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तुनिशा शर्मा आत्महत्या: शीजान ‘आत्महत्या के लिए उकसाने’ के आरोप में गिरफ्तार, इतना आसान नहीं इसे कोर्ट में साबित करना

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तुनिषा शर्मा आत्महत्या मामले में एक्स-बॉयफ्रेंड में शामिल हैं
शीजान खान को पुलिस ने धारा 306 के तहत गिरफ्तार किया है
इस धारा को कोर्ट में साबित करना पुलिस के लिए मुश्किल है

मुंबई। टीवी एक्ट्रेस तुनिषा शर्मा के आत्महत्या करने के बाद देश में सनसनी फैल गई है। कहा जा रहा है कि उसने बॉयफ्रेंड के ब्रेक अप के बाद यह आत्मघाती कदम उठाया। उसकी मौत के बाद अब पुलिस ने उसके एक्स-बॉयफ्रेंड शीजान खान को आईपीसी की धारा 306 के तहत गिरफ्तार कर लिया है। यानी कि शीजान पर आरोप है कि उसने तुनिषा को आत्महत्या के लिए उकसाया। लेकिन, ‘ब्रेकअप’ को उत्तेजक होने की वजह नहीं बताया जा सकता। जब तक, एक व्यक्ति खुद को निजी तौर पर दूसरे को आत्महत्या के लिए न भड़काए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी कई जजमेंट को खारिज कर दिया है।

बता दें, अगर शीजान इस धारा की पात्रता पाई जाती है तो उसे दस साल की सजा मिलेगी और कभी जमानत भी नहीं मिलेगी। क्योंकि, इस धारा के तहत किया गया अपराध गैर-जमानती होता है। नेशनल क्राइम ब्यूरो रिकॉर्ड (NCRB) के साल 2021 के आंकड़े इस बात को साबित करते हैं कि बिना पुख्ता सबूत और सबूतों की धारा 306 को कोर्ट में साबित करना करीब-करीब नामुमकिन है। पिछले साल इस धारा में 8312 मामले दर्ज हुए, लेकिन 22.6 मामलों में यह अपराध साबित हुआ।

यह रिपोर्ट है
यह रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल आत्महत्या के 7500 मामले दर्ज हुए। इन सभी आत्महत्याओं के पीछे की वजह ‘प्रेम-संबंध’ ही थे। बता दें, मुंबई पुलिस को तुनिषा के शव के आस-पास कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। वह केवल बंधना की मां की शिकायत पर शीजान को गिरफ्तार किया गया है। सिकंदरा के मां का आरोप है कि वह और शीजान संबंध में थे। यह रिश्ता 15 दिन पहले टूट गया। इस कारण से तुनिषा तनाव में थी।

प्रॉक्सीने वाले मामलों में दोष लगाना कठिन
सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ कई उच्च न्यायालयों ने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि आत्महत्या के लिए उकसाने वाले मामलों में पुख्ता से पुख्ता सबूत की जरूरत है। इनमें दहेज की मांग के कारण आत्महत्या का मामला शामिल नहीं है। उत्तेजक मामलों में दोष लगाना कठिन होता है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि उत्तेजक मामलों में यह देखा गया है कि किसी व्यक्ति ने निजी तौर पर आत्महत्या करने वाले को भड़काया है या नहीं।

ईमानदारी से परखें जाएं सबूत- कोर्ट
कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी को पूरी तरह से कर्तव्यनिष्ठा के साथ परखें। यह देखा कि पीड़ित ने पीड़ित को इतना प्रताड़ित किया कि उसके पास आत्महत्या के अलावा कोई कर नहीं बचा। धारा 306 के तहत ‘अपूर्ण प्रेम-संबंधों’ में आत्महत्या को ‘उकसाना’ नहीं माना जा सकता है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने एक शख्स को धारा 306 से मुक्त कर दिया था। उस वक्त एक लड़की ने आत्महत्या के बाद शख्स पर आरोप लगाया कि उसने दूसरा प्रेम-संबंध होने के कारण जयादा से शादी नहीं की।

किसी को जीवन-साथी बनाने के लिए बाध्य नहीं कर सकते- SC
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का सार था, हर शख्स को अपने जीवन-साथी को अधिकृत करने का अधिकार है। कोई और उसकी इच्छा के विपरीत काम करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। ऐसा लगता है कि अति संवेदनशील था। वह अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख सका और उसने यह कदम उठाया।

टैग: उच्चतम न्यायालय, तुनिषा शर्मा सुसाइड केस

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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