
तुंगनाथ मंदिर
रुद्रप्रयाग: दुनिया के सबसे अनोखे शिव मंदिर तुंगनाथ धाम में चढ़ाई हुई है। करीब 12,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ का मंदिर झुका हुआ है। इसका खुलासा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट में हुआ है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि तुंगनाथ मंदिर में करीब 5 से 6 डिग्री तक उछल आया है। इसके अलावा 10 डिग्री तक के छोटे झटके और छोटे झटके की बात कही जाती है। उरद्र, बद्री केदार मंदिर समिति और मंदिर के हक हकधारी ने भी तुंगनाथ मंदिर को इसी के संरक्षण में देने पर आपत्ति जताई है।
मंदिर में फिक्सिंग का कांच का शीशा, दीवार पर चिंगारी
ड्रैक सर्किल के सुपरिटेंडेंट आर्कियो एक्टिविस्ट भी इस बात को लेकर खास चिंता जीत रहे हैं कि मंदिर के झटके से भविष्य के लिए परेशानी हो सकती है। ऐसे में तुंगनाथ मंदिर में चढ़ाई और डैमेज की वजह जानने की कोशिश की जाएगी। अगर संभव हुआ तो जल्द ही इसे जोड़ने का काम भी शुरू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही परिसर के अवलोकन के बाद पूरा डाटा तैयार किया जाएगा। वहीं, एएसआई के अधिकारी जमीन के नीचे के हिस्से के नीचे खिसके और धंसने के कारणों का भी पता लगा रहे हैं, जिस वजह से मंदिर में जाम हो रहा है। उनके मापदंड तो से सलाह के बाद उन अटकलों के दावों को बदला जाएगा। अभी, एजेंसी ने ग्लास स्कैन को फिक्स कर दिया है, जो मंदिर की दीवार पर चहलकदमी कर सकता है।
पहले भी कई बार पुरातत्व विभाग की तरफ से पुरातत्व विभाग को पत्र दिया गया था कि इस मंदिर को अपनी गैरहाजिरी में लिया जाएगा, जिस पर मंदिर को राष्ट्रीय विरासत घोषित करने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए आपत्तिजनक भी बताई गई थी। दर्ज करने के लिए 2 महीने का समय दिया गया है। यह मंदिर भी केदारनाथ धाम बदरी केदार मंदिर समिति की तरह नहीं दिखती। हालांकि, यहां पर स्थानीय हक हकधारी भी मंदिर समिति को पूरा सहयोग करते हैं।
हकूकधारी ही करते हैं तुंगनाथ मंदिर में पूजा
स्थानीय हकूकधारी ही तुंगनाथ मंदिर में पूजा करते हैं। बदरी केदार मंदिर समिति की ओर से यहां पर पुजारी की नियुक्ति नहीं की जाती है। आज तक इस मंदिर का संचालन बदरी केदार मंदिर समिति और स्थानीय हकधारी ही करते हैं। ऐसे में मंदिर को राष्ट्रीय खड़िया घोषित करने पर बदरी केदार मंदिर समिति और हक हुकूकधारियों ने विरोध करने का फैसला लिया है। बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से तुंगनाथ मंदिर को अपने संरक्षण में लेने के लिए अधिसूचना जारी की गई है। साथ ही मामले में आपत्तियां भी जताई गई हैं। बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव पर अधिकारियों और हक हकुकधारियों के साथ चर्चा की गई है। सभी मंदिरों को पुरातत्व विभाग भारतीय सर्वेक्षण विभाग को सौंपे गए आपत्तिजनक हैं तो मंदिर समिति भी अवैध रूप से दर्ज हो जाएगी।
तुंगनाथ में होती है भगवान शिव की बंधों की पूजा
बता दें कि तुंगनाथ में भगवान शिव पंच केदारों में से तृतीय केदार के रूप में पूजे जाते हैं। यहां पर भगवान शिव की बंधुओं की पूजा होती है। तुंगनाथ धाम एक धार्मिक स्थल के साथ-साथ बेहद खूबसूरत तीर्थस्थल भी है। यहां साल भर भक्त और समान का तांता लगा रहता है। तुंगनाथ धाम मिनी स्विट्जरलैंड के रूप में विख्यात पर्यटक चोपता से ठीक ऊपर बसा है।
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