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UNA “डार्क सीक्रेट्स ऑफ़ रायपुर” : शराब, शबाब, सुखा नशा, LSD, इंजेक्शन “राजधानी में नशा है !”

हमारे देवतुल्य पाठको को नमस्कार ! आज हम बात करने वाले है देश के महानगरो में शामिल छत्तीसगढ़ का दिल राजधानी रायपुर के बारे में

सरकार बदली और बदली नीति व नीयत! जो देखा भी जा सकता है। शासन की मजबूत लगाम की नकेल जब से प्रशासन में कसी है, तब से नशे के विरुद्ध ताबड़तोड़ कार्यवाही दर्ज हुई है। नरोकोटिक सहित आबकारी के एक हजार से अधिक मामले बीस पखवाड़े में दर्ज किए गए है। जिसमे से तीन सौ से अधिक मामलों के आरोपियों को गैर जमानती धारा के तहत जेल भी भेजा गया है। जनता जहा पुलिस व आबकारी की पीठ थपथपा रही है वहीं नशे के सौदागरों की कमर भी टूटी है, लेकिन वर्तमान परिस्थिति में राजधानी को नशे से निजाद नहीं है। नशे के कारोबारियों का तंत्र तोड़ने में लगे विभाग के सामने नशे की गिरफ्त में युवाओं को नशे से निजाद दिलाना भी एक बड़ी चुनौती है। शहर से लगे ढाबा, बार व कैफे में भले की हुक्का वैधानिक रूप से बंद है, लेकिन उक्त जगहों की पार्किंग में गांजा पीकर धुएं का छल्ला उड़ाते युवा आसानी से देखे जा सकते है। सूत्रों की माने तो गांजे की पुड़िया पुराने कीमत में आज भी आसानी से शहर के तय अड्डा में उपलब्ध हो जाती है। ऐसे में कार्यवाही का दर नशे के सौदागरों में तो देखने को मिल रहा है, परन्तु नशे के आदी युवाओं को नशे से निजाद नहीं मिल पा रही है।

जब रोक टोक नहीं तो डर काहे का…

पढ़ने व काम करने राजधानी आए युवाओं को नशा करने से कोई रोक टोक नहीं है। दरसअल उक्त युवा परिवार की छत – छाया दूर है; ऐसे में आजादी का बेजा फायदा उठाते युवा मनमाने नशा कर रहे है। इन युवाओं में नशे के विरूद्ध अलख जगाने की दरकार है।

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