राजनांदगांव लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ में हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है, जो छत्तीसगढ़ में बीजेपी का गढ़ माना जाता है. इस बार राजनांदगांव सीट पर कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चुनावी मैदान में उतारा है. भाजपा ने सांसद संतोष पांडे को दोबारा टिकट दिया है. दोनों प्रमुख पार्टियां अपनी जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. लगातार इस लोकसभा सीट में बड़े नेता चुनाव प्रचार के लिए आ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में कका के नाम से मशहूर भूपेश बघेल राजनांदगांव में चक्रव्यूह को भेदने मे सफल होते दिख रहे है शहर एवं विशेषकर ग्रामीण इलाकों में बघेल के पास पर्याप्त जनसमर्थन मिल रहा है।
- मुख्यालयों से कुछ किमी आगे बढ़िए, तो लोगों की राय उनके पक्ष में सकारात्मक मिलती है।
विशेष तोर पर किसान वर्ग का मानना है कि मुख्यमंत्री रहते बघेल ने उनके लिए काफी काम किया है। लेकिन, बात जब थोड़ी आगे बढ़ती है, तो मन का भाव सामने आ जाता है-जीतेगी तो बीजेपी ही! यह नैरेटिव ही बघेल की सबसे बड़ी चुनौती और भाजपा की सबसे बड़ी ताकत है। फिलहाल कांग्रेस के पास इसका कोई तोड़ नहीं है।
दिल्ली पहुंचने के लिए बघेल ने दिन-रात एक कर रखा है। बघेल को ग्रामीण इलाकों से ज्यादा उम्मीद है। इसलिए राजनांदगांव, जहां से पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह विधायक हैं, जैसे इलाकों को छोड़कर वह खैरागढ़, डोगरगांव, कवर्धा और पंडरिया जैसे इलाकों में ज्यादा जोर लगा रहे हैं। भाजपा ने यहां से मौजूदा सांसद संतोष पांडेय को फिर उतारा है।
- क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से पांच पर कांग्रेस का कब्जा है। क्या इसका फायदा बघेल को नहीं मिलेगा?
भाजपा एक और जहाँ मोदी मैजिक पर भरोसा कर रही है तो जीत के प्रति आश्वस्त होकर कांग्रेस ने मोर्चा फतह करने के लिए पूरा जोर लगा रखा है। जातिगत समीकरण, प्रचार सामाग्री का सही विवरण, एक-एक वोटर की ट्रैकिंग, बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की उपस्थिति और सोशल मीडिया पर प्रचार से लेकर भाजपा समर्थक माने जाने वाले वोटरों तक पहुंच बनाने की कोशिश, हर रणनीति कांग्रेस पूरी शिद्दत से अंजाम दे रही है।
उधर, भाजपा ने मौजूदा सांसद संतोष पांडे को मौका दिया है, पर ये जगजाहिर है की उनके नाम की घोषणा होते ही बीजेपी के एक बड़े वर्ग मे असन्तोष पनप गया है।
हालाँकि बीजेपी को अपने परपंरागत मतदाताओं के अलावा मोदी मैजिक पर पूरा भरोसा है। मौजूदा सांसद संतोष पांडेय का सहज व्यवहार और इलाके में कराए गए काम भी उनके काम आ रहे हैं। गढ़बो नया छत्तीसगढ़ का नारा कभी कांग्रेस ने दिया था लेकिन अब जैसे भाजपा ने इसे अपना लिया है।
बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ अंदरूनी असन्तोष और कांग्रेस के एक होकर लड़ रहे चुनाव को देखकर ऐसा लगता है कि भूपेश बघेल मोदी मैजिक को भेदने मे कामयाब हो सकते है।