरा पड़ा। वहां से उन्होंने चीन को साफ संदेश दिया कि सुई की नोक पर जहां भी किसी ने कब्जा किया उसके बारे में कोई सोचे नहीं। हम आपको यह भी बताते हैं कि केंद्र सरकार अब ज्यादा से ज्यादा सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों को जाने के लिए कह रही है ताकि सीमा के गांवों के लोग आर्थिक लाभ भी उठा सकें और वहां की संस्कृति के बारे में भी लोग जान सकें। इसके साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने लोगों से अरुणाचल प्रदेश में “भारत के पहले गांव” किबितू की यात्रा कर अपनी प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने और अपने इतिहास से प्रेरणा लेने का आग्रह किया है। हम आपको बताते हैं कि अमित शाह 10 अप्रैल को किबितू गए और रात भर वहीं रुके रहे। यह गांव चीन की सीमा के साथ भारत का सबसे पूर्व पूर्व चौकी है। गांव में बर्फ से ढके पहाड़, झरने, नदी और घाट दिखाते हुए अमित शाह ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया और कहा, “भारत के पहले गांव किबितू की यात्रा के दौरान खूबसूरत नजारों को रिकॉर्ड किया। अरुणाचल को अपार प्राकृतिक सौंदर्य का वरदान प्राप्त होता है। मैं सभी अरुणाचल प्रदेश से, विशेष रूप से किबितू की यात्रा करने का आग्रह करता हूं, ताकि इसके इतिहास से प्रेरित हो और प्रकृति के चमत्कारों से रूबरू हो जाऊं।” अपनी यात्रा के दौरान गृह मंत्री ने कहा था कि किबितू को भारत का आखिरी गांव नहीं बल्कि पहला गांव कहा जाना चाहिए क्योंकि देश में सबसे पहले सूरज की किरणें इस गांव से पीछे हैं।
आपको बता दें कि इस क्षेत्र का सैन्य इतिहास भी है क्योंकि किबितू और पड़ोसी 1962 में चीनी आक्रमण के दौरान हम एक भीषण जंग के गवाह बने थे। इस दौरान भारतीय सेना के फैसले ने चीन की जनमुक्ति सेना (पीएलए) के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और देश के भूभाग को बचाया था।