UNA Vishlesanचुनावछत्तीसगढ़

UNA द डर्टी पॉलिटिक्स : ये कांग्रेस-भाजपा के घोषणा-पत्र नहीं प्रदेश के माथे पर गुरबत की लकीरें हैं… पढ़ें पूरी खबर

UNITED NEWS OF ASIA. इस साल के चुनावों में न भाजपा पीछे रही न कांग्रेस। दोनों हाथों से दोनों से उड़ेला। न लिहाज किया न रहम। न बजट की गणित-गुणा बाधा बना न दीर्घकालिक रूप से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव का दृष्टिकोण। ऐसा फ्रीबीज संभवतः नब्बे के दशक में दक्षिणी राज्यों से शुरू हुआ था, जो अब चुनाव जीतने की महत्वपूर्ण वजह बन गया है। यह देश का जहां ले जाएगा वहां ले जाएगा, किंतु इसकी सीमा क्या होगी यह सोचनीय विषय है।

आमतौर पर एक समान मताधिकार वाली ऐसी व्यवस्थाओं में ऐसा होना ही होता है। क्योंकि जो जीतता है वही राज करता है और जो राज करता है वही दरअसल राजनेता और उसकी धमक होता है। बिना सत्ता के किसी राजनीतिक दल की कोई खनक नहीं। कोई वखत नहीं, कोई रौब नहीं, कोई भरोसा नहीं, कोई संभावना नहीं। ऐसे में क्या ही कीजिएगा।

छत्तीसगढ़ संपदाओं का प्रदेश। हर ओर हर तरह के रत्नों, अंतःसंपदा का धन, कोल से ओर तक, वन से जन तक सब संपदाओं से भरपूर। मगर अब मजबूर। कांग्रेस को चुनाव जीतना है। धान के दाम बेतहाशा बढ़ा दिए गए। बिना ये सोचे कि यह चावल बनकर अंततः तिगुना दाम किसकी जेब से वसूले जाएंगे। हम सबसे। उनसे भी जो खुद चावल उगाते हैं।

भाजपा ने सत्ता की लालसा में सारे व्यवधान खत्म कर दिए। सारे द्वार खोल दिए। सारी वर्जनाएं खत्म कर दी। उसे दिखाई दिया तो सिर्फ सत्ता का दरबाजा। अपनी ही बनाई लकीर लांघ दी। ऐसी घोषणाएं, ऐसी घोषणाएं कोई क्या ही सोचेगा। चलिए जरा समझ लीजिए आखिर इन घोषणापत्रों के बाद मैं इतना अधिक क्यों असहमति जता रहा हूं। आप स्वयं देखिए क्या होगा। यह न सोचिए इतने बड़े बजट में हमें कुछ समझ नहीं आता। कर्ज ले सरकार हमे दे, ऐसा भी मत सोचिएगा। इसे वैसे ही सोचिए जैसे आप अपनी जेब से पैसा निकालकर खर्च करने से पहले सोचते हैं।

  1. महतारी वंदन योजना (भाजपा)- पार्टी ने सालाना 12 हजार रुपए प्रति विवाहित महिलाओं को देने का ऐलान किया है। छत्तीसगढ़ में महिलाओं मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 2 लाख है। विवाह की औसत आयु 23 वर्ष है। इस लिहाज से देखें तो कुल मतादाताओं में 23 वर्ष व इससे अधिक आयु वालों की संख्या करीब 80 लाख है। इस योजना के लिए 96 सौ करोड़ धनराशि की आवश्यकता है।
  2. गृहलक्ष्मी योजना (कांग्रेस)- पार्टी ने सालाना 15 हजार रुपए प्रति महिलाओं को देने का ऐलान किया है। इसमें विवाहित की कैपिंग नहीं है, यानी जो भी 18 वर्ष या इससे अधिक की होंगी उन्हें देंगे। छत्तीसगढ़ में महिला मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 2 लाख है। इस योजना के लिए 15 हजार 3 सौ करोड़ धनराशि की आवश्यकता है।
  3. कर्जमाफी (कांग्रेस)- छत्तीसगढ़ में कुल किसानों की संख्या 37 लाख है। सामान्य खाद, बीज का कर्ज धान खरीदी के समय काट लिया जाता है। कांग्रेस ने इसे रिइंबर्स करने को कहा है। यह अभी जब धान खरीदी होगी तब किसान के खाते से कट जाएगा। दूसरा कर्ज केसीसी होता है, तीसरा एटीएल। एटीएल पर कोई माफी लागू नहीं होती। केसीसी में यह लागू होगा, किंतु सहकारी बैंक और नेशनलाइज बैंक्स के ही केसीसी माफ होंगे। केसीसी आमतौर पर एक फसली खेती में 18 से 22 हजार रुपए प्रति एकड़ मिलता है। एसएलबीसी के मुताबिक यह कर्ज छत्तीसगढ़ में 20 से 22 परसेंट किसानों ने लिया है। सब मिलाकर करीब 14-15 लाख किसान इस कर्जमाफी की श्रेणी में आते हैं, जिनकी धनराशि 10 हजार करोड़ हो रही है।
  4. धान बोनस (भाजपा)- पार्टी ने 2 साल का छूटा हुआ बोनस देने की बात कही है। यह राशि एक सीमांत किसान 5 एकड़ के लिए दो वर्ष की 45 हजार रुपए होती है। जबकि उस वक्त (2015-16 और 2016-17) खरीदी में धान विक्रेता किसानों की संख्या क्रमशः 13 लाख 17 हजार और 14 लाख 51 हजार थी और इनका औसत रकबा 8 लाख 60 हजार एकड़ और 9 लाख 48 हजार एकड़ था। यह 300 रुपए दिया जाना था। इसे कैल्कुलेट करते हैं तो 2580 करोड़ और 4350 करोड़ धनराशि लगेगी। यानि कुल रकम- 6920 करोड़।
  5. धान खरीदी (भाजपा)- फिलहाल 24 लाख किसान धान बेचते हैं। हर साल खरीदी का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। भाजपा ने एमएसपी से करीब 900 रुपए ऊपर कहा है। रकबा 21 क्विंटल रखा है। सीधा हिसाब 24 लाख किसानों से अगर पार्टी 1 लाख 25 लाख मिट्रिक टन खरीदती है तो इसमें 38 हजार 75 लाख करोड़ की धनराशि लगेगी। यानि MSP के ऊपर अतिरिक्त राशि 11 हजार 250 करोड़ लगेगी। (8900 करोड़ अभी भी दे रहे हैं) इसलिए यह लगभग 1111 करोड़ ज्यादा है।
  6. धान खरीदी (कांग्रेस)- फिलहाल 24 लाख किसान धान बेचते हैं। हर साल खरीदी का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। पार्टी ने एमएसपी से करीब 1000 रुपए ऊपर कहा है। रकबा 20 क्विंटल रखा है। सीधा हिसाब 24 लाख किसानों से अगर पार्टी 1 लाख 25 लाख मिट्रिक टन खरीदती है तो इसमें 40 हजार करोड़ धनराशि लगेगी। जिसमें MSP के ऊपर 1000 रुपए यानि लगभग 13 हजार 120 करोड़ अतिरिक्त खर्च आएगा। रकबा बेमानी है, क्योंकि छत्तीसगढ़ में 13.3 क्विंटल औसत उत्पादन है। (8900 करोड़ अभी भी दे रहे हैं) इसलिए यह लगभग 3100 करोड़ ज्यादा है।
  7. प्रधानमंत्री आवास (भाजपा)– 18 लाख आवास बनाने का ऐलान किया है। इसमें 40 फीसद राशि केंद्र सरकार और 60 फीसद राशि राज्य की होती है। इसमें 1 लाख 50 हजार रुपए कुल मिलते हैं। यानि केंद्र का प्रतिघर 60 हजार और राज्यांश 90 हजार होता है। इस लिहाज से देखें इसमें 16200 करोड़ धनराशि की जरूरत होगी। (यह अगले 5 वर्ष के लिए है-इसलिए इसमें सालाना 3240 करोड़ रुपए सालाना चाहिए)
  8. आवास योजना (कांग्रेस) – 17 लाख 50 हजार आवास बनाने का ऐलान किया है। इसमें 40 फीसद राशि केंद्र सरकार और 60 फीसद राशि राज्य की होती है। इस लिहाज से देखें इसमें 15750 करोड़ धनराशि की जरूरत होगी। (यह अगले 5 वर्ष के लिए है-इसलिए इसमें सालाना 3150 करोड़ रुपए सालाना चाहिए)
  9. गैस सिलेंडर (कांग्रेस)- इन्होंने सभी आयवर्ग की महिलाओं के लिए 500 रुपए गैस सिलेंडर रिफिलिंग पर सब्सिडी देंगे। भारत में गैस फिलिंग करने वाली तमाम एजेंसियों के मुताबिक गैस कनेक्शन में महिलाओं के नाम से कनेक्शन का रेशो 12 से 15 परसेंट है। छत्तीसगढ़ में गैस सिलेंडर हाउसहोल्ड लगभग 50 लाख हैं। इन्हें 500 रुपए की सब्सिडी देने पर 250 करोड़ प्रति फिलिंग धनराशि होगी। साल में 12 सिलेंडर के हिसाब से 3 हजार करोड़ होगा।
  10. गैस सिलेंडर (भाजपा)- इन्होंने सभी गरीब महिलाओं के लिए 500 रुपए गैस सिलेंडर रिफिलिंग पर सब्सिडी का ऐलान किया है। गरीबी यानि बीपीएल। छत्तीसगढ़ में उज्जलवा गैस कनेक्शन की संख्या 26.68 लाख है। इस लिहाज से 127 करोड़ प्रति रिफिलिंग धनराशि होती है। 12 सिलेंडर सालभर के हिसाब से 1424 करोड़ होगा।

प्रदेश का कुल बजट- 1 लाख 52 हजार करोड़

स्थापना व्यय (स्टैंडर्ड 30%)  47 हजार करोड़

नियमित योजनाओं पर व्यय (स्टैंडर्ड 40%)- 62 हजार करोड़

सरकार के पास खर्च करने को बचे (स्टैंडर्ड 30%)- 47 हजार करोड़

अतिरिक्त खर्च घोषणा भाजपा- 32434 हजार करोड़

अतिरिक्त खर्च घोषणा कांग्रेस- 44500 हजार करोड़

कुल फ्रीबीज घोषणाओं की राशि- 76934 हजार करोड़

खर्च करने के लिए उपलब्ध राशि- 47 हजार करोड़

नोटः अगर यह पूरी की पूरी इस्तेमाल करके और बाकी कर्ज लेकर भी पूरी कर दी जाती है तो बाकी सारे काम अटक जाएंगे। जबकि दोनों के घोषणा-पत्रों में और भी ऐसे कई वादे हैं जो फ्रीबीज हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ को सालाना 40 हजार करोड़ का कर्ज लेकर इन्हें पूरा करना होगा, जिसका ब्याज और मूल मिलाकर अगले 20 सालों तक चुकाने पर विवश होना होगा। इसके अलावा रोड, सड़क, बिजली, पानी जैसे मूलभूत काम भी अटक जाएंगे।

Show More

Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
Back to top button

You cannot copy content of this page