
UNITED NEWS OF ASIA. बिलासपुर। छत्तीसगढ़ी भाषा के पुरोधा, पद्मश्री पं. श्यामलाल चतुर्वेदी की 99वीं जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों और जनप्रतिनिधियों ने उनके योगदान को याद किया और जन्मशती वर्ष (100वीं जयंती) को भव्य तरीके से मनाने का संकल्प लिया।
भव्य आयोजन, श्रद्धांजलि अर्पित
कार्यक्रम में नवनिर्वाचित महापौर पूजा विधानी, छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय पाठक, वरिष्ठ साहित्यकार और बुद्धिजीवी शामिल हुए। शहर के प्रमुख स्थानों पर पं. चतुर्वेदी की प्रतिमा स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की गई और उनके साहित्यिक योगदान पर चर्चा हुई।
छत्तीसगढ़ी भाषा के उत्थान में ऐतिहासिक योगदान
डॉ. विनय पाठक ने कहा, “पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी ने अपने साहित्य और भाषा सेवा से छत्तीसगढ़ी को जन-जन तक पहुंचाया। 1987 में उनकी षष्ठीपूर्ति पर प्रकाशित अभिनंदन ग्रंथ में देशभर के प्रतिष्ठित साहित्यकारों ने उन्हें सम्मानित किया था।”
नवनिर्वाचित महापौर पूजा विधानी ने कहा, “पं. श्यामलाल चतुर्वेदी का जीवन और कृतित्व छत्तीसगढ़ी भाषा-संस्कृति के उत्थान का प्रतीक है। उनका ‘पद्मश्री’ सम्मान पूरे प्रदेश के लिए गर्व की बात है।”
काव्यांजलि में गूंजीं छत्तीसगढ़ी रचनाएं
कार्यक्रम के दौरान प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. एके यदु ने उनकी अमर रचना ‘बेटी के बिदा’ का उल्लेख किया, जिसे छत्तीसगढ़ी साहित्य की अमूल्य धरोहर बताया। छत्तीसगढ़ी कवि सनत तिवारी ने उनकी स्मृति में काव्यांजलि प्रस्तुत की, जिससे वातावरण भावुक हो उठा।
जन्मशती वर्ष के लिए विशेष आयोजन की योजना
पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी की 100वीं जयंती (जन्मशती वर्ष) को भव्य रूप से मनाने के लिए एक विशेष टीम गठित की जा रही है। इसमें साहित्यिक, अकादमिक और सांस्कृतिक स्तर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
कार्यक्रम में पार्षद, पूर्व पार्षद, साहित्यकार, बुद्धिजीवी और गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति रही। सभी ने एकमत होकर कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए पं. चतुर्वेदी की शिक्षाओं को आत्मसात करना होगा।
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