कबीरधामचुनावछत्तीसगढ़

UNA विश्लेषण: “हम तो लिखेंगे” फकीरों को अमीरो की गिनती मे लाने वाले छग के चमन को अब तिनके का सहारा, बुरा समय देख लोगों ने मुँह मोडा तो युवा नेत्री पितामाह मान कर रही राजनीतिक सेवा


नमस्कार

क्या आप जानते है की हम आपको नमस्कार क्यों करते है क्यूंकि हमें पता है की हमारे पाठक ही हमारे लिए देव तुल्य है । हमने ना सफ़ेद बंगले वाले ऑफिस मे सर झुकाया न ही सैकड़ों गाड़ी के काफ़िले से पहुँचे नेता की एकतरफा तारीफ की पुले बाँधी

हम निष्पक्ष है और सदैव रहेंगे।

आइये आज हम चर्चा करते है प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और छग के विकास के चमन डॉ रमन के बारे मे..

रंगमंच बदलता है, अदाकार बदलते हैं लेकिन किरदार नहीं बदलते, कहानियाँ नहीं बदलती हैं। जिस कहानी का रंगमंच आज हमारा शहर है, जिस कहानी के चेहरे आज ये है, कल इसी कहानी के अदाकार और रंगमंच दूसरे होंगे लेकिन कहानी कायनात में जिंदा रहेगी लफ्ज-लफ्ज, कयामत के दिन तक।
जब कहानी के किरदारों का जिक्र हो तो ये चेहरा लोगों के जेहन में उतर आए, ऐसा काम करना है हमें।

डॉ रमन सिंह जिन्होंने जोगी के तीन वर्षो के शासन के खिलाफ केंद्रीय सत्ता को लाँघकर बीजेपी का झंडा बुलंद किया वो छग के इतिहास मे छग के चमन के नाम से विख्यात हुए।

भारत देश मे फोकट मे चावल योजना की शुरुआत करके “चाउर वाले बाबा” बनने से लेकर स्काई योजना मे मोबाइल,टेबलेट लेपटॉप बाटने तक से लेकर डॉ रमन छग के जनता के दिलो मे गहरी छाप छोड़ गए।

15 वर्षो तक जिस चेहरे के दम बीजेपी सत्ता पर काबिज रही आज वहीँ चेहरा बीजेपी के लिए सिर्फ फ्लेक्स मे छोटी सी जगह देने लायक रह गया। वो कहते है न बाप बड़ा न भैया… बस वहीँ हालात डॉ साहब पर भी लागु हो गए ।

डॉ रमन सिंह का गृह क्षेत्र कवर्धा जहाँ डॉ रमन सिंह को अपना रिश्तेदार बताते लोग थकते नहीं थे, आज कवर्धा मे कांग्रेस के मंत्री मोहम्मद अकबर की राजनितिक प्रभुत्व के चलते डॉ रमन सिंह को उपेक्षित करने कोई कमी न छोड़ रहे।

आज डॉ रमन की तारीफ की पुलिंदे बनाते कांग्रेसी नेता बताते है की किस तरह कोई खाद बेचने वाले, होटल संचालक ,फल बेचने वाले को डॉ रमन सिंह की कृपा मिली और अनाप सनाप अरबो रूपये की जमीनें एकाएक दर्ज होते चली गयी.

15 वर्षो तक सफ़ेद बंगले मे सुबह शाम हाजरी लगाने वाले ये राजनितिक सर्प डॉ रमन सिंह को धोका देकर अब चाटुकारिता की राजनीती के सहारे कांग्रेस की नाव डुबाने लग गए है ।

साइकिल के लिए तरसने वाले लोगों को जिस डॉ ने स्कार्पियो की सफर करवाई वो आज एक अदद सम्मान हेतु भटक रहे कभी छग की राजनीती का केंद्र रहे डॉ रमन सिंह आज स्वयं उपेक्षा का शिकार हो गए है।

सूत्र बताते है की स्कुल चलाने वाली समाजसेवी युवा नेत्री ही एकमात्र नेत्री है जो अब भी डॉ रमन पर भरोसा कर अपनी राजनीती कवर्धा मे चमकाने मे लगी हुई है वरना उनके रहमो करम के चलते जमीन डकार लेने वाले लोगों ने तो डॉ रमन को फ्लेक्स मे बड़ी जगह देने से भी किनारा ले लिया है।

बहरहाल डॉ रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह कवर्धा मे बहुत सक्रीय है जिसे देख के लगता है की बड़े राजनितिक परिवर्तन होंगे।

कवर्धा मे जिस तरह एक वर्ग विशेष के बीजेपी नेताओं का झुकाव कांग्रेस नेताओं की ओर बढ़ा है और रायपुर बंगले मे आने जाने की खबरें चली है तबसे संदेह के दायरे मे रखा जाने लगा है।

अंत मे हम यही कहेंगे की राजनीति नाम से नहीं कर्मो से बदनाम हो चली है धोकेबाज तो धोका देंगे ही पर उन धोकेबाजो पर भरोसा करना कहीं वर्तमान सत्ताधीश को भारी न पड़ जाये।

लगातार खबरों का विश्लेषण जारी….

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