चुनावछत्तीसगढ़

UNA विश्लेषण : बेरोजगारी भत्ता, एकजुटता, कका की टीआरपी, आदिवासी वोटर्स पर फोकस या फिर भांचा राम वाली कांग्रेस की सॉफ्ट हिंदुत्व, क्या सत्ता में कांग्रेस की दोबारा वापसी करा पाएगी ? या चुनाव के लिए बदलनी पड़ेगी सियासी स्ट्रेटजी

UNITED NEWS OF ASIA. UNA के खबरों पर सटीक विश्लेषण के विशेष लेखांकन में आप सभी पाठकों का स्वागत है । जैसा कि आप सभी को पता है छत्तीसगढ़ में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस ने अपनी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। कांग्रेस का फोकस है इस बार का विधानसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ना।

छत्तीसगढ़ में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जबरदस्त जीत दर्ज कर सरकार बनाई थी। 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस एक बार फिर से एक्टिव हो गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के तहत राज्य की सभी 90 सीटों का दौरा किया है। सीएम अब युवाओं से संवाद कर रहे हैं। 2018 में कांग्रेस की वापसी के लिए सबसे बड़ा कारण धान के समर्थन मूल्य में वृद्धि की घोषणा मानी जा रही थी। अब कांग्रेस सत्ता में ऐसे में कांग्रेस की प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि हम अपने काम के दम पर जनता से वोट मांगेगे। आइए जानते हैं 2023 के विधानसभा चुनाव में भी 5 ऐसे कौन से फैक्टर हैं जो राज्य में एक बार फिर से कांग्रेस की वापसी करा सकते हैं।

बेरोजगारी भत्ता

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के युवाओं को साधने के लिए बेरोजगारी भत्ता योजना की शुरुआत की। यह योजना राज्य में 1 अप्रैल 2023 से शुरू हुई। योजना के तहत अभी तक करीब 1 लाख से ज्यादा युवाओं ने रजिस्ट्रेशन कराया है। मुख्यमंत्री इस योजना के लिए किस्त भी जारी कर चुके हैं। इस योजना के तहत पात्र बेरोजगार युवाओं को हर महीने 2500 रुपए दिए जाते हैं। पैसों के साथ-साथ युवाओं को रोजगार के लिए कौशल प्रशिक्षण भी दिया जाता है। भूपेश बघेल की यह योजना राज्य में कांग्रेस की सत्ता में वापसी के लिए मास्टर स्ट्रोक मानी जा रही है।

एकजुट है कांग्रेस

ज्यादातर राज्यों में चुनाव के समय कांग्रेस में अक्सर गुटबाजी नजर आती है लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं है। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से करीब 5 महीने पहले कांग्रेस ने अपने सत्ता और संगठन में बदलाव किया है। लंबे समय से नाराज बताए जा रहे पार्टी के सीनियर लीडर टीएस सिंहदेव को राज्य का उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। वहीं, मोहन मरकाम की जगह दीपक बैज को राज्य का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। मोहन मरकाम को भूपेश कैबिनेट में जगह मिली है। राज्य में सभी नेताओं को एकजुट करने के लिए संगठन लगातार काम कर रहा है।

भूपेश बघेल की बढ़ती लोकप्रियता

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की बढ़ती लोकप्रियता कांग्रेस के लिए फायदेमंद हो सकती है। भूपेश बघेल लोगों के बीच विपक्ष के दूसरे नेताओं से ज्यादा लोकप्रिय हैं। यही कारण है कि कांग्रेस ने ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री वाले फैसले पर विचार नहीं किया था। राज्य के साथ-साथ भूपेश बघेल का कद केन्द्रीय राजनीति में भी बढ़ रहा है। विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस भूपेश बघेल के चेहरे पर बड़ा दाव खेल सकती है।

आदिवासी वोटर्स पर फोकस

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस का सबसे ज्यादा फोकस आदिवासी वोटर्स में हैं। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने बीजेपी के सीनियर लीडर नंदकुमार साय को अपने पाले में लाने में सफल रही है। वहीं, उन्हें कैबिनेट मंत्री का भी दर्जा दिया है। आदिवासी बाहुल्य बस्तर को साधने के लिए भूपेश बघेल ने मोहन मरकाम को मंत्री बनाया है। मोहन मरकाम से पहले केवल कवासी लखमा ही बस्तर से मंत्री थे। वहीं, बस्तर क्षेत्र से सांसद दीपक बैज को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। ऐसे में कांग्रेस का सबसे ज्यादा फोकस राज्य की आदिवासी बाहुल्य विधानसभा सीटों पर है।

कांग्रेस का सॉफ्ट हिन्दुत्व

विधानसभा चुनाव पहले से कांग्रेस सॉफ्ट हिन्दुत्व पर फोकस कर रही है। सॉफ्ट हिन्दुत्व के मुद्दों को लेकर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार ने राम पथ गमन, और माता कौशल्या का मंदिर जैसे निर्माण का फैसला लिया है। वहीं, यूसीसी के मुद्दे पर कांग्रेस आदिवासी संस्कृति और परंपरा के मुद्दे को उठा रही है। खैर अब देखना ये है की क्या ये अहम पांच मुद्दे हैं जिससे कांग्रेस की सत्ता में वापसी के लिए राह आसान हो सकती है। या फिर जनता जनार्दन कोई कुछ और ही चाह रखती है ।

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नमस्कार

 


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