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उद्धव बनाम शिंदे: महाराष्ट्र सियासी संकट मामले में सुनवाई पूरी, 5 जजों की याचिकाओं का फैसला सुरक्षित, जानें अब तक SC में क्या हुआ

नौ दिनों तक सुनवाउ के चले जाने के बाद भी कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा। सर्वोच्च न्यायालय ने ठाकरे गुट, एकनाथ शिंदे गुट और राज्यपाल की ओर से सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रखा है।

सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान याचिका ने गुरुवार को वाइडर ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले कार्यकर्ताओं के बीच बीजेपी पार्टी में बंटवारे से जुड़े कई मुद्दों पर फैसला टाल दिया। एकनाथ शिंदे ने पहली याचिका जून 2022 में अतिरिक्त डिप्टी स्पीकर द्वारा संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत शामिल दल-बदल को लेकर बागियों को शिकायत करने पर आपत्तिजनक दायर की थी। नौ दिनों तक सुनवाउ के चले जाने के बाद भी कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा। सर्वोच्च न्यायालय ने ठाकरे गुट, एकनाथ शिंदे गुट और राज्यपाल की ओर से सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रखा है। ठाकरे के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी जबकि शिंदे के वकील ग्रीनश साल्वे, नीरज किशन कौल और देवदत्त कामत कोर्ट ने अपनी याचिका दायर करने के लिए पेश किए।

अगस्त 2022 में भारत के अनुभाग न्यायाधीश मुख्य एनवी रमना के नेतृत्व वाले 3-न्यायाधीशों की पीठ ने निम्नलिखित मुद्दों को कथित रूप से याचिकाओं को एक संविधान पीठ के पास भेजा था। पांच न्यायाधीशों की एक शिक्षा को संविधान की व्याख्या के अनुसार कानून के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नों के साथ देखा जाता है, जिनमें शामिल हैं-

A. किसी वक्ता को हटाए जाने का नोटिस कोर्ट ने उन्हें नबाम रेबिया में भारतीय संविधान के शेड्यूल X के तहत अधिग्रहीत की कार्यवाही जारी रखने से रोका है;

B. क्या लेखा-जोखा 226 और लेखा-जोखा 32 के तहत एक याचिका उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असम्बद्धता की कार्यवाही पर निर्णय लेने के लिए आमंत्रित करती है, जैसा भी मामला हो?

C. क्या कोई न्यायालय यह मान सकता है कि किसी सदस्य को उसके कार्यों के आधार पर अध्यक्ष के निर्णय की अनुपस्थिति में अनुचित माना जाता है?

घ. मकान में याचिकाओं को प्राप्त करने की कार्यवाही के दौरान सदस्यों की अस्पष्टता की स्थिति क्या है?

ई. यदि अध्यक्ष का यह निर्णय है कि किसी सदस्य की दसवीं अनुसूची के तहत अपवर्जित घोषित किया गया था, तो शिकायत की तारीख से संबंधित है, तो अमान्यता याचिका की प्राप्ति होने के दौरान कार्यवाही की स्थिति क्या है?

एफ. दसवीं अनुसूची के पैरा 3 को हटाने का क्या प्रभाव पड़ा? (जो गैर-कानूनी कार्यवाही की खिलाफत के बचाव के रूप में एक पार्टी में “विभाजन” छोड़ दिए गए)

जी. विधायक दल के व्हिप और सदन के नेता को निर्धारित करने के लिए अध्यक्ष की शक्ति का दायरा क्या है?

एच. दसवीं अनुसूची के पहलुओं के संबंध में परस्पर क्रिया क्या है?

I. क्या इंट्रा-पार्टी प्रश्न अस्पष्ट समीक्षा नहीं देख सकते हैं? इसकी फाइलिंग क्या है?

जे. किसी व्यक्ति को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने की राज्यपाल की शक्ति और क्या यह चित्र समीक्षा के लिए सक्षम नहीं है?

के.किसी पार्टी के भीतर एकतरफा विभाजन को रोकने के संबंध में भारत के चुनाव आयोग की शक्तियों का दायरा क्या है।

संविधान की तार्किक सुनवाई

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, मिश्रित शेयर शाह, कृष्ण मुरारी, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की 5-न्यायाधीशों की पीठ ने 14 फरवरी को मामले की सुनवाई शुरू की। द्वाउडर पक्ष द्वारा एक प्रारंभिक ईमेल किया गया था कि इस मामले को नबाम रेबिया (2016) के फैसले पर निर्भर करने के लिए एक बड़ी बेंच को भेजा जाना चाहिए, जब अध्यक्षों को असम्बद्धता नोटिस जारी नहीं किया जा सकता है, जब उन्हें हटाने की मांग नोटिस सूचना हो। पढ़ाई ने शुरुआती मुश्‍किलों पर तीन दिनों तक याचिकाएँ सुनें। पीठ ने 17 फरवरी को मामले के गुण-दोष के साथ इस प्रारंभिक मुददों पर विचार करने का फैसला किया। उसी दिन, भारत के चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे को आधिकारिक बीजेपी के रूप में मान्यता देने का आदेश पारित किया।

ठाकरे सरकार को बहाल करने की मांग कैसे कर सकते हैं?

बीजेपी बनाम बीजेपी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उड़ने वाले ठाकरे के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से सवाल पूछा कि आप ठाकरे सरकार को बहाल करने की मांग कैसे कर सकते हैं? लेकिन आपने इस्तीफा दे दिया था। जस्टिस फाइबर शाह ने कहा कि अदालत उस सरकार को कैसे बहाल कर सकती है जिसने किसी विश्वास मत का सामना नहीं किया? ठाकरे की ओर से सिंघवी ने कहा कि वैसे तो हर पार्टी में समझौते हैं, लेकिन उनसे समाधान के और भी दृष्टिकोण उपाय हैं। लेकिन ये कैसे हो सकता है कि आप समझौता करने वाली सरकार को ही स्थिर कर उसे गिरा दें।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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