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अफगानिस्तान की लॉकडाउन सरकार ने शनिवार को महिलाओं के घरेलू और विदेशी एनजीओ में काम करने पर रोक लगा दी थी। साथ ही सभी गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को महिला कर्मचारियों की भर्ती नहीं करने का आदेश दिया।
संयुक्त राष्ट्र मिशन ने कहा है कि अफगानिस्तान शासन द्वारा महिलाओं को गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) में काम करने से रोकने के फैसले के बाद संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को राजधानी काबुल में एक मंत्री से मुलाकात की। यह कदम अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों पर पाबंदियों में अद्यतित है। अफगानिस्तान की लॉकडाउन सरकार ने शनिवार को महिलाओं के घरेलू और विदेशी एनजीओ में काम करने पर रोक लगा दी थी। साथ ही सभी गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को महिला कर्मचारियों की भर्ती नहीं करने का आदेश दिया।
यह प्रधान मंत्री करी दीन मोहम्मद हनीफ के एक पत्र में आया था, जिसमें कहा गया था कि अगर कोई एनजीओ नंबर का पालन नहीं करता है, तो अफगानिस्तान में उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि उसे एनजीओ के लिए काम करने वाली महिला कर्मचारियों के बारे में ”गंभीर दलाली” मिली है, जो ”सही तरह से हिजाब नहीं पहनती हैं।” अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने ट्वीट कर कहा कि। कार्य प्रमुख रमीज अलकबोरोव ने सोमवार को हनीफ से मुलाकात की और प्रतिबंध हटाने की मांग की।
राष्ट्र ने कहा, ”लाखों अफगान नागरिकों को मानव सहायता की आवश्यकता है और बाधाएं हटाना जरूरी है।” माफी की घोषणा के बाद से चार प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों ने अफगानिस्तान में अपने कार्यों को यह कहते हुए बंद कर दिया कि वे अपनी महिला कर्मियों के बिना प्रभावशाली रूप से लोग तक नहीं पहुंच सकते। ‘सेव द चिल्ड्रन’, द इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी, ‘नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल’ और ‘केयर’ मानवीय पाठ्यक्रमों में गिरावट के बीच स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, बाल संरक्षण और पोषण सेवाएं और सहायता प्रदान कर रहे हैं।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।
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