नई दिल्ली। नेपाल के प्रधानमंत्री कमल दहल प्रचंड की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उनका समर्थन करने वाली राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। आरएसपी के अध्यक्ष रबी लामीछाने को नेपाल के गृहमंत्री के पद पर दोबारा: आसीन करने से प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ द्वारा इनकार कर दिए जाने के बाद आरएसपी ने रविवार को देश के संबंध में गठबंधन से हट जाने का फैसला किया। इससे नेपाल की सियासत में नए मोड़ आए हैं।
क्या आरएसपी के समर्थन में वापसी से प्रचंड की कुरसी को भी खतरा हो सकता है? नेपाल के 275 सदस्यीय सदन में 138 सदस्यों की जरूरत बहुमत के लिए जरूरी है। प्रचंड ने कुल 169 सदस्यों के समर्थन पत्र पत्र को चिपकाया था। आरएसपी के इनमें से 20 सदस्य शामिल हैं। अब 169 में से 20 सदस्य कम हो जाने के बाद प्रचंड के पास 149 सदस्यों का बहुमत शेष है। यानी की अभी सरकार के गिरने की कोई संभावना नहीं है। मगर अगर किसी दूसरे दल ने भी प्रचंड से हाथ खींचा तो उनकी कुरसी में जलन हो सकती है।
कुरसी की जंग में पीछे ले गए
आरएसपी के केंद्रीय सदस्यों एवं सांसदों की संयुक्त बैठक में नेपाल के रिश्तेदार दलों से समर्थन वापसी का निर्णय लिया गया। लामीछाने (48) पिछले साल नवंबर में चुनाव में चितवन-2 क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। काठमांडू पोस्ट की खबर के अनुसार नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय के 27 जनवरी के एक फैसले के बाद वह संसद की सदस्यता लेकर जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संसदीय चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने जो नामांकन प्रमाणपत्र जमा किया था वह अवैध है। इस अखबार के मुताबिक उनका मंत्री पद और पार्टी अध्यक्ष का पद भी चला गया, क्योंकि इन पदों पर आसीन रहने के लिए किसी व्यक्ति का नेपाली नागरिक होना जरूरी है। इस अखबार के अनुसार 29 जनवरी को उन्होंने पुन: प्राथमिक जीत की और बाद में प्रचंड के साथ मिलकर उन्हें गृहमंत्री के पद पर पुन: आसीन किया। मगर प्रधानमंत्री ने ऐसा करने से मना कर दिया।
उपप्रधानमंत्री गृहमंत्री की कुरसी पर थे
लामिछाने को पिछले साल 26 दिसंबर को नेपाल के उपप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री नियुक्त किया गया था। उससे पहले उनकी पार्टी आरएसपी संघीय चुनाव में 20 सीटों की जीत के साथ संसद में चौथी सबसे बड़ी शक्ति बनकर उभरी थी। टेलीविजन हस्ती लामिछाने 2013 में सबसे लंबे समय तक चलने वाले टॉकशो की मेजबानी कर गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड बनाने की कोशिश की गई थी और तब नोटिफिकेशन में आए थे। लामिछाने ने आरएसपी की केंद्रीय समिति की संयुक्त बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इससे पहले भी उन्हें कई सवालों में फंसाने की कोशिश की गई थी, लेकिन वे बाहर आने में हमेशा सफल रहे। सरकार से गठबंधन से हटने के बाद आरजेपी के फैसले का प्रधानमंत्री प्रचंड के राजनीतिक भविष्य पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अखबार के अनुसार ऐसा इसलिए है क्योंकि भले ही आरएसपी ने अपने मिनिस्टर को वापस बुलाने का फैसला लिया हो लेकिन पार्टी इस सरकार का समर्थन करती है।
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