UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा । चुनावी दंगल हो या जंग का मैदान कब कौन क्या कर जाए और कब कौन सा नया मोड़ आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता ? ठीक ऐसा ही कुछ कवर्धा की राजनीति में देखने को मिल रहा है । नामांकन के दौर में कवर्धा विधानसभा से आम आदमी पार्टी से राजा खड़गराज सिंह चुनावी मैदान में कल 19 तारीख को अपना नामांकन दर्ज किया है तो वहीं आज रानी आकांक्षा सिंह ने भी अपना नाम निर्देशन कवर्धा विधानसभा से प्रस्तुत कर अपनी दावेदारी पेश की है ।
आम आदमी पार्टी में लगातार अंतर्कलह : पिछले कुछ दिनों से आम आदमी पार्टी कबीरधाम में राजा खड़गराज सिंह के रवैए से परेशान कार्यकर्ता लगातार पार्टी छोड़ अन्य पार्टियों में शामिल हो रहे है । तो वही एक पहलू ये भी है के राजा साहब से पहले रानी साहिबा आम आदमी पार्टी का चेहरा बन कर आई थी और बाद में राजा साहब ने आम आदमी पार्टी की सदस्यता ली । या यूं कहे के मयान तलवार पर भारी पड़ गई थी ।
राजा खड्ग राज सिंह से ज्यादा रानी की लोकप्रियता : राजा साहब और रानी साहिबा में आम जनता के बीच रानी आकांक्षा सिंह की लोकप्रियता ज्यादा देखी गई है । शायद यही वजह है के आम आदमी पार्टी ने कम समय में कवर्धा में अपनी पैठ जमा ली थी । लेकिन वर्तमान में देखें तो जिस तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं में पार्टी छोड़ कर ठीक चुनाव से पहले ही अन्य पार्टी में जा रहे है । ये राजा या रानी की चाह वाली बात हो गई है ।
क्या राजा साहब और रानी साहिबा में चल रही है अनबन?
बाहर की हवा कहीं घर तक तो नही आ गई ? कहीं कार्यकर्ताओं की नाराजगी घर की कलह का तो नही है कारण ? अब ये तो वो ही जाने लेकिन बंद दरवाजों के पीछे रहने वाले लोगों से सतर्क रहने की जरूरत जरूर आ पड़ी है ।
कवर्धा के बुलंद पत्रकारों की गिनती करा कर लिस्ट बताने वाले तथाकथित व्यक्ति सह युक्ति जिसकी चर्चा फर्जी बिलिंग को लेकर कवर्धा में जोरों पर है, भी राजमहल लोहारा में बहुत सक्रिय भूमिका में खुद को रखे हुए राजा और रानी को कवर्धा में अच्छा प्रतिसाद नही मिलने की कारक में से भी एक है ।
क्या राजा खड़गराज सिंह को अपनी नेतृत्व क्षमता में नही है विश्वास : नामांकन के दौर में जिस प्रकार से आज रानी आकांक्षा सिंह ने अपनी दावेदारी की है। लगता है कि राजा साहब को अपनी नेतृत्व क्षमता में यकीन नही रहा है । इसलिए वे ठीक पहले की तरह अपनी बेगम के पीछे इस चुनावी मैदान में राजा होते हुए भी वजीर की भूमिका में खुद को रखना चाह रहे है ।
अब ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा की कवर्धा की सियासी जंग में दोनो में से कौन आगे आता है ।
या पूरा मामला सिर्फ राजा, रानी और केजरीवाल के बीच की सियासी चाल है ?