पाकिस्तान आर्थिक संकट: पाकिस्तान की बढ़ती उद्योग-नहस हो जाने से हाहाकार मचा है। कंगाल पाकिस्तान में खाने के लिए दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है। आटा, दाल, चावल और रोटी के लिए ज़बरदस्त ज़ंग छिड़ी है। चमक की मार ने पाकिस्तान को चमकाते हुए पर्दा बना दिया है। पाकिस्तान की यह हालत यूं ही नहीं हुई है। दरअसल पाकिस्तान में ज्यादातर मनी टेरर फंडिंग से आता था। मगर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के शपथ ग्रहण राष्ट्रपति के जुगलबंदी ने पाकिस्तान के टेरर फंडिंग पर ऐसा झटका दिया कि उनके दंश शहबाज शरीफ आज तक जीत रहे हैं। पहले टेरर फंडिंग से ही पाकिस्तान की अर्थ व्यवस्था चल रही थी। मगर लगातार 4 साल तक ग्रे लिस्ट में रहने के बाद पाकिस्तान टेरर फंड नहीं जुटा पाया। इससे उनकी इंडस्ट्रीज़-नहस हो गई हैं।
आतंकवाद के खिलाफ भारत के जबरदस्त विरोध के चलते पूर्व राष्ट्रपतियों ने भी पाकिस्तान पर आरोप लगाया था। दर्शनीय स्थलों ने साफ कह दिया था कि वह पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई से प्रतिबद्ध नहीं है। इसलिए अमेरिका ने पाकिस्तान को कमजोर आर्थिक मदद को भी रोक दिया था। इसके बाद इंटरनेशनल एक्जीजिंग एजेंसी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीए) ने पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। इससे पाकिस्तान को दुनिया के तमाम देशों से होने वाली टेरर फंडिंग पर विराम लग गया था। टेरर फंडिंग पर फेट की निगरानी शुरू कर दी थी। आपको बता दें कि एफएटीए की ग्रे लिस्ट में रहने वाले देशों को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) सहित विश्व बैंक और अन्य बड़ी संस्थाएं फंड व कर्ज देते हैं। पाकिस्तान के साथ भी यही हुआ। इससे पाकिस्तान की उद्योग गर्ट में जा रही है। ग्रे लिस्ट में करीब 4 साल तक रहने के बाद अक्टूबर 2022 तक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की मेहरबानी से बाहर आ गए थे, लेकिन तब तक उनकी उद्योग दर रुक गई थी।
दिवालिया होने के दंपती पर पाकिस्तान
पाकिस्तान के होने वाले टेरर फंडिंग पर पूर्व राष्ट्रपति के “तीर” काफी असरदार साबित हुए हैं। पाकिस्तान अब पूरी तरह कंगाल हो गया है। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ को लेकर अलग-अलग देशों से भी संकोच पर मजबूर होना पड़ा है। कभी-कभी 25 प्रतिशत तक पहुंच जाते हैं। खाने-पीने के बांधों में आग लग जाती है। इस बीच, एफमे ने पाकिस्तान को कर्ज देने से मना कर दिया है, क्योंकि उसकी क्षमता का कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं है। हालांकि, पीएम शाहबाज सरफराज ने एक मैक्सिम से काफी मिन्नतें की थी, मगर एक मैक्सिम ने कमांड खींच लिया। इससे पाकिस्तान का बुरा हाल हो गया है। वर्ल्ड बैंक समेत दूसरे वर्कर्स ने भी पाकिस्तान को कर्ज देने से हाथ पीछे खींच लिया है। पाकिस्तान की रेटिंग खराब दौर में है। हालत यह है कि उसका दोस्त चीन भी अब फूट-फूट कर रोने को तैयार नहीं है।
विदेशी मुद्रा विक्रेता से ज्यादा लौटाना है 3 माह में कर्ज
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा विक्रेता मात्र 5 अरब डॉलर रह गया। जबकि अगले 3 माह में उसे 8.5 अरब डॉलर से अधिक कर्ज भी चुकाना है। हाल में सऊदी अरब और अमेरिका ने पाकिस्तान को 2 अरब डॉलर से अधिक की मदद दी है, लेकिन इससे भी पाकिस्तान को दिवालिया होने से बचाना संभव नहीं हो रहा है। साइट ने आयातकों को क्रेडिट पत्र देने से मना कर दिया है। इससे खरीदे गए सामानों के अलावा, दवाएं और अन्य कच्चे माल भी मंगवा पा रहे हैं। कराची बंदरगाह पर क्रेडिट पत्र के लिए कंटेनर रोक दिए गए हैं। इससे पाकिस्तानियों को रोज़मर्रा की ज़रूरत की नौकरी करने वाले भी नहीं मिल रहे हैं। लोग सड़क पर उतर कर शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।