UNA Vishlesanछत्तीसगढ़रायपुरलाइफ स्टाइल

UNA हिंदी दिवस विशेष: ‘लोग चीनी, चाउमिन कहते हैं पर हम भारतीय हैं’:नॉर्थ ईस्ट की लड़कियों ने कहा- हिंदी पढ़ने आए हैं, ताकि वहां के बच्चों को पढ़ा सकें…!!

UNITED NEWS OF ASIA. 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस हिंदी भाषा की अहमियत कितनी हैं यह नॉर्थ ईस्ट की कुछ छात्राओं से पता चली जो रायपुर के दुर्गा कॉलेज में हिंदी साहित्य की पढ़ाई करने पहुंची हैं। उनका कहना है कि बाहर निकलो तो कुछ लोग हमें चीनी कहते हैं, कुछ चाउमिन या नेपाली बुलाते हैं। यह कमेंट आम हैं, कैसे बताएं कि हम भारतीय हैं और यहां हिंदी की पढ़ाई करने आए हैं, ताकि नॉर्थ ईस्ट राज्यों में लौटकर वहां के बच्चों को हिंदी पढ़ा सकें।

हेमोलिका, बन्ना, लोलिता और सदरक असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और मेघालय से आई हैं। हिंदी साहित्य की पढ़ाई ही क्यों? इस सवाल पर कहती हैं कि नॉर्थ ईस्ट में हिंदी के टीचर नहीं मिलते। पढ़कर जाएंगी तो वहां हिंदी की टीचर बनेंगी।

UNA ने इन लड़कियों के शिक्षकों से बात की, तो उनका कहना था कि इनमें हिंदी भाषा को लेकर इतनी गंभीरता है कि ये न मात्राओं की गलती करती हैं, और न ही स्त्रीलिंग-पुल्लिंग की। जिन राज्यों से ये आई हैं, वहां स्थानीय भाषाओं के अलावा बंगाली भी बोली जाती है।

लेकिन छात्राओं का कहना है कि अब वहां हिंदी भी लिखी और बोली जाने लगी है। लोग एक-दूसरे को देखकर हिंदी सीखने की कोशिश करते हैं। इसीलिए टीचर की जरूरत बढ़ रही है और वहां से हर साल काफी लड़कियां हिंदी सीखने के लिए आ रही हैं। छत्तीसगढ़ शांत और सुरक्षित राज्य है, इसलिए यहां ज्यादा आ रही हैं।

टीचर बनकर हिंदी पढ़ाएंगी

एमए फाइनल ईयर की हेमोलिका का कहना हैं कि हमारे राज्य में हिंदी टीचर नहीं मिलते। दूसरे हिंदी भाषी राज्यों के लोग वहां पढ़ाने नहीं आते। इसलिए वहीं के गांवों की लड़कियां टीचर बनकर वहां हिंदी पढ़ाना चाहती है। अरुणाचल की बीए सेकेंड ईयर की बन्ना ने कहा कि वह अपने राज्य में ही वापस लौटेंगी। वहां दूसरी नौकरी भी मिल जाएगी, लेकिन मुझे हिंदी पढ़ाना है। यह इसलिए ताकि हिंदी सीखने में जो दिक्कत हम उठा रही हैं, आगे की पीढ़ी न उठाए। मेघालय की प्रिया कोच ने मीडिया को बताया कि उसे हिंदी में पीएचडी भी करना है।

पांच साल से आ रही छात्राएं

दुर्गा कॉलेज में हिंदी साहित्य के एचओडी राकेश कुमार तिवारी ने बताया कि इस साल हमारे कॉलेज से नॉर्थ-ईस्ट इंडिया की 10 बच्चियां हिंदी साहित्य पढ़ने आईं। हर साल एक-दो छात्राएं एमए करके निकल रही हैं। पांच सालों में नॉर्थ ईस्ट की 8 लड़कियां हिंदी पढ़कर अपने राज्य लौट गई हैं।

नौकरी मिलने में आसानी

नार्थ-ईस्ट से आकर यहां पढ़ने वाली बच्चियां लोवर मिडिल क्लास परिवारों की हैं। दुर्गा कॉलेज से हिंदी साहित्य में पासआउट बरगली छलाम अब असम रायफल स्कूल में हिंदी की टीचर हैं। वहां हिंदी टीचर नहीं मिलते। काॅलेजों और स्कूलों में हिंदी टीचर की ढेरों पोस्ट खाली हैं। इसीलिए नॉर्थ ईस्ट की लड़कियां हिंदी पढ़ने दूसरे राज्यों में जा रही है। लेकिन ज्यादातर छत्तीसगढ़ को ही चुन रही हैं।

 


यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ एशिया पर खबरों का विश्लेषण लगातार जारी है..

आपके पास किसी खबर पर जानकारी या शिकायत है ?
संपर्क करें unanewsofficial@gmail.com | 8839439946, 9244604787

व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें


विज्ञापन के लिए संपर्क करें : 9244604787


निष्पक्ष और जनसरोकार की पत्रकारिता को समर्पित
आपका अपना नेशनल न्यूज चैनल UNA News

Now Available on :

Show More
Back to top button

You cannot copy content of this page