Dark Secret of Kawardha

UNA डार्क सीक्रेट्स ऑफ़ कवर्धा : बदलती फिजाये… जिसे देख कुर्सी हटा दी जाती थी आज बन चुके है सरताज… क्या कांग्रेस अभी भी उसी भूल मे कर रही राजनीती

नमस्कार 

डार्क सीक्रेट्स ऑफ़ कवर्धा में आप सभी देव तुल्य पाठकों का एक बार फिर स्वागत है. बीते वर्षो मे राजनीती के कई रंग देखने को मिले. कवर्धा धर्मनगरी मे उठे धार्मिक उन्माद से लेकर उठे बवाल को सियासत के सीने मे चुभाने से लेकर बिरनपुर मे हुई घटना को इंसाफ के तोर पर देखा जा रहा है.

सच कहे तो कवर्धा मे ये चुनाव वास्तविकता का परिचायक रहा, जहाँ एक ओर जिला पंचायत के सदस्य रहे विजय शर्मा ने कद्दावर तत्कालीन मंत्री को लगभग 40 हजार वोटो से शिकस्त दी तो वहीँ दूसरी ओर बिरनपुर मामले मे पीड़ित के पिता ईश्वर साहू ने सात बार के विधायक को हराकर एक नई तासीर बना दी.

पर क्या इतने बड़े नुकसान से कांग्रेस सबक सीख रही है??? ये तो वक्त ही बताएगा पर अपने ईमानदार कार्यकर्ताओ को उपेक्षित कर बाहर से आयातीत लोगों को महत्व देने का आरोप आज हर कोई कांग्रेस पार्टी के नेताओं पर लगा रहा है.

कवर्धा के हलकों मे ये चर्चा आम है की कभी बीजेपी कार्यालय मे विजय शर्मा के नाम से कुर्सी खाली नहीं रहती थी पर आज मेहनत के बलबूते वो छग की राजनीती के शिखर पर है. कभी डॉ रमन सिंह के स्वागत हेतु पंक्ति मे रहने वाले विजय शर्मा, आज डॉ रमन सिँह जी से सौजन्य भेंट करने वाले माननीय की पंक्ति है.

ये सब कुदरत का करिश्मा है, जिसे जितना लम्बा संघर्ष और इंतजार करवाया जायेगा वो उतना ही निखर कर सामने आता है. बहरहाल कांग्रेसियो का दर्द चरम पर है, गत दिनों हुई बैठक मे कुछ कार्यकर्ताओ ने समीक्षा बैठक की मांग तक कर दी थी
कार्यकर्ताओं ने तो भरी बैठक मे ये तक कह दिया था कि पंद्रह साल बीजेपी सरकार मे लाठी खायी तो पांच साल कांग्रेस सरकार मे धुत्कार सहना पड़ा.

मसला जो भी रहे कार्यकर्ता ही पार्टी का आधार है और इसे भूल जाना ही नेताओं के ताबूत का कील…

डार्क सीक्रेट्स ऑफ़ कवर्धा में ख़बरों का विश्लेषण निरंतर जारी है..

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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